स्कूली वाहन चालकों के चरित्र सत्यापन में कोताही
कोरबा। स्कूल, कॉलेज के छात्र छात्राओं को ले जाने वाले स्कूली वाहन, बस आदि के चालकों के चरित्र सत्यापन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। कौन सा स्कूली वाहन कौन चला रहा है? चालक के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड या मामला तो नहीं है? वाहन स्टॉफ की पृष्ठ भूमि क्या है? इस तरह के तमाम रिकॉर्ड यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के पास होना चाहिए। मगर इसके सत्यापन में कोताही बरती जा रही है। लिहाजा आलम यह है कि जिले में स्कूली वाहन चालकों एवं स्टॉफ के चरित्र सत्यापन में कोताही बरती जा रही है।
स्कूल-कॉलेज वाहन एवं बसों में तैनात स्टॉफ की पूरी जानकारी यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के पास होना अनिवार्य है। स्कूल बसों में सुप्रीम कोर्ट के गाईड लाइन का पालन होना चाहिए। गाईड लाइन का पालन किए बगैर चल रहे स्कूली वाहनों पर कार्रवाई का प्रावधान है। शैक्षणिक संस्थानों के वाहन चलाने वाले चालक और उसमें तैनात स्टॉफ का चरित्र सत्यापन इसलिए जरूरी है क्योंकि यह अतिसंवेदनशील कार्यों की श्रेणी में शुमार है। वाहनों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर किशोर व युवा अवस्था के छात्र छात्राएं आना जाना करती हैं। ऐसे में अगर आपराधिक प्रवृत्ति के स्टॉफ वाहनों में होंगे तो सुरक्षा पर सवालिया निशान लग जाता है। लिहाजा सुरक्षा के इन्हीं मापदंडों को देखते हुए चालक और स्टॉफ का चरित्र सत्यापन होना चाहिए। मगर जिले में ऐसे सत्यापन में कोताही बरती जाती रही है। जब भी देश व प्रदेश में इस तरह के कोई मामले सामने आते हैं तो यातायात और परिवहन विभाग के अधिकारी हरकत में आते हैं। कुछ दिनों बाद पुन: पुराने ढर्रे में काम शुरू हो जाता है। एक बार जांच की खानापूर्ति पूरी हो जाने के बाद साल भर ऐसे ही काम चलता रहता है। जबकि इस दरम्यान वाहनों की संख्या बढऩे के साथ स्टॉफ भी बदलते रहते हैं। स्कूली वाहनों के स्टॉफ का चरित्र सत्यापन न किया जाना गंभीर खामी है। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान तो कम से कम ऐसे चालकों व स्टॉफ के चरित्र सत्यापन की ओर ध्यान दिया जाता तो बेहतर होता। यातायात पुलिस एवं परिवहन विभाग द्वारा यदाकदा वाहन चालकों व वाहनों की जांच कर ली जाती है। परंतु चरित्र सत्यापन की ओर ध्यान नहीं दिया जाता।
चालक को होना चाहिए अनुभव
स्कूली वाहनों का परिचालन करने वाला चालक अनुभवी होना चाहिए। कम से कम उसके पास पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है। अगर बिना अनुभवी चालकों के हाथों में स्कूली वाहनों की स्टेयरिंग थमा दी जाए तो दुर्घटना का खतरा बना रहता है। इसकी जांच परिवहन विभाग के अफसरों को करनी चाहिए। वाहन का परमिट जारी करते समय भी चालकों के अनुभव प्रमाण पत्र एवं चरित्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज अनिवार्य रूप से मांगा जाता है। परंतु अधिकांश मामलों में जांच के अभाव में इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पाती।
हो सकता है खतरा
छात्र छात्राओं के सुरक्षा को लेकर माननीय कोर्ट संज्ञान लेता रहता है। यही वजह है कि वाहनों में पुख्ता इंतजाम के लिए गाईड लाइन भी लागू किए गए हैं। जिसकी जांच का जिम्मा यातायात पुलिस एवं परिवहन विभाग को दिया गया है। परंतु जिले में चालकों व स्टॉफ का चरित्र सत्यापन नहीं होने से खतरे की संभावना बनी हुई है। स्कूली वाहनों को बिना चरित्र सत्यापन के परिचालित किया जा रहा है। ऐसे चालकों की जांच नए सिरे से किए जाने की जरूरत है।
स्कूल-कॉलेज स्टॉफ का वेरिफिकेशन भी जरूरी
दिल्ली रेयॉन स्कूल में छात्र की हत्या के वारदात के बाद देशभर के स्कूलों में स्कूल स्टॉफ के वेरिफिकेशन एवं स्कूल में सुरक्षा मानकों का पालन करने पर जोर दिया गया था। इस घटना के बाद स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ स्टॉफ वेरिफिकेशन की जा रही थी। मगर जैसे ही मामला शांत हुआ जिले में पुन: पुराने ढर्रे में काम शुरू हो गया है। स्कूलों में भी इस तरह की लापरवाही उजागर हो रही है।
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