छत्तीसगढ़: ST को 32% मगर सामान्य EWS को 10 की जगह केवल 04% आरक्षण
रायपुर 25 नवम्बर। आरक्षण कटौती के विवादों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में संशोधित विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। बताया जाता है कि सरकार ने आदिवासी वर्ग को 32 फीसदी, एससी को 13, ओबीसी को 27 और सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 4 फीसदी आरक्षण देने के लिए संशोधित विधेयक को मंजूरी दी है। शैक्षणिक संस्थानों में भी इसी आरक्षण को लागू करने के लिए एक अन्य संशोधित विधेयक को हरी झंडी दी गई है। अब इन संशोधित विधेयक को 1 व 2 दिसम्बर को विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में आरक्षण पर विस्तार से बातचीत हुई। हाईकोर्ट ने जिला कैडर का आरक्षण भी खारिज किया था । इसे भी में मंजूरी दी गई है। पहले उसे एक आदेश के तहत दिया जाता था। अब उसको भी एक्ट में लाया जाएगा।
मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि आरक्षण के मामले को लेकर राज्य सरकार बहुत गंभीर है। तय हुआ है कि आरक्षण अधिनियम के जिन प्रावधानों को हाईकोर्ट ने रद्द किया है, उसे कानून के जरिए फिर से प्रभावी किया जाए। इसके लिए लोक सेवाओं में आरक्षण संशोधन विधेयक- 2022 और शैक्षणिक संस्थाओं के प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक-2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई है।
हैरत की बात है कि हाईकोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए कांग्रेस सरकार ने ST का आरक्षण तो 32 फीसदी करने का फैसला लिया है। उसने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी 4 फीसदी आरक्षण देने की मंजूरी दी है परन्तु EWS कोटे में 6 प्रतिशत की कटौती कर दी है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया है। छत्तीसगढ़ में सकल आरक्षण अब 50% की सीमा रेखा को पार कर 76 % हो गया है। आखिर इसे 82% करने में भूपेश सरकार को क्या कठिनाई थी, यह प्रश्न मौजू हो जाता है।