असत्य पर सत्य की विजय का महापर्व है विजयादशमीः हितानंद अग्रवाल
महाराणा प्रताप नगर में मुख्य अतिथि के रूप में रहें उपस्थित
कोरबा 14 अक्टूबर। कोरबा अंचल में असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के महापर्व विजयादशमी दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। सार्वजनिक दुर्गा पूजा उत्सव समिति महाराणा प्रताप नगर द्वारा आयोजित दशहरा और पुरस्कार वितरण में मुख्य अतिथि के रूप में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल उपस्थित रहे।
नगर निगम नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कहा कि भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चौत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोडने की प्रेरणा हमें देता है। दशहरा या दसेरा शब्द ‘दशश्(दस) एवं ‘अहन्’ से बना है। दशहरा उत्सव की उत्पत्ति के विषय में कई कल्पनाएं की गई हैं। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि का उत्सव है। दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का ठिकाना हमें नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। तो कुछ लोगों के मत के अनुसार यह रणयात्रा का द्योतक है, क्योंकि दशहरा के समय वर्षा समाप्त हो जाते हैं, नदियों की बाढ़ थम जाती है, धान आदि सहेज कर में रखे जाने वाले हो जाते हैं। इस उत्सव का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है।
दशहरा या विजयादशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन राम ने रावण का वध किया था। रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। इस दौरान समिति के अध्यक्ष सुरेश पाहुजा, पार्षद आशा जायसवाल, अजय दास वैष्णव, आकाश शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहें।