क्या सहायक आयुक्त माया वारियर भ्रष्टाचार का खेल कर रही है?

कोरबा 4 अक्टूबर। सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग कोरबा माया वारियर क्या टेण्डर के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल कर रही है? इस विभाग में खरीदी, भवन निर्माण, भवन मरम्मत और रखरखाव के कार्य कुछ चुनिन्दा ठेकेदारों को ही क्यों मिलते हैं? इस विभाग में वर्षों से नए ठेकेदारों को कार्य क्यों नहीं मिलते? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब विभाग को और जिला कलेक्टर को तलाशने चाहिए। क्योंकि इस विभाग में केन्द्र और राज्य सरकार के अलावा डी एम एफ से भी करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष व्यय हो रहे हैं।

आदिवासी विकास विभाग कोरबा इन दिनों 1.43 करोड़ रुपयों के टेण्डर को निरस्त करने के कारण चर्चा में है। सुनने में आ रहा है कि सहायक आयुक्त माया वारियर अपने पसंदीदा ठेकेदारों को ठेका नहीं दे पा रही थीं, इसलिए उन्होंने टेंडर ही निरस्त कर दिया।

जानकारी के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय सहायता मद से प्राप्त आबंटन की राशि में कथित रूप से गफलत करने का प्रयास कुछ ठेकेदारों की सक्रियता के कारण विफल हो गया। इसके बाद आदिवासी विकास विभाग कोरबा लगातार टेंडर निरस्त कर रहा है। गत दिनों 51 लाख रुपयों के निर्माण एवं रेनोवेशन कार्य का टेंडर निरस्त करने के बाद गुरुवार 29 सितम्बर 2022 को 92 लाख की लागत का आश्रम छात्रावास रेनोवेशन का एक और टेंडर निरस्त कर दिया गया है। महज 3 दिनों के भीतर 1 करोड़ 43 लाख रुपयों का टेंडर अपरिहार्य कारण बताकर निरस्त कर दिए गए है।

आपको बता दें कि आदिवासी विकास विभाग कोरबा में व्याप्त अनियमितताओं का सिलसिला नहीं थम रहा। विभाग द्वारा गत 27 सितम्बर को 5 विभागीय आश्रम छात्रावासों, आश्रमों में लाईब्रेरी कक्ष निर्माण, सी. सी. पैसेज एवं रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित निविदा को अचानक निरस्त कर दिया गया था। इसके पश्चात गुरुवार 29 सितम्बर को विभाग ने 92 लाख का एक और टेण्डर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया। आदिवासी विकास विभाग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1) केंद्रीय सहायता मद के अंतर्गत प्राप्त आबंटन में 20 सितंबर 2022 को विभागीय आश्रम छात्रावासों, आश्रमों में लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत ठेकेदारों से 01.01.2015 से प्रभावशील दर पर निविदा आमंत्रित की गई थी। उक्त निविदा की कुल लागत 92 लाख रुपये था। रेनोवेशन कार्य हेतु आमंत्रित टेण्डर को एक बार फिर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया है। इससे दो दिन पूर्व ही बुधवार को 5 आश्रम, छात्रावासों के कार्य को निरस्त कर दिया गया था। इस तरह केंद्रीय मद से प्राप्त 5 करोड़ 95 लाख के आबंटन में से 1 करोड़ 43 लाख का टेंडर अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया है।

जन चर्चा है कि विभाग द्वारा टेंडर प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर चहेते ठेकेदारों को कार्य देने की कोशिश की जा रही थी जिसकी जानकारी मिलते ही अन्य ठेकेदार कार्यालय पहुंच गए और आपत्ति जताने लगे। मामला तूल नहीं पकड़े इसलिए निविदा निरस्त किए जा रहे। बहरहाल इसी वजह से आदिवासी विकास विभाग कोरबा में खरीदी सहित निर्माण और रखरखाव कार्यों की सूक्ष्म जांच की जरूरत बताई जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 28 करोड़ रुपयों के 18 अन्य कार्यों को लेकर भी पक्षपात बरतने का मामला सामने आया था। इस मामले के हाईकोर्ट बिलासपुर में लम्बित होने के बावजूद कार्य आदेश जारी कर काम शुरू कर देने की चर्चा सुनने में आई थी। बताया जाता है कि गत वर्ष से विभाग में जो भी स्टीमेट बन रहे हैं उनमें भारी भ्रष्टाचार की गुंजाइश रखी जा रही है। स्टीमेट का परिक्षण कराने पर इस गड़बड़ी की पुष्टि ही सकती है। बताया जा रहा है कि कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए ही नगर निगम कोरबा के एक इंजीनियर को विभाग में अटेच कराया गया है। उक्त इंजीनियर नगर निगम में भी समानांतर सेवा दे रहे हैं।

इधर रविवार को कोरबा प्रवास पर पहुंची भारत सरकार की आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने केंद्र सरकार दी गई राशि में गड़बड़ी पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि विकास कार्य के लिए जारी राशि में कोई गड़बड़ी नहीं होने पाए। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कोरबा आने वाले केंद्र सरकार के सचिव प्रेस से जानकारी शेयर करेंगे और पत्रकारों से भेंट करेंगे।

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