कोरबा में “खाकी के रंग” ने किया नए विश्वास का संचार

पुलिस के अधिकारी-कर्मचारी हो गए अब साहब से अंकल

पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की सोशल पुलिसिंग का कोरबा जिले में दिखने लगा है सकारात्मक असर

कोरबा 2 जुलाई। कहने के लिए तो पुलिस का प्रमुख कार्य अपराधों और अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण के साथ शांति और आम जनता की सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखना है, लेकिन बदलते वक्त के साथ पुलिस की लोक से जुड़ाव और जन सरोकार भी जरूरी हो गया है। ऐसे में कुछ पुलिस अधिकारी अपनी रचनात्मक सक्रियता से न केवल अपने पदस्थापना के क्षेत्र में बल्कि पूरे प्रदेश और देश में सराहे जा रहे हैं। इन्हीं में एक नाम कोरबा के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल (आई पी एस) का है, जो अपने जन सरोकारों को लेकर आम जनता के भीतर पुलिस के प्रति विश्वास और अपनत्व के साथ गहरा सम्मान जगा रहे हैं।

दरअसल कोरबा के युवा पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल छत्तीसगढ़ के ही मूल निवासी हैं। आई पी एस में चयन से पहले वे शिक्षक थे। ग्रामीण परिवेश में जन्में, पले- बढ़े, उच्च शिक्षा प्राप्त कर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में ज्ञान की रोशनी बिखेरने वाले भोजराम पटेल को ग्रामीणों के दुःख दर्द, समस्याओं, जरूरतों और उनकी सहजता सरलता के कारण उनसे की जाने वाली ज्यादतियों की भरपूर जानकारी है। उन्होंने कानूनी पेचिदगियों और परम्परागत पुलिसिंग से आम जन के साथ छत्तीसगढ़ियों को होने वाली परेशानियों को करीब से देखा है। यही वजह है कि वे अपने स्तर पर अंग्रेजों के जमाने की पुलिस की छवि बदलने और उसे जनहितैषी बनाने की दिशा में अपनी पूरी ऊर्जा लगा रहे हैं। कहना न होगा कि इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल कोरबा जिले में अनेक अभिनव योजनाओं का संचालन कर रहे हैं और आम नागरिकों की जिंदगी को सुगम बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की योजनाओं की कामयाबी और उनके जन सरोकार को केवल इस एक ही प्रसंग से समझा जा सकता है। श्री पटेल ने कोरबा जिले में चलित थाना का नया प्रयोग किया है। आम आदमी अपनी जरूरत के समय तो पुलिस थाना जाता ही है, लेकिन अब कोरबा जिला के पुलिस थाना लोगों के गांवों मुहल्लों तक पहुंचने लगे हैं और लोगों की समस्याएं सुनने के साथ जन जागरूकता का भी काम करने लगे हैं। इस योजना को ठेठ छत्तीसगढ़िया पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने नाम दिया है- चलित थाना। इस चलित थाना के सकारात्मक परिणामों का एक उदाहरण देखिए।

चलित पुलिस थाना

यह तस्वीर है कोरबा की सर्वमंगला पुलिस चौकी के चलित थाना की। पिछले दिनों सर्वमंगला पुलिस चौकी ने अपने इलाके के बरेठ मोहल्ला में चलित पुलिस थाना लगाया था। सर्वमंगला पुलिस चौकी के बरेठ मोहल्ला के चलित पुलिस थाना में प्रभारी अधिकारी विभव तिवारी पहुंचते हैं, तब तक विभागीय कर्मचारी मोहल्ले के महिलाओं पुरुषों को चौपाल में एकत्र कर चुके होते हैं। वे सबसे पहले नागरिकों को चलित पुलिस थाना के उद्देश्य की जानकारी देते हैं। इसके बाद लोगों की समस्याओं – शिकायतों की जानकारी मांगते हैं। मौके पर ही उनका निराकरण करते हैं।मगर इसी बीच एक अजीब समस्या से उनका सामना होता है। एक कुष्ट पीड़ित महिला कविता खूंटे अपने कुष्ट पीड़ित पति और स्वयं के इलाज और तीन छोटे छोटे बच्चों की परवरिश में हो रही परेशानी की जानकारी देकर आर्थिक सहयोग देने का अनुरोध करती है। विभव तिवारी के लिए यह बेहद अप्रत्याशित मांग थी। वे बरेठ मुहल्ला के लोगों से पूछते हैं कि क्या वास्तव में उक्त महिला जरूरतमंद है और उसे आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। समवेत स्वर में महिला को मदद देने की जरूरत नागरिक बताते हैं। विभव तिवारी बिना विलम्ब किये निर्णय लेते हैं। वे अपने सहकर्मी पुलिस जवानों से कहते हैं, स्वेच्छा से जो सहयोग देना चाहें दें। अपने सहयोगियों सहित वे मौके पर ही 10 हजार रुपये एकत्र करते हैं और महिला को देते हैं। मुहल्ले के निवासी इस दृश्य को देखकर अभिभूत हो उठते हैं।

