एसईसीएल की अधिग्रहित जमीन पर निजी कंपनी का लगेगा प्लांट
कोरबा 05 जनवरी। जानकारी के अनुसार साल 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले का गैसीफिकेशन में उपयोग का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में कोयला मंत्रालय ने कोल गैसीफिकेशन परियोजना के लिए चयनित आवेदकों को एलओए (लेटर ऑफ अवार्ड) जारी कर वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया है।
इस वित्तीय सहायता से कोल गैसीफिकेशन परियोजना को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 8500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। कोल इंडिया ने सिथेंटिक नेचुरल गैस सहित अन्य उत्पाद कोल गैसीफिकेशन से बनाने अनुभवी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम बनाई है। चूंकि प्रस्तावित कोल गैसीकरण प्लांट को कोयले की जरूरत होगी। इस कारण उक्त प्लांट को कोयले की पर्याप्त उपलब्धता के लिए कोल लिंकेज पॉलिसी से की जाएगी।
अभी कई बिजली संयंत्रों की कोयला जरूरतें कोल लिकेंज पॉलिसी से पूरी की जाती है। पिछले दिनों कोयला सचिव की अध्यक्षता में कोल गैसीकरण परियोजनाओं को आगे बढ़ाने निजी क्षेत्र की कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ कोयला लिकेंज से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। विभिन्न कंपनियों ने कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए लिंकेज हेतु कोयला खदानों की अपनी पसंदीदा सूची पेश की है। ताकि कोल गैसीकरण प्लांट लगने के बाद जरूरत के अनुसार कोयले की आपूर्ति संयंत्र को हो सके। कोयला खदानों की पसंदीदा सूची परियोजना समर्थकों को कोल इंडिया को भेजने कहा है। इस तरह प्रस्तावित गैसीकरण प्लांट को कोल लिंकेज पॉलिसी से कोयले की आपूर्ति करने का है।
जानकारी के अनुसार एसईसीएल की अधिग्रहित जमीन पर निजी कंपनी का कोल गैसीकरण प्लांट लगेगा। इसके लिए कोल गैसीफिकेशन में भटगांव एरिया की महामाया माइंस के कोयले का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए एसईसीएल की ओर से जल्द ही ईओआई जारी करेगी, जो निजी कंपनियों के लिए कोल गैसीकरण प्लांट लगाने के अवसर पैदा करेगी। किसी भी निजी कंपनी को अधिकार मिलने पर उसके रकम निवेश पर कोल गैसीकरण प्लांट को कोयला सप्लाई में शार्टेज की चिंता न रहे इसके लिए ही अब कोल गैसीफिकेशन प्लांट के लिए कोयला आपूर्ति करने कोल लिंकेज पॉलिसी से सप्लाई किए जाने की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि कोयला नीति के तहत जिन संयंत्रों को चलाने के लिए कोयले की जरूरत होती है। उन्हें कोयला उपलब्ध कराने कोल लिंकेज का प्रावधान किया गया है। उन्हें खपत के मुताबिक कोयला संबंधित लिंकेज कोल कंपनियों से उपलब्ध कराना है। इसके लिए जिला प्रशासन से लेकर खान विभाग तक की अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बाद ही कोल लिंकेज मिलता है।