क्यों रो रहा है यह आदिवासी किसान, किस बात से है हलाकान.. मांग रहा इच्छा मृत्यु, कहा- कर लूंगा आत्मदाह

महासमुंद। जिले के पिथौरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पाटनदादर का सरपंच मोहन बरिहा किसी और वजह से नहीं, बल्कि पंचायत सचिव की मनमानी से हलाकान है। अपनी इस परेशानी के समाधान को लेकर वह जिला पंचायत और कलेक्टर तक अपनी बात रख चुके हैं, लेकन उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसकी वजह से सरपंच ने आत्मदाह को अंतिम समाधान मानते हुए जनपद सीईओ को इच्छा मृत्यु का आवेदन दे दिया है।

सरपंच का कहना है कि पंचायत सचिव सुखसागर जगत अपने मन के माफिक ग्राम पंचायत और सभा की बैठके रखता है। इसके लिए वह सरपंच से चर्चा करना जरूरी नहीं समझता। वहीं ग्राम विकास के लिए मिलने वाले फंड को वह अपने तरीके से इस्तेमाल करता है, जिसकी वजह से ग्राम पंचायत का विकास नहीं हो पा रहा है।

सरपंच ने बताया कि वह धोखे से चेक पर उनके हस्ताक्षर ले लेता है, बाद में पता चलता है कि जितनी राशि जिस मद के लिए आई थी, उसे कहीं और खर्च कर दिया गया। इस तरह से गोलमाल चल रहा है। आदिवासी बाहुल्य प्रदेश में एक आदिवासी जनप्रतिनिधि को जिस तरह से उसक पंचायत में, जबकि वह सरपंच है उपेक्षित किया जा रहा है, इससे हलाकान सरपंच मोहन बारिहा ने इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन लगाया है।

अब अफसरों की खुली नींद
अब सरपंच ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, मुख्य कार्य पालन अधिकारी जनपद पंचायत पिथौरा, थाना प्रभारी साकरा को न्याय नही मिलने पर अब आत्महत्या कर लेने का ज्ञापन सौपा है। सरपंच मोहन बरिहा के खुदकुशी कर लेने की चेतावनी की जानकारी मिलते ही जिला पंचायत के मुख्य कार्य पालन अधिकारी रवि मित्तल ने कहा कि सरपंच मोहन बरिहा का पत्र हमे मिला है आत्महत्या की बात करना गलत है यह कानुनन अपराध है। सचिव की विभागीय जांच होगी और कार्रवाई भी की जाएगी। सरपंच को समझा दिया गया है कि वो इस तरह का कोई कदम ना उठाएं।

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