भारत विकसित कर रहा रक्षा कवच, क्या है इसकी विशेषता?

बेंगलूरु। रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध में नेटवर्क सेंट्रिक हथियार प्रणाली के व्यापक प्रयोग ने भविष्य की रक्षा तैयारियों को एक नई दिशा दी है। भारत भी नेटवर्क सेंट्रिक हथियार प्रणाली के विकास में पीछे नहीं है। एयरो इंडिया 2025 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) समेत अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों ने भविष्य की हथियार प्रणाली की झलक दिखाई है।
रक्षा कवच की त्रिस्तरीय
प्रणालीः दुश्मन के मिसाइल अथवा युद्धक विमानों को हवा में ही मार गिराने के लिए भारत भी इजराइल के आयरन डोम की तरह रक्षा कवच विकसित कर रहा है।
रक्षा कवच का विकास करने वाले डीआरडीओ की इकाई इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशंस सिस्टम्स के महानिदेशक डॉ बी.के. दास ने बताया कि भारत सतर्क है और रक्षा कवच विकसित कर रहा है जो तीन स्तरीय प्रणाली है। पहले स्तर पर दुश्मन की ओर से आने वाली किसी मिसाइल अथवा एयरक्राफ्ट की निगरानी होती है। इसके लिए हवाई चेतावनी प्रणाली जैसे नेत्र और कौटिल्य, उपग्रह आधारित प्रणाली, यूएवी आदि हैं। तीसरा, लेजर से प्रहार करना, जो अगली पीढ़ी का हथियार है। जब ये लेजर दुश्मन की मिसाइलों अथवा एयक्राफ्ट से टकराएंगे उनमें आग
पैदा होगी और वह जलकर खाक हो जाएगा। दो साल में यह प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होने की उम्मीद है।
स्विफ्ट ड्रोन
एयरो इंडिया में ड्रोन तकनीक का व्यापक प्रदर्शन किया गया है। वैमानिकी विकास संस्थान (एडीई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक बिपिन कुमार लाहकार ने बताया कि हम स्विफ्ट ड्रोन का विकास कर रहे हैं। अब तक पांचवीं पीढ़ी के युद्धकों में प्रयोग होने वाले स्टील्थ फीचर का प्रयोग इस ड्रोन में किया गया है। यानी, यह दुश्मनों की राडार के पकड़ से बाहर होगा। इसके 7-8 ट्रायल्स हो चुके हैं। यह अगली पीढ़ी का ड्रोन है जो निगरानी और वार दोनों में माहिर होगा। आर्चर एनजी और तपस ड्रोन का भी विकास हो रहा है।
कैट्स वॉरियर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) भी मानव शक्ति की जगह डोन स्वार्म की आकामक रणनीति बना रहा है। पायलटों की जान जोखिम में डाले बगैर सीमा पार दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने की यह योजना युद्ध के एक नए दौर की शुरुआत होगी। इसके लिए कैट्स वॉरियर का विकास हो रहा है। यह हथियार प्रणाली युद्धक विमान और ड्रोन के तालमेल से दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने पर आधारित है। इस प्रणाली में ड्रोन खुद जमीन से उड़ान भरेगा और युद्धक विमान के साथ मिशन पर जाएगा। मदरशिप कंट्रोल युद्धक विमान में बैठे पायलट के हाथ होगा। ये कैट्स वारियर तेजस, जैगुआर या सुखोई किसी भी युद्धक के साथ भेजे जा सकते हैं। एक साथ अधिकतम चार कैट्स वारियर भेजे जा सकते हैं। कैदस वारियर का ग्राउंड उन हो चुका है। यह एक साल के भीतर उड़ान भरेगा।