निगम के सभी वाडों में आवारा कुत्तों के हमले से लोग हो रहे जख्मी
कोरबा 2 सितम्बर। नगर के अनेक हिस्सों में पागल व आवारा किस्म के कुत्तों की बाढ़ सी आ गई है। कुत्तों की हरकतों और हमलो के कारण आए दिन लोग जख्मी हो रहे हैं। इस तरह की घटनाओं के बीच नगर निगम के उन दावों की पोल खोल रही है जिसमें पिछले वर्ष 600 से अधिक आवारा कुत्तों की नसबंदी कराने की बातें ही गई थी और इस पर लाखों रुपए खर्च किए गए थे। नगर निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 23 रविशंकर नगर में इस प्रकार की समस्या के कारण लोगों का जीना हराम हो गया है। नागरिकों ने बताया कि यहां पर काफी संख्या में आवारा और पागल कुत्तों की बाढ़ आ रही है जिसके कारण आए दिन हमले हो रहे हैं। इसकी शिकायत कॉलोनीवासियों ने पार्षद व नगर निगम से भी की गई है लेकिन अब तक इनके रोकथाम हेतु अभी तक कोई औपचारिक पहल नही की गई।
दादर खुर्द रोड स्थित एक आवास में रहने वाले एक अधिवक्ता की पत्नी नाशबा खान उम्र 42 वर्ष को कुत्तों के एक झुंड ने बुरी तरह से काट लिया। यह घटना शाम 4 बजे तब हुई जब महिला अपने बच्चे को स्कूल से लेकर घर आ रही थी। संक्रमण से बचने के लिए पीडि़ता को अब तक इंजेक्शन लग रहा है। इससे पहले की ऐसी घटना आम हों जाए, कुत्तों को पकडऩा ज्यादा जरूरी हो गया है। यंहा कुत्तो की संख्या लगभग 15 के आसपास होगी, जिन्हें दिन रात लड़ते भोकते हुए देखा और सुना जा सकता हैं। शारदा विहार में भी इसी प्रकार की समस्याएं नगर निगम के वार्ड क्रमांक 12 शारदा विहार क्षेत्र में भी इसी प्रकार की समस्या से लोगों का सामना हो रहा है। जानकारी के अनुसार यहां पर गंभीर बीमारी से जूझ रहे कुत्तों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। आसपास के लोगों के साथ इसकी वजह से अब तक कई घटनाएं हुई हैं। लोगों ने इसके लिए नगर निगम के आयुक्त से लेकर डायल 112 को शिकायत की लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस प्रकार के कुत्तों को यहां से हटाने के बजाय कुछ लोगों के द्वारा संरक्षण देने की कोशिश की जा रही है। और विरोध करने पर पेट्स एसोसिएशन को झूठी जानकारी देने के साथ उल्टे पीडि़त लोगों पर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आवारा कुत्तों की जिम्मेदारी लेगा कौन इस प्रकार के मामलों को लेकर सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि बीमारी से जूझ रहे आवारा कुत्तों की वजह से जिस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और लोग उसकी जद में आ रहे हैं इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी आखिर है किसकी ? जानवरों के संरक्षण को लेकर भाजपा नेत्री मेनका गांधी का संगठन और उससे जुड़े लोग आए दिन हाय तौबा मचाने पर लगे हुए हैं । लेकिन पीडि़तों की सुध लेने के लिए ना कोई आगे आ रहा है और ना ही उन्हें हो रहे नुकसान की भरपाई करने की कोशिश की जा रही है।