निजी अस्पतालों में मरीजों का शोषण रोकने नीतिगत फैसला लें राज्य सरकारें, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

नई दिल्ली (rns)। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजन के ‘शोषण’ को रोकने के लिए उचित नीतिगत फैसला लें।
एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि प्राइवेट अस्पतालों और उनकी फार्मेसी में एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। कोर्ट ने इन अस्पतालों पर खुद. से सीधे प्रतिबंध लगाने से इनकार किया और कहा कि चूंकि ये संविधान में राज्य सूची का – विषय है, इसलिए राज्य सरकारें ही इस पर व्यापक दृष्टिकोण से विचार कर सकती हैं और उचित गाइड लाइंस बना सकती हैं। इसमें नीति निर्माताओं को ही संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिससे न तो मरीजों और उनके परिजनों का शोषण हो और न ही प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज पर बेवजह प्रतिबंध लगे।
यह जनहित याचिका सिद्धार्थ डालमिया (कानून के छात्र) और उनके पिता ने दायर की है। इसमें कहा गया कि उनकी मां को पिछले साल स्तन कैंसर हुआ था और वह अब ठीक हो चुकी हैं। लेकिन उनके इलाज के दौरान प्राइवेट अस्पतालों में जबरन महंगी दवाएं खरीदनी पड़ीं। इनकी गुहार है कि मरीजों और परिजनों को यह आजादी मिले कि वे अपनी पसंद की फार्मेसी से दवाएं, मेडिकल इक्विपमेंट खरीद सकें। निजी अस्पतालों को मजबूर न करने दिया जाए कि मरीज केवल उनकी फार्मेसी से ही दवाएं खरीदें। नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी है। बढ़ती आबादी के कारण सरकार को प्राइवेट अस्पतालों की मदद लेनी पड़ी, लेकिन इसमें मरीजों का शोषण नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि किसी को ‘पाकिस्तानी’ कहना अपराध नहीं है।