विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी, इसलिए एआई की सीमाओं को समझना आवश्यकः डॉ. शालिनी शुक्ला

कोरबा 06 मार्च। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई ) सूचना विज्ञान में आज का सबसे करंट विषय है। यदि इसमें महारत हासिल कर ली जाए तो वांछित जानकारी करंट की रफ्तार से आपकी स्क्रीन पर होगी। हालांकि, विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी, इसलिए एआई की सीमाओं को समझना आवश्यक है। लेकिन यह सच है कि हमारा और आने वाली पीढ़ी का भविष्य एआई के हाथों में जाने वाला है। इसलिए आवश्यक है कि हम स्वयं और विद्यार्थी इस तकनीक को समझें, इसे सही तरीके से अपनाएं और इसके इस्तेमाल में पारंगत बनें।

यह बातें अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर की लाइब्रेरियन डॉ. शालिनी शुक्ला ने कमला नेहरू महाविद्यालय में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हुए कहीं। उन्होंने “पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान बनाम कृत्रिम बुद्धिमता ( एआई )” विषय पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया और बताया कि एआई पुस्तकाल एवं सूचना विज्ञान को कैसे प्रभावित कर रहा है। एआई की खूबियों को समझें, कमियों पर ध्यान न दें डॉ. शालिनी शुक्ला ने इस बात पर जोर दिया कि हमें एआई की कमियों पर बात करने के बजाय उसकी खूबियों और उपयोगिता को समझने में समय लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में एआई की भूमिका तेजी से बढ़ रही है और इसका उपयोग करने की दक्षता हासिल करना जरूरी है। डॉ. शालिनी शुक्ला पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने 2006 से 2023 तक पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दीं और वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में लाइब्रेरियन के रूप में कार्यरत हैं।

यह कार्यक्रम कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। इस दौरान पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार पटेल, रामकुमार श्रीवास और सुरेश कुमार महतो भी उपस्थित रहे।तब किताबों के ढेर में सुकून और ज्ञान की खोज का आनंद थारू डॉ. शालिनी शुक्ला डॉ. शालिनी शुक्ला ने कहा कि पहले विद्यार्थी और शोधकर्ता घंटों लाइब्रेरी में बिताते थे। किताबों के बीच सुकून और शांति का एक अलग ही आनंद था। लेकिन आज इंटरनेट और डिजिटल तकनीक की वजह से यह परंपरा धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। हालांकि, उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे पढ़ने की आदत बनाए रखें और साथ ही कृत्रिम बुद्धिमता को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

एआई में कुशलता हासिल करें और आदर्श उपभोक्ता बनेंः डॉ. प्रशांत बोपापुरकर
इस अवसर पर कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने विद्यार्थियों को और पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के तालमेल पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि एआई तकनीक के उपयोग से जानकारी केवल एक क्लिक में प्राप्त की जा सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि छात्र एआई तकनीक के आदर्श उपभोक्ता बनें और अपने सहपाठियों व परिवारजनों को भी इसके इस्तेमाल में दक्ष बनाने में मदद करें। डॉ. बोपापुरकर ने कहा कि पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए एआई का कुशल उपयोग उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक है। इस अवसर पर छात्रों ने भी एआई से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।

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