डॉक्टर को रातभर बिठाया पुलिस चौकी में, मच गया बवाल, डॉक्टरों ने ओपीडी बंद रखकर जताया विरोध

न्यूज एक्शन। कोसाबाड़ी में संचालित कृष्णा हॉस्पिटल में प्रसव उपरांत शिशु के मौत के बाद परिजनों ने भारी हंगामा मचाया। अस्पताल में अप्रिय स्थिति की नौबत आ पड़ी थी। मामले की शिकायत रामपुर चौकी पुलिस से की गई। मौके पर पहुंची पुलिस अस्पताल के चिकित्सक को अपने साथ चौकी लेकर आ गई। जहां रात दो बजे से डॉक्टर को पुलिस चौकी में बिठाकर रखा गया। सुबह अन्य डॉक्टरों को जब पुलिसिया कार्रवाई की भनक लगी तो बवाल मच गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रामपुर पुलिस चौकी पहुंचकर कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे बेजा करार दिया। डॉक्टर के साथ किए गए इस व्यवहार के विरोध में जिलेभर के अधिकांश चिकित्सकों ने ओपीडी बंद कर विरोध जताया। डॉक्टर के साथ किए गए व्यवहार को लेकर राजनीतिक दबाव की चर्चा हो रही है। शहर में गुंडागर्दी की तर्ज पर समाज के एक प्रतिष्ठित वर्ग के साथ की गई कार्रवाई के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सभ्रांत लोगों का शहर में जीना दूभर हो गया है।
जानकारी के अनुसार डीडीएम स्कूल के संचालक केएन सिंह की पुत्रवधु प्राची सिंह को कोसाबाड़ी स्थित कृष्णा मल्टीस्पेशिलिटी हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। रविवार की रात प्रसूता का प्रसव कराया गया, लेकिन कुछ घंटों बाद परिजनों को शिशु के मृत होने की जानकारी दी गई। जिसके बाद माहौल गरमा गया। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। वहीं इसकी शिकायत रामपुर चौकी पुलिस से की गई। अस्पताल में मचे हंगामे को देखते हुए रामपुर चौकी पुलिस ने अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल उपाध्याय को अपने साथ चौकी लेकर आ गई। जहां रात्रि 2 बजे से चिकित्सक को चौकी में बिठाकर रखा गया। सुबह जब इस बात की भनक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टरों को लगी तो उन्होंने रामपुर चौकी पहुंचकर पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे नियम विरूद्ध बताया। आईएमए ने मामले की शिकायत पुलिस प्रशासन से की है। वहीं इसके विरोध में जिले भर के चिकित्सकों ने ओपीडी बंद कर विरोध जताया है। जिले में वैसे तो चिकित्सकों पर लापरवाही बरते जाने के कई आरोप लगते रहे हैं। परंतु इस तरह से किसी भी मामले में चिकित्सक को रात भर चौकी में अपराधियों की तरह बिठाकर नहीं रखा गया था। जबकि अस्पताल में पहले भी हंगामे होते रहे हैं। हंगामे को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से चिकित्सक को चौकी में बिठाकर रखने की बात पुलिस कह रही है। ऐसे में साफ है कि डॉक्टर को जान का खतरा था। यह बात इस ओर इशारा कर रही है कि अमरनाराण सिंह व उसके सहयोगियों द्वारा कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा कर दी गई थी। वैसे भी चौकी में इस बात की चर्चा होती रही कि राजनीतिक दबाव में डॉक्टर पर उक्त कार्रवाई की गई है। जबकि विधि जानकारों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाईन के मुताबिक किसी चिकित्सक को इस तरह से रात भर चौकी में बिठाकर नहीं रखा जा सकता। चूंकि इस बात का उल्लेख आईएसए के पदाधिकारियों सहित डॉ. विशाल उपाध्याय ने अपने लिखित शिकायत में किया है कि डॉ. विशाल उपाध्याय एक शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। उनके द्वारा अस्पताल का संचालन किया जाता है। अस्पताल में अन्य शिशु मरीज भर्ती हैं। जिनके जांच की जवाबदारी डॉ. उपाध्याय पर थी। ऐसे में उन्हें रातभर चौकी में बिठाकर रखा गया। अगर भर्ती शिशु मरीजों को इस दौरान कुछ हो जाता तो इसका जवाबदार कौन होता। बहरहाल डॉ. उपाध्याय के साथ जिस तरह की पुलिसिया कार्रवाई है उसकी निंदा समूचा चिकित्सा जगत कर रहा है। चिकित्सकीय पेशे को सम्मान की दृष्टि से देखे जाने के साथ डॉक्टरों को धरती के भगवान की उपाधि दी गई है। मरीज की जान बचाने चिकित्सक पूरी मेहनत करता है। कोई भी चिकित्सक नहीं चाहता कि मरीज की जान जाए। परंतु परिस्थितियों व गंभीर बीमारियों के कारण हर बार चिकित्सक को जान बचाने में सफलता नहीं मिलती। ऐसे में अगर कोई घटना घट जाए और उसके बाद चिकित्सक की जान को खतरा पैदा हो जाए तो फिर इस पेशे में रहने वाले चिकित्सक भय के माहौल में ही काम करने को मजबूर हो जाएंगे। भय बढ़ेगा तो वे काम करना भी छोड़ सकते हैं। यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी अपने लिखित ज्ञापन में लिखा है।

