कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी ( 04 SEPT-22)
रवि भोई
आरएसएस के मंथन से निकलेगा छत्तीसगढ़ जीत का अमृत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) का तीन दिवसीय चिंतन बैठक 10 से 12 सितंबर तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चलेगा। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे। संभवतः वे 9 सितंबर को रायपुर आ जाएंगे। इस बैठक में भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा, महासचिव बीएल संतोष और सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश हिस्सा लेंगे। छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव होना है , ऐसे में इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आमतौर पर जिन राज्यों में चुनाव होता है, उसके पहले संघ की इस तरह की बैठक होती है। कहते हैं 2018 के चुनाव के पहले संघ के लोग नाराज थे, लेकिन 2023 के पहले संघ अपना फीडबैक देगा। तीन दिन की बैठक में केवल आमंत्रित ही जा सकेंगे और उन्हें बाहर निकलने की भी इजाजत नहीं होगी, इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैठक कितना महत्वपूर्ण है। इस बैठक में 2023 में जीत की रणनीति बनाने के साथ अन्य पहलुओं पर भी चर्चा के संकेत हैं। 10 सितंबर को साइंस कालेज मैदान में जगतप्रकाश नड्डा की सभा भी प्रस्तावित है। इसके लिए पार्टी के लोग भीड़ जुटाने में भी लगे हैं। आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक के बाद भाजपा की चुनावी रणनीति और व्यूहरचना साफ होगी।
चमक सकती है गुहाराम की किस्मत
छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का पद ओबीसी वर्ग को दिया है। अब आदिवासियों और अनुसूचित जाति को साधने की रणनीति पर पार्टी काम कर रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी अनुसूचित जनजाति वर्ग में राज्य के कोटे से आदिवासी महिला रेणुका सिंह को केंद्र में मंत्री और द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने को खूब प्रचारित करने पर काम कर रही है, वहीं अनुसूचित जाति को अपने पक्ष में करने के लिए राज्य के एकमात्र अजा सांसद गुहाराम अजगले को केंद्र सरकार में मंत्री बनाए जाने की बात चल रही है। गुहाराम दो बार के भाजपा सांसद हैं। अजा वर्ग को साधने के लिए पार्टी पहले इस वर्ग के विधायक पुन्नूलाल मोहले को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहती थी, लेकिन उम्र और क्षेत्रीय समीकरण से मामला गड़बड़ा गया। पार्टी का मानना है कि राज्य में बहुजन समाज पार्टी के कमजोर होने से अजा वोट बिखरेगा, ऐसे में इस वर्ग को साध कर अजा वोट बैंक को अपने पाले में किया जा सकता है। राज्य में अजा वर्ग का 11 -12 फीसदी वोट है।
हिमशिखर गुप्ता का रुख भी दिल्ली की तरफ
2007 बैच के आईएएस हिमशिखर गुप्ता भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति में जाना चाहते हैं। कहते हैं इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार को आवेदन किया है। हिमशिखर गुप्ता अभी छत्तीसगढ़ सरकार में उद्योग और सहकारिता विभाग के स्वतंत्र रूप से विशेष सचिव के साथ पंजीयक सहकारी संस्थाएं हैं। कहा जा रहा है अगले साल 2007 बैच के आईएएस अफसरों का केंद्र सरकार में नियुक्ति के लिए संयुक्त सचिवों का इनपैनल्मेंट होना है, ऐसे में हिमशिखर गुप्ता को भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर रहने का लाभ मिल सकता है। संयुक्त सचिव स्तर के नीचे पदों के लिए केंद्र सरकार में इनपैनल की आवश्यकता नहीं होती। माना जा रहा है कि हिमशिखर गुप्ता भारत सरकार में जाते हैं, तो उन्हें डायरेक्टर लेवल का पद मिल सकता है। आमतौर पर देखा जाता है कि 10 -15 साल की सेवा के बाद आईएएस अफसर दिल्ली की तरफ रुख करते ही हैं, जिससे केंद्र सरकार में उनके कैरियर का रास्ता खुल जाय। छत्तीसगढ़ में अभी 2006 बैच के आईएएस सचिव बन गए हैं। अगले साल 2007 बैच वाले भी संभवतः सचिव प्रमोट हो जाएंगे।
दरियादिली नहीं दिखाई बड़े अफसरों ने ?
