बिजली की समस्याः क्या दिन में बिजली आपूर्ति बहाल किए जाने पर हाथियों को यह पता चल सकता है कि क्या इस इलाके में खतरा नहीं है?

12 गांव में बिजली गुल से छात्र और जनता परेशान
कोरबा 01 मार्च। छत्तीसगढ़ के पावर हब कहे जाने वाले कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों का खौफ बिजली वितरण कंपनी पर कुछ ऐसा है कि वह एक दर्जन से ज्यादा गांव में इसी नाम से 9 घंटे तक बिजली गुल कर रही है। यह सिलसिला एक महीने से भी ज्यादा समय से बना हुआ है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा के सीजन में ग्रामीण विद्यार्थियों की तैयारी बाधित हो रही है। इस वजह से विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके परिजन परेशान है।
इस चिंता को दूर करने के लिए बिजली वितरण कंपनी किसी भी प्रकार से गंभीर नहीं है। न केवल कोरबा जिला बल्कि छत्तीसगढ़ की बड़ी घरेलू और व्यावसायिक जरूर को पूरा करने का काम कोरबा जिले से उत्पादित होने वाली बिजली कर रही है। कोरबा जिले में बिजली उत्पादन कंपनी के पुराने और नए संयंत्र पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र की बिजली परियोजनाएं भी इसी जिले में कार्यरत हैं जो बिजली आवश्यकता के मामले में भूमिका सुनिश्चित कर रही है। बाहरी दुनिया को ऐसा ही लगता है कि जहां से बिजली का उत्पादन होता है वहां के लोगों के सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं होती लेकिन यह केवल मृग मरीचिका से ज्यादा कुछ नहीं है। जिले के शहरी क्षेत्र में कई प्रकार के दबाव और जागरूकता का असर कहना होगा कि तमाम तरह की दुश्वारियां को दूर करने के लिए बिजली वितरण कंपनी का सिस्टम अपनी तरफ से काम कर रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्गति बनी हुई है। वितरण कंपनी के कोरबा ग्रामीण संभाग के अंतर्गत 12 से ज्यादा गांव पिछले एक महीने से भी ज्यादा से बिजली गुल की बनावटी समस्या के कारण परेशान है। यह समस्या इसलिए पैदा की जा रही है क्योंकि हाथियों की आवाजाही इलाके में बनी हुई है और बिजली कंपनी का अमला इससे डरा हुआ है कि रात में बिजली आपूर्ति चालू होने पर फिर कोई हाथी की मौत ना हो जाए- विद्युत लाइन की चपेट में आने से।
आसपास से मिली सूचनाओं में बताया गया है कि बरपाली, जिलगा, सरणीडेरा, तौलीपाली, समरकना, बासीन, कुदमुरा, कोलगा, तराईमार कछार और उनके आसपास स्थित 12 से ज्यादा गांव रात्रि 10.00 बजे के साथ अंधेरे में डूब जाते हैं। पूरे 9 घंटे तक इन गांव में यही स्थिति होती है। यह गांव लंबे समय से हाथी प्रभावित मानचित्र में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। समझा जा सकता है कि इन इलाकों में रहने वाली आबादी किस कदर परेशान होगी और ऊपर से विद्युत की आपूर्ति रात्रि में बंद कर देने से उन पर क्या गुजरती होगी। ग्रामीणों ने बताया कि विद्युत कंपनी के द्वारा करतला उप केंद्र से उपरोक्त समय सारणी के अंतर्गत बिजली गुल कर दी जा रही है ।सुबह 7.00 बजे विद्युत आपूर्ति बहाल होती है। लंबे समय से यह व्यवस्था बने होने के कारण बोर्ड परीक्षा और अन्य कक्ष के विद्यार्थियों की तैयारी ऐसे ही बाधित हो गई। 1 मार्च से हायर सेकेंडरी बोर्ड परीक्षा की शुरुआत हो गई है और इस पर भी विद्यार्थियों का टेंशन बढ़ गया है कि वह पढ़ाई कब करें। जबकि हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा 3 मार्च से प्रारंभ होना है। हाथी के नाम से बिजली आपूर्ति बाधित किए जाने और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने को लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने प्रशासन के साथ-साथ सीएसईबी को अवगत कराया लेकिन अब तक उसे पर कोई असर नहीं हुआ कि वह व्यवस्था को ठीक करें।
जानकारी मिली कि लगभग 2 महीने पहले इसी इलाके में विद्युत प्रवाहित तार में फंसने से एक हाथी की मौत हो गई थी जिस पर पुलिस ने वितरण कंपनी के एक लाइनमैन के विरुद्ध अपराध पंजीबद किया। इसका बदला लेने के लिए यह विकल्प वितरण कंपनी में निकाला है। अधिकारियों को लगता है की रात्रि में बिजली गुल रहेगी तो हाथी संकट में नहीं पड़ेंगे। दूसरी और ग्रामीणों ने सवाल किया है कि क्या दिन में बिजली आपूर्ति बहाल किए जाने पर हाथियों को यह पता चल सकता है कि क्या इस इलाके में खतरा नहीं है? वितरण कंपनी के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में लंबे समय से विद्युत आपूर्ति बाधित करने को लेकर जो व्यवस्था बनाई गई है, उसके चलते लगभग 40 हजार की आबादी पर बुरा असर पड़ रहा है। विद्यार्थियों के अलावा आम लोगों के सामने परेशानी है। ग्रामीण जनता की मांग है कि यह विषय व्यापक महत्व का है इसलिए समस्या के स्थाई निराकरण के लिए ऊर्जा मंत्री, मुख्य सचिव और जिला कलेक्टर वितरण कंपनी को निर्देशित करें।