अब वायु सेना के 7 ठिकानों से उड़ सकेंगे नागरिक विमान, जानें कैसे होगा संभव
नईदिल्ली 4 जून। भारतीय वायुसेना ने अपने सात ठिकानों से नागरिक विमानों का संचालन करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को 40 एकड़ जमीन सौंप दी है। एएआई अब ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) योजना के तहत हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का विस्तार करेगा। इसके बाद नागरिक उड़ानों को संचालित करने के लिए वायु सेना के मौजूदा हवाई क्षेत्रों का उपयोग किया जा सकेगा।
*क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना होगी सुविधाजनक*
वायु सेना के पास पश्चिम बंगाल में बागडोगरा, बिहार में दरभंगा, पंजाब में आदमपुर, राजस्थान में उतरलाई, उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले में सरसावा, कानपुर और गोरखपुर में एयरबेस हैं। वायु सेना के इन ठिकानों पर सिविल एन्क्लेव बनाने के लिए हवाई अड्डे को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो गई है।
*सैन्य भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को सौंपने का लिया फैसला*
‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय वायु सेना ने रक्षा मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद सैन्य भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को सौंपने का फैसला लिया।
*AAI हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का करेगा विस्तार*
वायु सेना प्रवक्ता आशीष मोघे के अनुसार सिविल टर्मिनलों के विकास, आरसीएस उड़ानें शुरू करने और आवश्यक बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए एएआई को सातों ठिकानों की लगभग 40 एकड़ भूमि सौंप दी है।
*हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का भी होगा विस्तार*
अब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण उड़ान योजना के तहत नागरिक उड़ानों को संचालित करने के लिए हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का विस्तार करेगा। इसके बाद वायु सेना के मौजूदा हवाई क्षेत्रों का उपयोग किया जा सकेगा। इन स्थानों पर हवाई संपर्क प्रदान करने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्रों का विकास होगा।
*छह अन्य एयर बेस पर होगा नागरिक हवाई अड्डों का विस्तार, प्रक्रिया शुरू*
प्रवक्ता के अनुसार इसके अलावा वायु सेना आरसीएस के तहत कवर किए गए छह अन्य एयर बेस पर नागरिक हवाई अड्डों का विस्तार करने के लिए रक्षा भूमि सौंपने की प्रक्रिया में है। इनमें श्रीनगर, तंजावुर, चंडीगढ़, लेह, पुणे और आगरा के एयर बेस हैं। इससे मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार, यात्रियों की बढ़ी हुई संख्या और कार्गो बुनियादी ढांचे को समायोजित करने में सुविधा होगी।