राजकोष: छत्तीसगढ़ बेहतर, पंजाब, केरल, बंगाल बदतर
नई दिल्ली 26 जनवरी. नीति आयोग द्वारा जारी राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (एफएचआइ) 2025 रिपोर्ट में खनिज समृद्ध ओडिशा और छत्तीसगढ़ सहित गोवा, झारखंड और गुजरात को सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में स्थान मिला है। वहीं, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और पंजाब सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में शामिल है। रिपोर्ट का प्रथम अंक 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने जारी किया। 2022-23 के वित्तीय आंकड़ों के आधार पर 18 प्रमुख राज्यों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करती हुई राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य को समझने और उनके विकास के लिए नीति-निर्माण में मदद करने के लिए तैयार की गई है।
पांच बिंदुओं पर हुआ मूल्यांकनः
रिपोर्ट में पांच प्रमुख बिंदुओं- व्यय की गुणवत्ता, राजस्व जुटाना, राजकोषीय विवेक, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता के आधार पर 18 प्रमुख राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया गया। साथ ही राज्य-विशिष्ट चुनौतियों और सुधार के क्षेत्रों के बारे में जानकारी भी दी गई।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक को ‘फ्रंट- रनर’ श्रेणी में रखा गया है। इन राज्यों ने उच्च विकास व्यय, संतुलित राज कोषीय प्रबंधन, और बेहतर ऋण स्थिरता का प्रदर्शन किया है। जबकि तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार और हरियाणा ‘परफॉर्मर’ में शामिल हैं।
यहां दिखा मजबूत वित्तीय प्रबंधन
रिपोर्ट में ओडिशा ने 67.8 के उच्चतम समग्र अंक के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया है। नीति आयोग के अनुसार, ओडिशा सहित पांच राज्य अपनी राजस्व अधिशेष स्थिति, अच्छी गैर-कर राजस्व संग्रहण क्षमता, और कम ऋण भुगतान के कारण ‘अचीवर्स’ की श्रेणी में शामिल किए गए हैं। ओडिशा ने ऋण सूचकांक (99.0) और ऋण स्थिरता (64.0) में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। राज्य का वित्तीय घाटा कम है, ऋण प्रोफाइल बेहतर है और राज्य जीएसडीपी अनुपात में पूंजीगत व्यय उच्च है। पिछले वर्षों के औसत में भी ओडिशा आगे रहा। रिपोर्ट में 2014-15 से 2021-22 तक के औसत एफएचआइ स्कोर के आधार पर ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को सर्वश्रेष्ठ राज्यों में स्थान दिया गया है।
प. बंगाल में गंभीर वित्तीय संकट की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और पंजाब सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे, जिन्हें ‘अस्पिरेशनल’ श्रेणी में रखा गया है। इन राज्यों में राजस्व का कम संग्रहण, बढ़ता ऋण भार और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा करने में विफलता जैसी समस्याएं देखी गई हैं।