मगर, सर्वमंगला पुलिस चौकी प्रभारी विभव तिवारी यहीं नहीं रुकते। मोहल्ले के नागरिक वार्ड के सामुदायिक भवन में दरवाजा नहीं होने की जानकारी देते हैं और दरवाजा लगाना जरूरी बताते है। विभव तिवारी नगर निगम में पहल कर दरवाजा लगवा देने का वायदा करते हैं। इतना ही नहीं, कुछ बाहरी लोगों की मोहल्ले में आये दिन आवारागर्दी की शिकायत पर ऐसे लोगों की सूचना पुलिस को देने की अपील करते हैं और मौके पर ही एक कर्मचारी का मोबाइल नम्बर देकर उसे सूचना पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश देते हैं। मोहल्ले के नागरिकों से विभव तिवारी जब विदा लेने लगते हैं तो बेहद मार्मिक दृश्य उभर आता है। विभव तिवारी को वहां मौजूद महिला पुरुष हाथ उठाकर आशीष देने लगते हैं। बरेठ मोहल्ला के चलित पुलिस थाना में यह दूसरा अवसर होता है, जब मानवीय संवेदना जाग उठती है। जब इस घटनाक्रम की जानकारी जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल को मिलती है तो वे भी अभिभूत हो उठते हैं और पुलिस जवानों सहित विभव तिवारी की मुक्त कंठ से सराहना करते हैं।

आपने अब तक अपने शहर में कई स्थायी पुलिस थाना देखे होंगे। फरियादी अपनी समस्या लेकर इन पुलिस थानों में पहुंचते हैं। थानों में चक्कर लगाते उनकी चप्पल घिस जाती है, लेकिन न्याय नहीं मिल पाता। इसके ठीक विपरीत कोरबा जिले में सर्वथा पहली बार पुलिस थाना गांव गांव और मोहल्ले मोहल्ले चल कर पहुंच रही है। मगर इससे भी अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन चलित पुलिस थानों में पुलिस का स्थापित परम्परा से हटकर बिल्कुल नया, संवेदनशील और मानवीय चेहरा उभर कर सामने आ रहा है।

इस सिलसिले में जिले के युवा और उत्साही पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल का मानना है कि पुलिस को अपने मूल कर्तव्यों यानी बेसिक पुलिसिंग के अलावे भी सामुदायिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों के लिए, अलग अलग जगहों के लिए, अलग अलग कई तरह की योजनाएं बनाई है। उनका कहना है कि पुलिस विभाग का आदर्श है विकास, विश्वास और सुरक्षा। पुलिसिंग इस ढंग से हो कि जनता के मन में विश्वास हो, विकास में सहभागी बने और आमजन के मन में सुरक्षा का भाव हो। उन्होंने पुलिस की भूमिका को विस्तार देते हुए आम जनता के सुख दुख का सहभागी बनाने का प्रयास किया है।

आइये नजर डालते हैं कोरबा जिले में पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल द्वारा संचालित जन हितैषी योजनाओं पर-

पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना

यह एक बेहद महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के उन लोगों को सभी आवश्यक सहायता दी जाती है, जिन्हें प्राकृतिक आपदा अथवा किन्हीं आकस्मिक घटनाओं की वजह से शासन से क्षति पूर्ति मिलती है। ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विभिन्न विभागीय प्रक्रिया पूर्ण करने से लेकर प्रशासन के स्तर पर समन्वय स्थापित कर पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने में पुलिस अमला सहयोग करता है। इससे ना केवल पीड़ित पक्ष को अनावश्यक चक्कर काटने से राहत मिलती है बल्कि अत्यंत अल्प समय में शासन की योजना का लाभ भी मिल जाता है।

