वन्दे भारत: प्रेरणा दायक प्रसंग

वन्दे भारत

आज से कोई 8 वर्ष पुरानी बात है, 2016 की!

रेलवे के एक बड़े अधिकारी थे, बहुत बड़े वाले – व्यवसाय से इंजीनियर थे! उनकी निवृति (रिटायरमेंट) में केवल दो वर्ष बचे थे!

आमतौर पर निवृति के नज़दीक, जब अंतिम पोस्टिंग का समय आता है, तो कर्मचारी से उसकी पसंद पूछ ली जाती है!

पसंद की जगह अंतिम पोस्टिंग इसलिये दी जाती है, ताकि कर्मचारी अपने अंतिम दो वर्षों में अपनी पसंद की जगह घर, मकान, इत्यादि बनवा ले, और निवृत होकर स्थायी हो जाये, व आराम से रह सके! परंतु उस अधिकारी ने अपनी अंतिम पोस्टिंग मांग ली ICF चेन्नई में!

ICF यानि Integral Coach Factory, यानि रेल के आधुनिक डिब्बे बनाने वाला कारखाना!

चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने उनसे पूछा, कि क्या उद्देश्य है ?

वो इंजीनियर बोले, “अपने देश की, अपनी स्वयं की “सेमी हाई स्पीड ट्रेन” बनाने का उद्देश्य है!”

ये वो समय था, जब देश मे 180 किलोमीटर प्रति घंटा दौड़ने वाले Spanish Talgo कंपनी के रेल डिब्बों का परीक्षण (ट्रायल) चल रहा था!

परीक्षण सफल था, पर वो कंपनी 10 डिब्बों के लगभग 250 करोड़ रुपए मांग रही थी, और “तकनीक स्थानांतरण का करार” भी नहीं कर रही थी!

ऐसे में उस इंजीनियर ने ये संकल्प लिया, कि वो अपने ही देश में, स्वदेशी तकनीक से, Talgo से बेहतर ट्रेन बना लेगा, उसके आधे से भी कम दाम में!

चेयरमैन, रेलवे बोर्ड ने पूछा, “Are You Sure, We Can Do It ?”

पूरे आत्मविश्वास से उत्तर मिला, “Yes, Sir!”

“कितना पैसा चाहिये संशोधन (R&D) के लिये ?”

“सिर्फ 100 करोड़ रुपए, सर!”

रेलवे ने उनको ICF में पोस्टिंग और 100 करोड़ रुपए दे दिया!

उस अधिकारी ने आनन-फानन में रेलवे इंजीनियर्स की एक टोली खड़ी की, औऱ सभी काम मे जुट गए!

देखिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आद्य सर संघचालक पूज्य गुरु जी का दुर्लभ वीडियो https://www.facebook.com/share/r/LmuLmRTcu37AaFwU/?mibextid=oFDknk

दो वर्षों के अथक परिश्रम से जो उत्कृष्ट प्रॉडक्ट तैयार हुआ, उसे हम “वन्दे भारत एक्सप्रेस” के नाम से जानते हैं!

और जानते हैं कि 16 डब्बों की इस वन्दे भारत एक्सप्रेस की लागत कितनी आई ?

केवल ₹ 97 करोड़! जबकि Talgo सिर्फ 10 डिब्बों के ₹ 250 करोड़ माँग रही थी!

  • वन्दे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेल के गौरवशाली इतिहास का सबसे उत्कृष्ट हीरा है!*

इसकी विशेषता ये है, कि इसे खींचने के लिए किसी इंजन की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि इसका हर डिब्बा स्वयं में ही सेल्फ प्रोपेल्ड है, यानि हर डिब्बे में मोटर लगी हुई है!

दो वर्षों में तैयार हुए पहले रैक को वन्दे भारत एक्सप्रेस के नाम से वाराणसी-दिल्ली के बीच पहली बार चलाया गया!

रेलवे कर्मचारियों की उस टोली को इस शानदार उपलब्धि के लिये क्या पारितोषिक मिलना चाहिये था ?

