यह कैसा “विष्णु का सुशासन?” जिसमें नहीं लिखी जाती महिला उत्पीड़न की रिपोर्ट, एस पी- कलेक्टर भी नहीं सुनते गुहार..!

दर्री थाना पुलिस की दबंगई आई सामने, एस पी भी नहीं सुन रहे..!

कोरबा 2 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का चेहरा चमकाने के लिए ब्यूरोक्रेट्स ने ” विष्णु का सुशासन ” स्लोगन दिया है। लेकिन इस सुशासन का एक अलग ही चेहरा कोरबा जिला में देखने में आया है, जहां महिला उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करने से पुलिस इनकार कर देती है और फिर पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से मामले की शिकायत करने पर भी पीड़िता का न्याय मिलने का भरोसा टूट कर बिखर जाता है।

मामला दर्री थाना क्षेत्र का है। एन टी पी सी दर्री के गेट नम्बर 3 के पास की निवासी ओ बी सी वर्ग की एक महिला नन्दिनी देवी पति रामवचन प्रताप के साथ 23 सितम्बर 2024 को प्रेमबाई यादव, विश्वनाथ यादव, प्रमिला यादव और प्रेमलाल यादव सार्वजनिक स्थान पर गाली गलौज करते हुए बुरी तरह मारपीट करते हैं।

घटना के बाद नन्दिनी देवी रिपोर्ट दर्ज कराने दर्री थाना जाती है। दर्री पुलिस महिला की रिपोर्ट लिखने से इनकार कर देती है। इतना ही नहीं, पुलिस बड़ी दबंगई के साथ उसे बी एन एस की धारा 155 के तहत पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध का पत्र भी दे देती है। देखिए पत्र-

दर्री थाना पुलिस ने यह दुस्साहसिक कदम उस हालात में उठाया, जब पीड़ित महिला ने अपने साथ बेरहमी से की जा रही पिटाई का वीडियो पुलिस को दिखाया। वीडियो में महिला के साथ की जा रही मारपीट की तस्वीर कैद है। लेकिन पुलिस पुख्ता सबूत के बाद भी अपराध दर्ज नहीं किया। देखिए वीडियो-

यहां आपको बताते चलें कि नंदिनी देवी कोई आम महिला नहीं है। बल्कि वह अपने मुहल्ले की सजग नागरिक है। वह सामाजिक कार्यकर्ता है। उसकी इसी भूमिका को महत्व देते हुए पूर्व में दर्री के तत्कालीन थानेदार ने पुलिस विभाग के विशेष अभियान के तहत उसे पुलिस मित्र ( संगवारी पुलिस ) का दर्जा दिया था और अपराध नियंत्रण में उसका भरपूर सहयोग लिया था। देखिए नियुक्ति/ पुलिस की ओर से जारी सचित्र परिचय पत्र-

बहरहाल दर्री की थाना प्रभारी जो स्वयं भी महिला हैं, उन्होंने महिला उत्पीड़न के मामले में अपराध दर्ज करने से इनकार कर दिया तो पीड़िता न्याय की गुहार लगाते हुए जिला पुलिस अधीक्षक के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंचती है। एस पी साहब को आवेदन देती है। पर उसका दुर्भाग्य देखिए एक सप्ताह बाद भी एस पी साहब उसको न्याय नहीं दे पाते। इसे कोरबा जिले की पुलिसिंग का उदाहरण कहा जाए तो गलत नहीं होगा। देखिए एस पी को प्रस्तुत आवेदन की तस्वीर-

पुलिस विभाग से न्याय नहीं मिलता देखकर नन्दिनी देवी मंगलवार को जिला कलेक्टर अजित वसंत से न्याय की उम्मीद लेकर आवेदन देने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचती है। कलेक्ट्रेट खुलता है 10 बजे, मगर वह 9 बजे से ” साहेब ” के दफ्तर के मेनगेट पर आकर इंतजार करने लगती है। साहेब आफिस आ जाते हैं, लेकिन नंदिनी देवी की भेंट 2 बजे होती है। कलेक्टर साहब को टी एल की मीटिंग में जाना होता है। उनके पास समय नहीं होता। आवेदन आवक जावक में देने के लिए कह देते हैं। नंदिनी कहती है- मारपीट का वीडियो है, एक बार देख लीजिए। कलेक्टर साहब वीडियो देखने से साफ इनकार कर देते हैं। देखिए कलेक्टर को दिए गए आवेदन पत्र की तस्वीर-

नंदिनी देवी निराश है। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारा है। वह कहती है, मैं मर जाऊंगी, पर हार नहीं मानूँगी। मैं अपने साथ मारपीट करने वालों को दण्ड दिलाकर ही चैन की सांस लूंगी। गृहमंत्री से मिलूंगी। मुख्यमंत्री से भी मिलूंगी। जहां से भी न्याय मिलने की उम्मीद है, वहां तक जाऊंगी।

नन्दिनी देवी ने बताया कि उसके साथ मारपीट करने वाले लोग मुहल्ले में अवैध शराब का कारोबार करते हैं। दर्री पुलिस की उनके साथ सांठगांठ है। कभी पकड़ते भी हैं तो तुरंत छोड़ देते हैं। आरोपी पक्ष पुलिस के संरक्षण का खुले तौर पर दावा भी करता है।

यहां बताना समीचीन होगा कि जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने जिले के सभी थाना प्रभारियों को कबाड़ और अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई का फरमान जारी किया है। इसके बाद जिले के सभी पुलिस थानों में अवैध शराब के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन इसी बीच दर्री थाना पुलिस का अवैध शराब के कारोबारियों को संरक्षण देने का आरोप सामने आया है, जो जिले में पुलिस विभाग की कार्यशैली को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।

Spread the word