पुलिस तुंहर द्वार

कोरबा जिला पुलिस की एक अन्य अनुकरणीय योजना है पुलिस तुंहर द्वार। छत्तीसगढ़ के गांवों की चौपाल में बैठकर समस्याओं को सुलझाने की प्राचीन परंपरा की याद दिलाती यह योजना शिकायतों और समस्याओं के सही एवम त्वरित समाधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। पुलिस अधिकारी शिकायत मिलने पर सम्बंधित गांव और मोहल्लों में जाते हैं। वहां स्थानीय निवासियों को एकत्र करते हैं और मोके पर शिकायत के तथ्यों की छानबीन कर मामले का निराकरण करते हैं। साथ ही गांवों की प्राचीन रीति नीति और परंपराओं की याद दिलाकर आपस में भाईचारा के साथ रहने की प्रेरणा देते हैं। साथ ही मामले मुकदमे से दोनों पक्षों को होने वाली हानि से अवगत कराते हैं।

खाकी के रंग स्कूल के संग

कोरबा पुलिस खाकी के रंग स्कूल के संग योजना भी चला रही है। पुलिस स्कूलों में पहुंच कर छात्र छात्राओं को कानूनों की जानकारी देती है और अपराधों को लेकर जागरूक बनाती है।

नौनिहाल प्रतिभा सम्मान

जिला पुलिस ने प्रतिभावान छात्र छात्राओं को प्रोत्साहन देने के लिए नौनिहाल प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम भी शुरू किया है। इस योजना के तहत गरिमामय कार्यक्रम में जिले के प्रतिभावान विद्यार्थियों को कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के हाथों सम्मानित किया जाता है। गत दिवस बालकोनगर में ऐसे ही एक कार्यक्रम में छात्र छात्राओं के साथ गुरुजनों का भी सम्मान किया गया।

संगी- संगिनी सम्मान

कोरबा जिले में पुलिस ने संगी संगिनी योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत उन महिलाओं- पुरुषों को सम्मानित किया जाता है, जो अपने गांव अथवा मुहल्लों में लोगों को आपसी विवाद और आपराधिक क्रिया कलापों से दूर रहने प्रेरित करते हैं। शांति व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस का सहयोग करते हैं। ये ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के जन‌प्रतिनिधि अथवा अपने क्षेत्र के सम्मानित नागरिक होते हैं। जिले के उरगा थाना क्षेत्र में पिछले दिनों एक समारोह आयोजित कर बिलासपुर के पुलिस महा निरीक्षक श्री रतन लाल डांगी के हाथो ऐसे ही नागरिकों का सम्मान किया गया था।

जनदर्शन

जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल प्रति सप्ताह अपने कार्यालय में जनदर्शन का आयोजन करते हैं। प्रतिदिन मुलाकातियों की समस्याओं का निराकरण करने के अलावा जन दर्शन का मंगलवार को आयोजन होता है। इस दिन जो शिकाय‌तें मिलती है, उनके लिए पृथक से अधिकारी नियुक्त कर समस्या का त्वरित निराकरण कराया जाता है। जन-दर्शन में मिली शिकायतों के समाधान के लिए अधिकारी मौके पर जाते हैं और त्वरित विवेचना पूर्ण कर आवश्यक कारवाई करते हैं।

सायबर संगवारी

सायबर संगवारी कोरबा पुलिस की एक अन्य योजना है। इसके तहत आम नागरिकों- सर्व-साधारण और खास कर युवाओं और ग्रामीणों को सायबर संबंधी अपराधों के तौर तरीकों से अवगत कराया जाता है। आन लाईन ठगी, बैंक फाड, व्हाटसप और फेसबुक के जरिये आर्थिक अपराधों की जानकारी देकर जागरुकता लाई जाती है। इस तरह का कोई अपराध होने पर उसके दुष्परिणाम से बचने के लिए उठाये जाने वाले त्वरित कद‌मों की जानकारी जन-सामान्य को दी जाती है| सायबर संगवारी, गुमशुदगी और मोबाईल गुमने, चोरी होने के मामलों में भी त्वरित विवेचना कर लोगों को राहत प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण योजना है।

