छठ महापर्व: घाटों पर दिखा आस्था, विश्वास और भक्ति की शक्ति का नजारा
कोरबा 31 अक्टूबर। छठ महापर्व अनुष्ठान के तीसरे दिन रविवार को छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा। शहर से लेकर गांव तक भगवान सूर्य देव को अघ्र्य देने छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। शहर सहित उपनगरीय छठ घाटों पर परिवार के साथ पूजा करने वाली आस्था और छठी मइया के प्रति आस्था, विश्वास और भक्ति की शक्ति का नजारा देखने को मिला। जैसे-जैसे भुवन भास्कर की किरणें आसमान से गायब होते गईंए वैसे.वैसे लोगों का उत्साह बढ़ता गया।
रविवार दोपहर 3 बजे के बाद व्रतियों और श्रद्धालुओं का हर कदम छठ घाट की ओर बढ़ रहा था। आगे.आगे छठ मइया का दउरा व डाला और उनके पीछे व्रती व महिलाएं छठ मइया के गीत गाती हुईं छठ घाट पहुंचींए जहां विधानपूर्वक डूबते हुए सूर्य देव को अघ्र्य अर्पण के साथ तीसरे दिन की पूजा पूरी की गई। वहीं अगले दिन सोमवार सुबह इन्हीं व्रती और श्रद्धालुओं की भीड़ घाटों पर जमा होकर उगते सूर्य को अघ्र्य देगी।
सुबह के अघ्र्य के साथ ही घाटों पर आदि और गुड़ प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारणा करेंगी। उसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा हो जाएगा। शाम को शहर के ढेंगुरनाला, सुभाष ब्लॉक शिवमंदिर, मानिकपुर पोखरी, सर्वमंगला मंदिर हसदेव नदी घाट, दायीं व बायीं तट नहर, हसदेव डेम दर्री, बालकोनगर, गेवरा.दीपका, बांकीमोंगरा, पाली, कटघोरा क्षेत्र में व्रतियों ने उत्साह दिखाया।
पूर्वांचलवासियों ने चार दिवसीय महापर्व छठ के तीसरे दिन पहला अघ्र्य देने घाटों पर पहुंचे, जहां सूर्य देव को अघ्र्य देने के बाद प्रणाम करते हुए उनसे सुख.समृद्धि की कामना की गई। नगर के ढेंगुरनाला छठ घाट पर लोगों की आस्था व डूबते सूर्य देव को प्रणाम कर उनसे मंगल कामना का आशीर्वाद लेने उमड़ी भीड़ कोरोना महामारी के दो साल बाद नजर आई। जो पर्व की आस्था, उल्लास व उत्साह बयां कर रही थी।
छठ महापर्व समर्पण के साथ कष्ट का भी अनुष्ठान है। जिनकी जैसी मनोकामना होती है, उसी के अनुरूप अनुष्ठान भी करते हैं। छठ पूजा में शामिल होने वाली ऐसी व्रती जिनकी मनोकामना पूरी हो गई थी। वे छठी मइया की पूजा के लिए घाट तक डाला के पीछे-पीछे दंडवत जमीन पर लेटकर लगाते हुए पहुंचीं। व्रती के पीछे महिला सदस्य छठी मइया की गीत गाते हुए उनका उत्साह बढ़ाती रहीं।