कोरबा का जंगल बनेगा कोबरा हाउस
कोरबा 30 अप्रैल। पश्चिमी घाटी और तराई क्षेत्रों में पाए जाने वाले किंग कोबरा की मौजूदगी छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के जंगल में मिली है। वन विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में यह पुष्ट हुआ है कि लेमरू व पसरखेत वन परिक्षेत्र में किंग कोबरा की संख्या सर्वाधिक है। अब इस क्षेत्र को किंग कोबरा हाउस रहवास क्षेत्रद्ध के रूप में विकसित किया जाएगा।
वर्ष 2014 में सबसे पहले कोरबा जिले के केराकछार में किंग कोबरा देखा गया। इसके बाद अभी पसरखेत व बताती गांव के बीच रहने वाले एक ग्रामीण के घर में 18 फीट लंबा किंग कोबरा मिला। बताना होगा कि इनकी अधिकतम लंबाई 20 फीट होती है। वन विभाग के अधिकारी किंग कोबरा की उपस्थिति के मिल रहे संकेत को गंभीरता से लेते हुए नोवा नेचर एनजीओ से सर्वे कराया। इस दौरान लेमरू व पसरखेत वन परिक्षेत्र में ही ढाई सौ से अधिक किंग कोबरा मिले। वन विभाग ने किंग कोबरा के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर राज्य शासन को सौंपा है। वन मंडलाधिकारी कोरबा प्रियंका पांडेय ने बताया कि इसे विशेष क्षेत्र घोषित करते हुए नए निर्माण व अधिग्रहण की कार्रवाई को प्रतिबंधित करने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया है। किंग कोबरा एक ऐसा सांप है जिससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती है, जिसके कारण खाद्य श्रृंखला में किंग कोबरा की उपस्थिति बेहद जरूरी है। जल्द ही कोरबा में किंग कोबरा के निवास को विकसित करने महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इससे कोरबा की जैव विविधतता और समृद्ध होगी।
लेमरू व पसरखेत के जंगल में किंग कोबरा के अनुकूल पौधे हैं और पानीदार क्षेत्र है। इस वजह से यह इनके रहने के लिए उपयुक्त स्थान साबित हो रहा। ग्रामीण क्षेत्र में इसे पहरचित्ती सांप के नाम से जाना जाता है। ग्रामीणों को वन विभाग किंग कोबरा से बचकर रहने के लिए जागरूक कर रही। तस्करों की नजर टेढ़ी ना हो इसलिए वन सुरक्षा समिति का गठन किया गया है, जिसमें ग्रामीणों को भी सदस्य बनाकर शामिल किया गया है।
किंग कोबरा दुनिया के सबसे खतरनाक सांपों में से एक माना जाता है। इसके एक मिलीग्राम जहर से व्यक्ति की जान जा सकती। इस लिहाज से गांव-गांव में मितानिनों को एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही। यह अंडे देने के लिए पत्तों से घोसला बनाती है। एक बार में 20 से 35 अंडे देती है। यह अन्य सांपों को भी खा जाते हैं चाहे वह जहरीले ही क्यों न हो। खास बात यह है कि किंग कोबरा को कितना जहर स्त्राव करना है यह खुद तय करते हैं। कई बार बिना जहर दिए काटते हैं।