बोफोर्स घूसकांड में राजीव गांधी को बचाने का किया गया था प्रयास

पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम की किताब में किया गया सनसनीखेज खुलासा
नई दिल्ली (rns) देश के बहु चर्चित मामलों में से एक बोफोर्स घूसकांड में तत्त्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सभी दोषों से कैसे मुक्त किया जाए इसे लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ने 1987 में एक गुप्त बैठक में बोफोर्स के शीर्ष अधिकारियों को तरीके सुझाए थे।
यह सनसनीखेज खुलासा खोजी पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने अपनी आने वाली किताब में किया है। इस घोटाले ने लगभग चार दशक पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार को बड़ी मुश्किल में डाल दिया था। चित्रा सुब्रमण्यम के दावे ‘बोफोर्स के शीर्ष अधिकारियों और भारत के शीर्ष नौकरशाहों’ के बीच हुई एक गुप्त बैठक के सारांश पर आधारित हैं, जो उन्हें एक सूत्र, स्टेन लिंडस्ट्रोम (पुस्तक में ‘स्टिंग’ के नाम से उल्लेख किया गया है) द्वारा प्रदान किया गया था। लिंडस्ट्रोम स्वीडिश पुलिस प्रमुख थे जो अपने देश में बोफोर्स की जांच कर रहे थे। बोफोर्स घोटाला 1980 के दशक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान स्वीडिश कंपनी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपये के सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से संबंधित है।
यह समझौता 155 मिमी फील्ड होवित्जर श्रेणी की 400 तोपों की आपूर्ति के लिए किया गया था, जिसने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस मामले की सुनवाई 2011 में बंद कर दी गई थी। स्वीडिश रेडियो द्वारा 16 अप्रैल 1987 को भारत के साथ बोफोर्स होवित्जर सौदे में कथित रिश्वतखोरी की खबर प्रसारित करने के तुरंत बाद यूरोप से इस मामले को कवर करने वाली पत्रकार ने अपनी जांच का विवरण 320 पृष्ठों की अपनी किताब ‘बोफोर्सगेट’ में साझा किया है।