बोरर का प्रकोपः बीमारी की जद में आ चुके साल के 923 पेड़ कटेंगे

कीट प्रकोप से कट चुके 497 पेड़, 426 पेड़ों को काटने की तैयारी
केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से मिली अनुमति

कोरबा 09 जून। जिले में बालकों के सघन वन क्षेत्र में साल पेड़ पर बोरर का प्रकोप दो साल से बढ़ता जा रहा था। इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार विभागीय अधिकारियों ने बीमारी की जद में आ चुके 923 पेड़ों को कटने की केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय से अनुमित मांगी। अब तक विभाग ने 497 पेड़ों की कटाई की है। जल्द पूरी तरह सूख चुके शेष 426 पेड़ों की कटाई की जाएगी, ताकि जंगल को सुरक्षित रखा जा सके। कट चुके पेड़ों की जगह मे दोगुना साल पौधा मानसून के दौरान रोपण करने का निर्णय वन विभाग ने किया है।

वन क्षेत्रों पाया जाने वाला साल वृक्ष पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्रमुख माना जाता है। बालको, कोरबा वन परिक्षेत्र में यह बहुतायत संख्या में पाई जाती है। पिछले दो साल में पेड़ों में आ रही साल बोरर की बीमारी ने वन अमले की चिंता बढ़ा दी। केशलपुर के आसपास भारी संख्या में साल के सूखे पेंड़ देखे जा सकते हैं। ये वृक्ष मौसमी प्रभाव से नहीं सूखे हैं। दरअसल हरे भरे जंगल में नजर आने वाले सूखे पेड़ों में बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा था। तेजी से बढ़ रही बोरर कीट ने वन अफसरों की चिंता बढ़ा दी। समस्या निराकरण के लिए 1200 से अधिक पेड़ को चिन्हांकित किया गया। बोरर कीट को नष्ट करने दवा का छिड़काव भी किया गया। पेड़ों के उन हिस्सों को ब्लाक किया गया, जहां से बोरर कीट ने प्रवेश किया था। जिससे लगातार बढ़ रहे बोरर पर अंकुश तो लगा लिया गया, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हो सका। बीमारी को रोकने के लिए ठोस पहल जरूरी था।

लिहाजा वर्ष 2022-23 में कोरबा वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ प्रियंका पांडेय ने 923 पेड़ों की कटाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेज दिया था। वन अफसरों की लगातार प्रयास के बाद मंत्रालय ने पेड़ काटने अनुमति प्रदान कर दिया है। इसके साथ ही वन विभाग ने पेड़ों की कटाई भी शुरू कर दी है। मानसून से पहले सूख चुके सभी पेड़ों की कटाई पूरी कर ली जाएगी। खास बात यह है कि कट चुके पेड़ों की तुलना दोगुने संख्या में पौधें लगाए जाएंगे। बताना होगा कि वन विभाग की ओर से प्रति वर्ष नर्सरी तैयार कर वन क्षेत्रों में पौधों की रोपणी की जाती है। लक्ष्य से दोगुनी संख्या में पौधों की रोपणी की जाती है ताकि कुछ पौधे नष्ट हो जाने के बाद भी वन क्षेत्र संरक्षित रहे।

वन विभाग के अधकारियों की मानें तो साल वृक्ष की उम्र सामान्य तौर पर एक हजार वर्ष होता है, लेकिन कोरबा वन मंडल के सतरेंगा मे 14 सौ साल पुराना साल वृक्ष है। जिसकी ऊंचाई 28 मीटर व गोलाई 25 फीट है। इस राज्य का सबसे बड़ा वृक्ष माना जाता है। इसी तरह कोरबा वन मंडल के ही मातमार के साल वृक्ष को दूसरा सबसे बड़ा पेड़ माना जाता है। बताया जा रहा है बालको वन परिक्षेत्र के केशलपुर जंगल में बोरर से प्रभावित वृक्षों की कटाई की गई है. इस दौरान दो प्रकार के लकड़ी का संग्रहण किया जा रहा है। जिसमें जलाऊ व इमारती लकड़ी शामिल हैं. विभाग द्वारा जलाऊ लकड़ी को कोरबा तो इमारती लकड़ी को कासनियां डिपो भेजा जा रहा है.

बोरर एक प्रकार का कीट है, जो एक बार में 300 से 500 अंडा देता है. साल बोरर मानसून समाप्त होने के बाद पेड़ पर लगता है, जो उम्र भर पेड़ पर रहता है. एक हरे भरे पेड़ को 1500 कीट घुन की तरह चट कर जाते हैं. बोरर का समाप्त करने का एकमात्र उपाय पेड़ की कटाई है, अन्यथा यह साल पेड़ में तेजी से फैल जाता है। केशलपुर के आसपास बोरर की जद में आ चुके 923 वृक्ष को चिन्हांकित किया गया था। मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद 497 पेंड़ो की कटाई की जा चुकी है। शेष पेड़ों की भी कटाई की जाएगी। कटाई होने वाली पेड़ों की जगह में नए पौधे वन क्षेत्रों में तैयार किए जाएंगे। वन विभाग की ओर से नर्सरी तैयार की जा रही है।

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