पीआरएल के वाहन चालको ने काम किया ठप्प

कोरबा 26 अप्रैल। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स में आउटसोर्सिंग पर काम लेने वाली कंपनियां अपने श्रमिकों के मामले में असहिष्णु बनी हुई है। कंपनी के रवैया के कारण श्रमिक कैटेगरी में काम करने वाले लोग कई प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से वेतन नहीं देने पर वाहन चालकों ने पीआरएल कंपनी का कामकाज ठप कर दिया है। इसके कारण दीपिका खदान क्षेत्र में वाहनों की लंबी कतार लगी हुई है।

ओवरबर्डन और अन्य कार्यों के लिए पीआरएल को दीपिका क्षेत्र में काम मिला हुआ है । उसने अपनी शर्तों के तहत वाहन चालकों को यहां नियोजित किया है। बार-बार इस तरह की शिकायतें सामने आ रही थी कि वाहन चालकों के साथ कंपनी का बर्ताव बहुत सारे मामलों में सही नहीं है और एक तरीके से कर्मियों को परेशान करने की नीति अपनाई जा रही है। सीमित वेतन पर रखे गए कर्मचारियों को समय पर वेतन देने कि कोई नीति ही नहीं है। इसके चलते वाहन चालकों के सामने अपनी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने की चुनौती बनी हुई है। जानकारी के अनुसार पिछले कई महीने से वहां चालकों को कंपनी ने वेतन नहीं दिया है और बिना किसी कारण से इस मामले को लटकाने की कोशिश की जा रही है। आज सुबह इसी बात को लेकर दीपिका खदान के नंबर 18 क्षेत्र में वाहन चालकों ने काम बंद कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि एक बड़े हिस्से में गाडिय़ों की लाइन लग गई और खदान से जुड़े विभिन्न कार्य बाधित हो गए। इस बारे में जानकारी होने पर प्रबंधन अधिकारी सकते में आ गए। बताया गया कि वीआरएल कंपनी के वाहन चालक इसी बात पर अड़े हुए है कि उनका पिछला वेतन का भुगतान तुरंत कराया जाए। इसके बाद ही कामकाज शुरू करने के लिए विचार किया जाएगा। कार्मिक विभाग के माध्यम से इस मसले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। समाचार लिखे जाने तक खदान के नंबर 18 क्षेत्र में वाहनों का परिचालन थमा हुआ है।

कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के चार क्षेत्रों की विभिन्न परियोजनाओं में आउटसोर्सिंग का काम करने वाली निजी कंपनियों का हाल-चाल बिल्कुल ऐसा ही है। एनएसपीएल से लेकर सामंता और नागार्जुन जैसी कंपनियों में अक्सर इस प्रकार के मामले सामने आते रहे हैं और इनकी वजह से कई घंटे कामकाज पर ब्रेक लगता रहा है। कंपनियों को लेकर कहां जा रहा है कि यह अपनी शर्तों पर काम करा रही हैं और स्थानीय लोगों के हितों का पोषण करने में रुचि नहीं ले रही हैं।

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