अंजोर रथ

अंजोर यानि प्रकाश। कोरबा पुलिस की एक योजना है- अंजोर रथ। इस ईंजन के जरिये जिले की यातायात पुलिस लोगों को स्कूल कालेज के विद्यार्थियों और सामान्य नागरिकों को यातायात के नियमों से अवगत कराती है। स्कूल कालेज में जाकर, हाट बाजारों में पहुँच कर और विशेष कार्यक्रम आयोजित के लोगों को जागरूक करने के साथ ही स्वयं अथवा किसी अन्य के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सहायता के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी जाती है। ऐसे अवसरों पर उपयोगी हेल्प लाइन नम्बर की नोट कराया जाता है। प्राथमिक उपचार का महत्व बताकर उसके तौर तरीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

बीट पुलिसिंग

पुलिस विभाग में पूर्व प्रचलित बीट पुलिसिंग सिस्टम अब कम ही उपयोग में लाया जाता है। लेकिन पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल इस व्यवस्था पर खास जोर देते हैं। उन्होंने जिले के सभी थाना चौकियों में बीट पुलिसिंग को अनिवार्य कर रखा है। इसमें भी उन्होंने तीन श्रेणी निर्धारित कर रखा है, जो रंगों से जाने जाते हैं। ये रंग हैं- हर, पीला और लाल। इनमें हरा रंग उस क्षेत्र के लिए है जो शांत गांव या क्षेत्र होता है। यहां पुलिस नागरिकों के साथ बेहद नरम और सम्मान के साथ पेश आती है। लोगों के सतत सम्पर्क में रहती है और उनके सुख दुख में शामिल होकर उनकी सभी तरह की समस्याओं के समाधान में सहयोग करती है। दूसरे बीट की पहचान है पीला रंग। यह क्षेत्र संवेदनशील मन जाता है। ऐसे क्षेत्रों में पुलिस लगातार गस्त करती है। जन सामान्य की सुरक्षा के साथ अवांछित गतिविधियों पर नजर रखी जाती है और असामाजिक तत्वों पर सख्ती कर उन्हें नियंत्रित किया जाता है। तीसरे लाल रंग से चिन्हांकित बीट पर पुलिस की खास नजर होती है। पूरे समय ऐसे क्षेत्रों में पुलिस बल की खास तवज्जो रहती है। छोटी से छोटी घटना को गंभीरता से लिया जाता है। तुरन्त एक्शन लिया जाता है। नामजद लोगों की निरन्तर निगहबानी की जाती है और अवांछित तत्वों के साथ सख्ती बरती जाती है। जिले में बीट पुलिसिंग के पाजिटिव्ह रिजल्ट भी दिखने लगे हैं। अपराधों में कमी आई है और पुलिस के प्रति लोगों के नजरिया में बदलाव आया है।

एक समय था जब पुलिस शब्द सुनते ही एक ऐसा चेहरा हमारी कल्पना में उभर कर आता रहा था, जो लाल लाल डरावनी आंखों से हमें घूरता, रौबदार आवाज में फटकारता और बेहद निष्ठुरता के साथ किसी पर बेत बरसा रहा होता है। लेकिन इससे अलग और इसके ठीक विपरीत, पुलिस का एक और चेहरा है, जिसे जानकर ना केवल हमारी संवेदना जाग उठती है, बल्कि हम बरबस ही पुलिस की प्रशंसा कर उठते हैं। हम बात कर रहे हैं – छत्तीसगढ़ की कोरबा जिला पुलिस की, जिसकी सोशल पुलिसिंग इन दिनों लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना रही है और बेहद लोकप्रिय हो रही है। यह संभव हुआ है- जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के प्रयास से, जो पुलिस की नई छबि गढ़ने की कई कामयाब और अभिनव योजनाओं को धरातल पर उतार रहे हैं। कोरबा जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की योजनाएं लगातार लोकप्रिय हो रही हैं। लोगों को इसका फायदा भी मिल रहा है। सामुदायिक पुलिसिंग की सफलता का इससे अच्छी बानगी क्या होगी कि अब नई पीढ़ी के युवाओं का सम्बोधन ही बदल गया है। अब जिले के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी साहब से अंकल हो गए हैं।

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