महाशिवरात्रि विशेष: विद्याशंकर मंदिर की है- अदभुत कहानी…

श्रृंगेरी (कर्नाटक) 26 फरवरी। आज महा शिवरात्रि है। भगवान शिव की विशेष पूजा का दिन। लेकिन, कर्नाटक का एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु शिव पूजा के साथ -साथ सूर्य की रोशनी और आस्था के संगम के गवाह बनते हैं। यह चिकमंगलूर जिले के श्रृंगेरी में है, जिसका नाम है विद्याशंकर मंदिर। यहां हर साल महा शिवरात्रि पर सूर्य की किरणें मंदिर के जिस पिलर पर गिरती है, लोग उसे मन्नत का द्वार मानते हुए पूजते हैं।

मंदिर के पुजारी लक्ष्मीनारायण अय्यर ने बताया कि इस मंदिर का अद्भुत वास्तु है। यह अर्द्धगोलाकार है। इसमें प्रवेश और निकासी के 6 द्वार हैं। दो मंडप हैं। पश्चिमी और पूर्वी। पश्चिमी में गर्भगृह है, जबकि पूर्वी मंडप में अंदर की तरफ 12 पिलर हैं, जो 12 राशि चक्रों के प्रतीक इनके ऊपर छत पर छोटे-छोटे झरोखे हैं, जिनसे सूर्योदय की किरणें 12 महीनों के हिसाब से 12 पिलर पर बारी-बारी से गिरती हैं यानी किसी एक पिलर पर रोशनी एक महीने बराबर आती है। साल में सिर्फ दो दिन जब दिन और रात बराबर होते हैं, तब किरणें सीधे गर्भगृह स्थित शिवलिंग पर जाती हैं। महा शिवरात्रि पर इस नजारे को देखने के लिए हर साल हजारों लोग श्रृंगेरी पहुंचते हैं। इस बार भी मंदिर का प्रांगण श्रद्धालुओं से भरा हुआ है, क्योंकि यहां महा शिवरात्रि पर्व 23 फरवरी को ही शुरू हो चुका है। इस तीर्थ का निर्माण 1338 ई. में ‘विद्यारान्य’ नामक एक ऋषि ने कराया था, जो विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों के संरक्षक थे। महा शिवरात्रि पर यहां शाम 7:30 बजे शुरू होने वाली चतुर्याम पूजा अगली सुबह तक जारी रहती है। यह पूजा चंद्रमौलेश्वर को समर्पित है।

हर घर महा शिवरात्रि पर्व का निमंत्रण देने की परंपरा

श्रृंगेरी मठ की स्थापना 12वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी। यहां उन्होंने कारेश्वर मंदिर की स्थापना भी की थी, जिसे भगवान शिव का प्रकटीकरण माना जाता है। यहीं महा शिवरात्रि के सभी समारोह होते हैं, जो 23 फरवरी से 1 मार्च तक जारी रहेंगे। इस 7 दिनी महोत्सव के लिए श्रृंगेरी में हर घर निमंत्रण देने की परंपरा 700 साल से चली आ रही है, ताकि लोग यहां की दिव्यता की ऊर्जा और परंपराओं का अनुभव कर सकें।

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