साय का सुशासन: राजस्व मंत्री पर लगा रिश्वतखोरी का लांछन

कोरबा 14 सितम्बर। छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुवार को राजस्व विभाग के 169 अफसरों का तबादला किया है। इसमें 55 तहसीलदार भी शामिल हैं। इसके बाद तहसीलदारों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह भी आरोप है कि कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों को टारगेट कर दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है।

सिमगा के तहसीलदार नीलमणि दुबे ने राजस्व मंत्री पर पैसे लेकर ट्रांसफर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि, ट्रांसफर में क्राइटेरिया का पालन नहीं किया गया। यह सब राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के बंगले से हो रहा है। उन्होंने कहा, ट्रांसफर ऑर्डर के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

महिला तहसीलदार का 9 महीने में 3 तबादले

महिला तहसीलदार का 9 महीने में 3 बार तबादला किया है। जब वह पारिवारिक कारणों से उसने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया तो 15 लाख रुपए मांगे गए।

इसी तरह सिमगा तहसीलदार नीलमणि दुबे का 2 साल में 6 बार ट्रांसफर हो चुका है। खास बात यह है कि 4 माह में ही उनका 4 बार तबादला किया जा चुका है।

वहीं एक अन्य तहसीलदार ने कहा कि, उन्हें बस्तर संभाग में 5 साल हो गए हैं। लगातार तीन वर्षों से दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ हैं। उनका नाम ट्रांसफर सूची में था, लेकिन कल जारी आदेश में उनका नाम गायब है।

इसी तरह संघ के सचिव गुरुदत्त पंचभई का 1 साल बाद ही दुर्ग से बलरामपुर तबादला किया गया। प्रवक्ता पेखन टोंड्रे, पदाधिकारी अंजली शर्मा को धमतरी भेज दिया गया।

सिमगा तहसीलदार नीलमणि दुबे का 2 साल में 6 बार ट्रांसफर और 4 माह में ही उनका 4 बार तबादला।

ट्रांसफर को लेकर कोई नियम बताए मंत्री जी

सिमगा तहसीलदार कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि, मंत्री महोदय कोई क्राइटेरिया बता दें कि 2 साल से ऊपर वाले का ट्रांसफर किया गया है या 3 साल के ऊपर वाले का किया गया है। ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर तो कोई नियम होगा, मंत्री जी उसे बताएं।

उन्होंने कहा कि, अगर सरकार और शासन ही नियम-कानून नहीं मानेंगे तो यह बहुत बड़ी विडंबना है। ऐसे में प्रदेश में कैसे सुशासन आएगा? सुशासन केवल नीति और नियम बनाने से नहीं होता उसका पालन करने से सुशासन आता है।

प्रताड़ित महसूस कर लगे लोग

नीलमणि दुबे ने बताया कि 2 साल में मेरा 6 बार ट्रांसफर किया गया है। मेरा भी परिवार है, बच्चे हैं। हर व्यक्ति जिसका ट्रांसफर एक-दो साल के अंदर लगातार हुआ है, वह अपने आप को प्रताड़ित महसूस कर रहा है। यह कैसी नीति है, जो ट्रांसफर पोस्टिंग को मंत्रियों को बिजनेस बनाने पर मजबूर कर देती है।

हाईकोर्ट पहले खारिज कर चुका है ट्रांसफर लिस्ट

संघ के अध्यक्ष ने कहा कि, हम हाईकोर्ट के माध्यम से अपनी बात रखेंगे। 3 महीने पहले 150 लोगों की सूची निकली थी। हमारी अपील पर उसे हाईकोर्ट ने निरस्त किया था। लोग विधानसभा चुनाव से 2-3 महीने पहले स्थनांतरित हुए थे। जैसे ही सरकार बदली फिर ट्रांसफर कर दिया गया।

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