उन अधिकारी को पद्म सम्मान पद्मश्री 15 फरवरी 2019 को जब प्रधान मंत्री मोदी जी ने “ट्रेन 18″के पहले रैक को “वन्दे भारत” के रूप में वाराणसी के लिये हरी झंडी दिखा कर रवाना किया, तो उस भव्य कार्यक्रम में “ट्रेन 18” के निर्माताओं को बुलाया ही नहीं जा सका!

उल्टे पूरी टोली के ऊपर नये CRB को विजिलेंस की जांच बैठानी पड़ी!!

क्योंकि विपक्ष मे बैठे लोग इस उपलब्धि को, नये भारत की नई तस्वीर को, पचा ही नहीं पा रहे थे! और लगातार आरोप लगाते रहे, कि “ट्रेन 18” के कल पुर्जे खरीदने में “टेंडर प्रक्रिया” का पालन नहीं हुआ!

ICF ने अगले दो वर्ष, यानी 2020 तक “ट्रेन 18” के 100 रैक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी! पर नई ट्रेन बनाना तो दूर, पूरी टीम को ही विजिलेंस जांच में उलझा कर तहस-नहस कर दिया!!

सभी अधिकारियों, इंजीनियरों को ICF से दूर, अलग अलग स्थान पर भेजना पड़ गया!

देशद्रोही बिचौलिए और शक्तियां तथा, विपक्ष अपने उद्देश्यों मे काफी हद तक सफल हो गए, केवल अच्छे लोगों की चुप्पी के कारण, सदैव देशभक्तों का बलिदान ही होना पडा है!

2-3 वर्ष वो जांच चली, पर कुछ नहीं निकला! कोई भ्रष्टाचार था ही नहींं, सो निकलता क्या ?

कहां तो दो वर्षों में 100 रैक बनने वाले थे, एक भी न बना! जांच और R&D के नाम पर तीन वर्ष नष्ट हुए, सो अलग!

अंततः 2022 में उसी ICF ने, उसी तकनीक से 4 रैक बनाये, जिन्हें अब दिल्ली-ऊनाओ और बंगलुरू-मैसुर और अहमदाबाद रुट पर चलाया जा रहा है!

उन होनहार इंजीनियर का नाम है सुधांशु मनी साहब!

2018 में ही सेवा निवृत्त हो गये!

इस देश में “ट्रेन 18” जैसी विलक्षण उपलब्धि के लिये उनके हाथ केवल इतनी उपलब्धि आई, कि आज भी हम में से अधिकांश आज से पहले उनका नाम तक नहीं सुना था!

पिछले दिनों, जब “वन्दे भारत” एक भैंस से टकरा गई, और उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, तो जिनके द्वारा कभी सुई तक नहीं बनाई गई, उन देशद्रोहियों द्वारा ट्रेन के डिज़ाइन की अनर्गल आलोचना होने लगी, तब सुधांशु सर की पीडा छलक गई, और उन्होंने एक लेख लिखकर उसके डिजाइन की खूबियां बताईं!

ऐसे होते हैं हमारे देश के भीतर बैठे हुए भीतरी गद्दार, जो कि देश के विकास को बिलकुल पचा नहीं पाते हैं, और वे प्रत्येक अच्छे काम में मीन-मेख निकालकर, उस काम को ही रुकवाने के प्रयास में लग जाते हैं! जिससे देश का विकास बाधित हो सके!

ये हमारे देश के भीतर के गद्दार विदेशी गद्दारों व दुश्मनों से अधिक खतरनाक हैं! हम सभी को मिलकर इनको रोकना होगा! आगे आप स्वयं समझदार हैं, कि इनको रोकना कैसे है! आपका निर्णायक मत ही उसमें अपनी भूमिका में सफल होगा!

सुधांशु मनी साहब सेवानिवृत्त होकर आजकल लखनऊ में रहते हैं! ईश्वर उन्हें लंबी आयु प्रदान करें ।

अब आप भी चुप्पी साधे ना रहिए! मनी साहब के सम्मान में, इस पोस्ट को शेयर कर, जनता जनार्दन तक पहुंचाइए! !

भारत माता की जय!

Pratap narayan agrawal ji ki post.

प्रस्तुति- मनोज अग्रवाल, मुंगेली

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