कहा जा रहा है कि राज्य के बड़े अफसर दरियादिली दिखाते तो 2006 बैच के कुछ और आईएएस अधिकारी भारत सरकार में संयुक्त सचिव के लिए इंपैनल हो सकते थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पिछले महीने 2006 बैच के 55 आईएएस अधिकारियों को संयुक्त सचिव या संयुक्त सचिव समकक्ष स्तर पर नियुक्त करने की सिफारिश की। छत्तीसगढ़ से अंकित आनंद, एस भारतीदासन व एलेक्स पॉल मेनन का नाम है। राज्य में 2006 बैच के सात आईएएस अफसर हैं। उत्तरप्रदेश कैडर से पांच और महाराष्ट्र कैडर के चार अफसर संयुक्त सचिव इंपैनल हुए हैं। आईएएस अफसरों को संयुक्त सचिव के तौर पर इंपैनल करने के लिए भारत सरकार कड़े मापदंड अपनाती है। सीआर के साथ राज्य के वरिष्ठ अफसरों से फीडबैक भी लेती है। आमतौर पर बड़े अफसर केंद्र सरकार में अपने राज्य की छवि चमकाने और कामकाज को सुगम बनाने के लिए उदारता बरतते हुए अपने कनिष्ठ के बारे में सकारात्मक राय देते हैं , लेकिन जहां बड़े अफसर बड़ा दिल नहीं दिखाते और अपने कनिष्ठ के बारे में अच्छा-अच्छा बोलने में कंजूसी कर जाते हैं , वहां संख्या कम हो जाती है। लगता है छत्तीसगढ़ के आला अफसर अपने जूनियर के बारे में मीठा बोलने में कंजूसी कर गए और यहां से जाने वाले ज्यादा नहीं हो पाए।
कौन होगा वन विभाग का अगला मुखिया ?
छत्तीसगढ़ वन विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य वन संरक्षक ( पीसीसीएफ ) राकेश चतुर्वेदी 30 सितंबर को रिटायर होने वाले हैं। इस कारण छत्तीसगढ़ वन विभाग के अगले मुखिया के नाम को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। राकेश चतुर्वेदी के बाद वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर 1986 बैच के आईएफएस अतुल कुमार शुक्ला हैं। श्री शुक्ला वर्तमान में वन विभाग की मुख्यधारा में नहीं हैं। वे स्टेट फारेस्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं, जिसे कमतर पोस्टिंग कहा जाता है। इनके बाद 1987 बैच के आईएफएस संजय शुक्ला का नंबर है। संजय शुक्ला राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक हैं। मिलेट के उत्पादन और उससे कई तरह के प्रोडक्ट तैयार करने को लेकर लघु वनोपज संघ चर्चा में है और इसका श्रेय संजय शुक्ला को जाता है, ऐसे में संजय शुक्ला को छत्तीसगढ़ वन विभाग के मुखिया का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। संजय शुक्ला अगस्त 2023 में रिटायर होंगे। इस पद पर उनकी नियुक्ति होती है, तो एक साल से भी कम समय मिलेगा। संजय शुक्ला का नाम रेरा के चैयरमेन के लिए भी चर्चा में है। रेरा के वर्तमान चैयरमेन विवेक ढांड का कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म होने जा रहा है। संजय शुक्ला रेरा के चैयरमेन बनते हैं , तो उन्हें लंबा कार्यकाल मिलेगा। 1987 बैच के आईएफएस पी. वी. नरसिंहराव, पी.सी.पांडेय और बी. वी. उमादेवी भी हैं, पर ये सभी इसी साल दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद वरिष्ठता क्रम में 1988 बैच के आईएफएस सुधीर कुमार अग्रवाल का नाम है। सुधीर अग्रवाल अगस्त 2025 तक पद में बने रह सकते हैं।
क्या आरिफ बनेंगे रायपुर आईजी ?
चर्चा है कि 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ हुसैन को रायपुर रेंज का आईजी बनाया जा सकता है। शेख आरिफ रायपुर के एसएसपी रह चुके हैं। वे अभी राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो के प्रभारी हैं। रायपुर रेंज के आईजी का प्रभार अभी दुर्ग रेंज के आई जी बद्रीनारायण मीणा के पास है। छत्तीसगढ़ में 2004 बैच तक के आईपीएस आईजी प्रमोट हो गए हैं। शेख आरिफ अगले साल तक आईजी प्रमोट हो जाएंगे। सीनियर डीआईजी के तौर पर रायपुर रेंज की कमान सौंपी जा सकती है। पूर्व में भी कई रेंज में सीनियर डीआईजी को आईजी का प्रभार दिया जा चुका है। वैसे राज्य सरकार ने शेख आरिफ को रायपुर एसएसपी के पद से सीधे डीजी स्तर के पद पर पदस्थ किया है। ईओडब्ल्यू के मुखिया का पद राज्य स्तरीय है, पर रायपुर के आईजी का अपना महत्व है।
11 सितंबर को अस्तित्व में आएगा सक्ती जिला ?
खबर है कि जांजगीर-चांपा जिले को तोड़कर बनाया जा रहा सक्ती जिला 11 सितंबर को अस्तित्व में आ जाएगा। पहले सक्ती जिले का शुभारंभ तीन सितंबर को होने वाला था, लेकिन सक्ती के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के विदेश यात्रा में रहने के कारण इसे टाल दिया गया। अब 11 सितंबर के उद्घाटन की तैयारी चल रही है। इस महीने अब तक तीन नए जिले, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, मोहला-मानपुर-चौकी और सारंगढ़-बिलाईगढ़ का शुभारंभ हो चुका है। सक्ती जिले के उद्घाटन के साथ राज्य में 32 जिले हो जाएंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी को भी जिला बनाए जाने की घोषणा की है।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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