कोयले का अवैध उत्खनन, वन विभाग की टीम ने 620 बोरी कोयला किया जब्त

कोरबा 07 जून। वनमंडल कटघोरा के पसान रेंज अंतर्गत वन विभाग की जमीन में स्थित रानीअटारी नाला से कोयले का अवैध उत्खनन कर उसे तस्करी के लिए माफियाओं द्वारा बोरी में भरकर जंगल में छिपाकर रखा गया था जिसे वन विभाग की टीम ने जब्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। पूरे मामले में वन विभाग के कुछ कर्मचारी सकते में हैं, जिनके बारे में कई ठोस सूचना अधिकारियों को प्राप्त हुई है।

सूत्रों के अनुसार डीएफओ कटघोरा प्रेमलता यादव को सूचना मिली थी कि उनके डिविजन अंतर्गत आने वाले पसान रेंज के जल्के सर्किल में स्थित रानी अटारी नाला से कोल माफियाओं द्वारा कोयले का अवैध उत्खनन कर बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही है। यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा है। वर्तमान में माफियाओं ने फिर कोयले का अवैध उत्खनन कर इसे सीमेंट बोरी में भरकर तस्करी के लिए नाले के पास स्थित जंगल में छिपा रखा है। मुखबिर से मिली सूचना को गंभीरता से लेते हुए डीएफओ ने पसान रेंजर रामविलास दहायत, डिप्टी रेंजर उज्जैन सिंह पैकरा एवं उडऩदस्ता प्रभारी धर्मेन्द्र चौहान के नेतृत्व में वन विभाग की टीम गठित की और उसे जांच व कार्रवाई के लिए रवाना किया। टीम जब जांच-पड़ताल के लिए मौके पर पहुंची तो वहां के जंगल के कक्ष क्रमांक पी.198 में बड़ी मात्रा में कोयला भरी बोरी मिली जो लावारिस स्थिति में छिपाकर रखी गई थी। जब इसकी गिनती की गई तो उसकी संख्या 620 बोरी के लगभग निकली। समीप स्थित रानीअटारी नाला में अवैध उत्खनन की वजह से इस क्षेत्र में बड़ा गड्ढा बन गया है और मिनी खदान का रूप ले लिया है। वन विभाग की टीम ने जंगल में छिपाकर रखे गए इस कोयले को जब्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन यह हरकत कोल माफियाओं की होने की संभावनाओं को देखते हुए जांच जारी रखी है। जब्त कोयले को पसान रेंज कार्यालय परिसर लाया गया है। वन विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई से उन कोल माफियाओं में हड़कंप व्याप्त है, जो क्षेत्र में सक्रिय है और कोयले की अवैध तस्करी के कारोबार में लिप्त है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जिस कोयला को घने जंगल से जब्त किया गया है, उसकी मात्रा बहुत ज्यादा है और यह पूरा काम एक-दो दिन में नहीं हो सकता। अगर ऐसा मान लिया जाए कि माफियाओं के द्वारा यह हरकत की गई है तो वन विभाग का मैदानी अमला नींद में है या अपना काम कर रहा है। इससे पहले भी दो-तीन मौके पर इस इलाके में इस तरह की गतिविधियां सामने आ चुकी हैं।

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