आउटसोर्सिंग में स्थानीय लोगों को नहीं रखने पर नरईबोध में किया गया प्रदर्शन

कोरबा 2 अक्टूबर। कुछ मुद्दों को लेकर भू-विस्थापितों की राजनीति करने वाले संगठन ने आज नरईबोध में प्रदर्शन किया। आउट सोर्सिंग पर रखे गए मजदूरों में स्थानीयों की उपेक्षा को मुद्दा बनाया गया था। प्रदर्शन की जानकारी होने पर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर नायब तहसीलदार दीपका वीरेंद्र श्रीवास्तव ने यहां मोर्चा संभाला, जिन्हें बीजापुर स्थानांतरित करने का आदेश एक दिन पहले ही जारी हुआ है। कुसमुंडा.हरदीबाजार मार्ग पर नरईबोध में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदान काफी नजदीक है। यहां के लोगों की समस्याएं पहले से बनी हुई है। वर्तमान में दूसरी खदान का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर परेशानियां हैं। कई मौकों पर इस विषय को लेकर तेवर दिखाए गए थे। इसके अलावा एसईसीएल के काम को रोकने की कोशिश की गई। हर बार प्रशासन के हस्तक्षेप से बात बनी। भरोसा दिया गया कि संबंधित गतिरोध को दूर करने के लिए चीजों को समझने के साथ अध्ययन करते हुए काम किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक एसईसीएल में विस्तारित क्षेत्र में आउटसोर्सिंग पर नई कंपनी में बाहर से लोगों को नियोजित किया है। मांग की जा रही है कि स्थानीय लोगों को महत्व दिया जाएए जिसकी कमी बनी हुई है। नरईबोध में झंडे बैनर के साथ प्रभावित वर्ग ने प्रदर्शन किया। इसके चलते फिर से दिक्कतें खड़ी हुई। लोग इस बात पर अड़े हैं कि सक्षम अधिकारियों को यहां पर बुलाने के साथ समस्या का पूर्णता समाधान कराया जाएए इसके बिना वे किसी विकल्प को नहीं मानने वाले हैं। आज दोपहर प्रशासन की ओर से दीपका के नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव यहां पहुंचे। पुलिस के अलावा एसईसीएल के अधिकारी भी मौके पर थे। ज्ञात रहे कोरबा जिले में एसईसीएल की कई परियोजनाओं में आउट सोर्सिंग के साथ-साथ विस्थापितों के मसले पर आए दिन विरेध पैदा हो रहा है। प्रबंधन का कहना है कि कंपनी ने नियमों के तहत जमीन प्राप्त की है और रोजगार व अन्य सुविधाओं के मामले में सरकार की नीति के तहत ही काम किया जा सकता है। किसी के नियम शर्तों पर नहीं। बार-बार इसी बात को समझाया जा रहा है। फिर भी मामले जारी हैं। राजस्थान सहित कई राज्यों को चाहिए कोयला छत्तीसगढ़ में कोरबा, मनेंद्रगढ़, सूरजपुर, अंबिकापुर और रायगढ़ जिले में कोयला का भंडार है। यहां से इसका दोहन काफी समय से जारी है। देश के अलावा अन्य क्षेत्रों को इसकी आपूर्ति कराई जा रही है। राजस्थान में बिजली की उपलब्धता को लेकर वहां की सरकार ने पर्याप्त कोयला की मांग छत्तीसगढ़ से की है। इसलिए एक कोल ब्लॉक के लिए कामकाज जारी है।

जानकारों का कहना है कि भूगर्भ में उपलब्ध खनिज संसाधनों की उपयोगिता के लिए उसे दोहन की प्रक्रिया से गुजरना होगा। जाहिर तौर पर इसके लिए सतही तौर पर कई तरह का प्रबंधन होगा और इसकी कीमत भी चुकानी होगी। यह बात अलग है कि कई बार राजनीतिक कारणों से ऐसे मुद्दे गरमा जाते हैं और इनकी हवा कई क्षेत्रों को प्रदूषित करती है। जबकि इसका खामियाजा कोल इंडिया सहित दूसरी खनन कंपनियों को उठाना पड़ता है।

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