कोरबा में बारिश इन.. डामर आउट, रह गई सिर्फ बजरी.. महापौर का बयान – “आई डोंट नो”
कोरबा 05 जुलाई. हर वर्ष की भाँती इस वर्ष भी पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से नगर निगम कोरबा द्वारा निर्मित शहर की हाई क्वालिटी डामर सड़कों का डामर पानी के साथ बह गया। सड़क के नाम पर अब बस बजरी का अम्बार बचा है जिससे उड़ रही धुल से वाहन चालकों के साथ ही पैदल चलने वाले लोग भी परेशान हैं। सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हो रखे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी दोपहिया वाहन चालकों को हो रही है।
लगभग पिछले एक दशक से नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्र में हर वर्ष सड़कों का डामरीकरण कराया जा रहा है। सड़क की गुणवत्ता परख कर ही निर्माण एजेंसी का बिल पास किया जाता है। ठेका शर्तो के अनुसार 3 वर्ष तक सड़क के रखरखाव की जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की होती है, लेकिन यह शर्त केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है। जनकोष के करोड़ो रुपये खर्च करने के बावजूद निगम क्षेत्र में सड़के 1 वर्ष भी टिक नहीं रही है और हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पहली बारिश में ही उखड़ गई है. निगम द्वारा निर्माण एजेंसी से किस ढंग से काम कराया गया है और उसमें कितनी गुणवत्ता है इसका अंदाजा सड़क को देखकर ही लगाया जा सकता है। पहली ही बारिश में सड़क पर बिछाई गई डामर उड़नछु हो गई है और मार्ग में फैली बजरी राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई है।
निगम क्षेत्र की कई सड़कें ऐसी हैं जिसमे विगत 3 साल में दो बार डामरीकरण कराया जा चुका है जीसमे मुख्य रूप से घंटाघर मार्ग से बुधवारी मार्ग, आईटीआई मार्ग, सोनालिया नहर मार्ग से स्टेशन तक, महाराणा प्रताप नगर मार्ग शामिल है। बावजूद इसके सड़क की हालत बारिश शुरू होते ही जर्जर हो गई है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे और बजरी दिख रही हैं। ऐसे ही निगम द्वारा साकेत भवन के सामने से तहसील कार्यालय तक, प्रेस क्लब के सामने से बुधवारी बाईपास तक सड़कों का डामरीकरण कराया गया था जिनका हाल भी किसी से छुपा नहीं है।
अपना काम बनता.. भाड़ में जाए जनता
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी नगर निगम के अधिकारियों को नहीं है क्योंकि न सिर्फ इन सड़कों के निर्माण और भुगतान की फाइल उनके टेबल से गुजरती है बल्कि रोजाना अधिकारियों का आना-जाना इन्ही सड़कों से होता है। इसके बावजूद लोगों को हो रही परेशानी को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। वास्तविकता तो यह है की ठेकेदार के भुगतान से मेंटेनेंस हेतु रोकी हुई राशि का अधिकारी और ठेकेदार द्वारा मिलीभगत कर भोग लगा लिया जाता है। निगम के साहबों का एक ही फंडा है, अपना काम बनता.. भाड़ में जाए जनता।
महापौर ने कहा – “आई डोंट नो”
वहीं महापौर राजकिशोर प्रसाद से जब सड़क की स्थिति पर सवाल किया गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वह इस संबंध में कुछ नहीं बता सकते। उनका कहना था कि आप नगर निगम के अधिकारियों से बात करें क्यूंकि उनके सुपरविजन में इन सड़कों का निर्माण हुआ है। सड़कों की गुणवत्ता का जवाब नगर निगम के अधिकारी ही दे पाएंगे।