गलत कार्रवाई: डॉ. महतो
सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने इस संबंध मेंं कहा है कि कोई भी डॉक्टर जानबूझकर लापरवाही नहीं करता है। वह मरीज की जान बचाना चाहता है। डॉक्टर के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है वह पूरी तरह से गलत है।

पुलिस ने सुरक्षा को बताया कारण
डॉ विशाल उपाध्याय को चौकी बिठाए ले जाने को लेकर कोरबा सीएसपी मयंक तिवारी का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से यह कदम उठाए गए । घटना के बाद हो रहे हंगामा के बाद डॉ को सुरक्षा प्रदान करने चौकी लाया गया था। मर्ग कायम कर मामले की जांच की जा रही है।
सुरक्षा पर सवाल
पुलिस द्वारा सुरक्षागत कारणों से चिकित्सक को चौकी में रातभर बिठाए जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस ने क्या चिकित्सक के मकान में सुरक्षा व्यवस्था की थी। ऐसी स्थिति में चिकित्सक के परिवार को भी खतरा हो सकता था। ऐसे में पुलिसिया कार्रवाई और उसके बाद दिए जा रहे बयान को महज बचने का पेंतरा माना जा सकता है।

मुझे पूरी संवेदना, परिवार में कराए हैं कई प्रसव
इस मामले में कृष्णा हॉस्पिटल के संचालक एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल उपाध्याय का कहना है कि उन्हें अमरनारायण सिंह के परिवार के प्रति पूरी संवेदना है। उनसे पारिवारिक संबंध भी रहे हैं। पहले भी उनके परिवार से कई प्रसुताओं का प्रसव हमारे अस्पताल में किया गया है। इसी पारिवारिक संबंधों का हवाला देकर अमरनारायण सिंह ने डिलिवरी पूर्व कराए गए फॉर्म में हस्ताक्षर भी नहीं किया था। बच्चे की हालत शुरू से ही चिंताजनक थी। प्रसव के बाद शिशु रो नहीं रहा था। जबकि शिशु का रोना जरूरी होता है। शिशु के गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे वेंटिलेटर में रखा गया था। शिशु को बचाने पूरा प्रयास किया गया। यहां तक की परिजनों को शिशु को अन्यत्र ले जाने की भी सलाह दी गई। परिजनों द्वारा लापरवाही का जो आरोप लगाया जा रहा है वह सही नहीं है।

रामपुर पुलिस चौकी हवलदारों के भरोसे
रामपुर पुलिस चौकी प्रभारी केशर पराग टे्रनिंग पर गए हुए हैं। उनके स्थान पर प्रभार देख रहे प्रभारी जेपी शुक्ला के घर गमी हो जाने के कारण वे 12 जनवरी से अवकाश पर हैं। इस दौरान महत्वपूर्ण व संवेदनशील चौकी रामपुर प्रभारीविहीन हो गई है। हवलदारों के भरोसे चौकी चल रही है। ऐसे में इस तरह के गंभीर मामले मेें रामपुर चौकी में चिकित्सक डॉ. उपाध्याय को रातभर बिठाकर रखा गया। वरिष्ठ अधिकारियों की गैर मौजूदगी में जिस तरह से उक्त कार्रवाई की गई है उसे लेकर भी पुलिस महकमे के खिलाफ कई सवाल खड़े हो गए हैं।
आईएएम ने कार्रवाई को बताया गलत
इस मामले में आईएमए के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र साहू ने डॉ विशाल उपाध्याय को रात भर रामपुर चौकी में बिना बयान लिए बैठाए जाने को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जो कार्रवाई की है वह निंदनीय है। इसके विरोध में जिले भर के डॉक्टरों ने ओपीडी बंद रखकर विरोध जताया है। भविष्य में डॉक्टरों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी तो जिलेभर के चिकित्सक काम करना बंद कर देंगे । मामले की शिकायत की गई है ।

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