आगामी वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ में 6,300 मेगावाट तक बढ़ेगी बिजली की खपत
कोरबा 03 दिसम्बर। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने आगामी वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ में बिजली की खपत 6,300 मेगावाट तक पहुंचने का पूर्वानुमान लगाया है। तीन साल में पीक अवधि के दौरान बिजली की मांग में 958 मेगावाट की वृद्धि हुई है, यानी इस अवधि में करीब 19 प्रतिशत बिजली की मांग राज्य में बढ़ी है। घरेलू मांग के अलावा बिजली की खपत उद्योगों और खेती-किसानी में है।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य में चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के बीच पीक अवर्स (शाम छह से रात नौ बजे तक) में बिजली की औसतन मांग 5,836 मेगावाट रही। जबकि वर्ष 2022-23 की समान अवधि में मांग 5,339 मेगावाट रही। इसके पहले वर्ष 2021- 22 में औसतन मांग 4,878 मेगावाट दर्ज की गई थी। छत्तीसगढ़ राज्य की जनसंख्या लगभग तीन करोड़ है। बीते तीन वर्ष के आंकड़े बता रहे हैं कि अधिकतम मांग अवधि यानी पीक पीरियड के दौरान विद्युत की खपत तेजी से बढ़ रही है। राज्य में बिजली की बढ़ती मांग की सबसे बड़ी वजह औद्योगिक और खेती की प्रगति है।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से 2,980 मेगावाट बिजली पैदा होती है। राज्य को जरूरत की शेष बिजली केंद्रीय कोटे से मिलती है। आवश्यकता पड़ने पर बिजली सेंट्रल पूल से ओवरड्राल भी की जाती है। कंपनी को बिजली उत्पादन बढ़ाना होगा, नहीं तो अन्य राज्यों की बिजली पर निर्भरता बढ़ती जाएगी। राज्य सरकार ने पांच अलग- अलग जिलों में लगभग 7,700 मेगावाट पन बिजली बनाने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर लिया है। इसके अलावा 1320 मेगावाट थर्मल पावर प्रोजेक्ट कोरबा पश्चिम में शिलान्यास भी किया जा चुका है। मड़वा प्रोजेक्ट में भी 1320 मेगावाट क्षमता का एक ओर विद्युत संयंत्र स्थापित करने की संभावना तलाशी जा रही है। इन प्रोजक्टों को अस्तित्व में आने में पांच से अधिक समय लगेगा। इस बीच विद्युत कंपनी को अन्य राज्यों से बिजली खरीदने का अनुबंध करनी होगी। पंजाब से 200 मेगावाट का एक्सचेंज अनुबंध किया गया है। इसके अलावा सिक्किम व मिजोरम से भी बिजली खरीदने की पहल की गई है।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के अलावा केंद्र और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्र प्रचालन में हैं। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अप्रैल से अक्टूबर के बीच राज्य में कुल 94,332.56 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन दर्ज किया गया। इसमें राज्य सरकार के संयंत्रों से 12,329.95 मिलियन यूनिट बिजली पैदा हुई। केंद्र सरकार के संयंत्रों यानी एनटीपीसी से 33,630.81 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ। जबकि निजी संयंत्रों से 48,371.79 मिलियन यूनिट बिजली का प्रोडक्शन दर्ज किया गया गया।
एक ओर जहां पीक पीरियड में छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग बढ़ी है वहीं समकक्ष या कुछ बड़े राज्यों में बिजली की मांग घटी है। झारखंड में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अप्रैल से अक्टूबर के बीच बिजली की मांग 2,193 मेगावाट थी, जबकि 2022 में समान अवधि में यहां बिजली की मांग 2,253 मेगावाट थी। ओडिशा में 2022 में बिजली की मांग 6566 मेगावाट थी, जबकि 2023 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच मांग 6,443 मेगावाट दर्ज की गई। देश की राजधानी दिल्ली में पीक पीरियड के दौरान बिजली की मांग में कमी आई है। 2023 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच बिजली की मांग 7,437 मेगावाट रही। वर्ष 2022 में समान अवधि में बिजली की मांग 7,695 मेगावाट थी।