रेत चोरी का सिलसिला जोरों पर, सरकार को लग रही चपत
कोरबा 28 अप्रैल। जिले में रेत घाटों का संचालन भले ही शुरू हो गया है लेकिन रेत चोरों के द्वारा चलाए जा रहे अवैध घाट और चोरी का काम जस की तस जारी है। रात्रि को हजारों टन रेत की चोरी करने के साथ उसका परिवहन किया जा रहा है। हसदेव और अहिरन नदी का बड़ा हिस्सा चोरों के निशाने पर है।
रेत चोरी के काम में सर्वमंगला नगर के साथ-साथ कई क्षेत्रों के शातिर चोर गिरोह बेहद सक्रिय हैं। वे टारगेट और रणनीति के साथ इस काम को भलीभांति अंजाम दे रहे हैं। आर्थिक उन्नति के दरवाजे इस काम ने खोल दिए हैं। हर स्तर पर संबंधों की गांठ बेहद मजबूत है। इसलिए अवैध होते हुए भी यह काम अत्यंत सरलता, सहजता और बिना किसी विघ्न के चल रहा है। अंतर सिर्फ इतना आया है कि जो काम कुछ दिनों पहले दिन के उजाले में रेत चोरों का सिंडिकेट किया करता था अब उसने कई कारणों से रात्रि को सबसे अच्छा विकल्प समझा है। लोग मान सकते हैं कि गर्मी को देखते हुए दिन में जोखिम मोल लेने से बचा जा रहा है लेकिन जानकार बताते हैं कि रात में काम करने से रिस्क नहीं होती। इसमें गर्मी की तपिश और दुनिया भर के पचड़े से भी आप आसानी से बच सकते हैं। हसदेव और अहिरन के कुछ इलाकों को रेत चोरों ने अपने लिए सबसे सुरक्षित प्वाइंट मान रखा है और बेहतर स्ट्रेटेजी के साथ इस काम को किया जा रहा है। समीकरण कितने अच्छे बना रखे हैं इसका नमूना इस बात से मिलता है कि मुख्य मार्ग से होकर आने वाले रेत वाहनों पर सर्वमंगला पुलिस चौकी की नजर बिल्कुल नहीं पड़ती। इसलिए लंबे समय से इस इलाके में ऐसे मामलों को या तो देखा नहीं जा रहा है या फिर उन्हें बख्श दिया जा रहा है।
विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों में रेत की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अलग-अलग कारणों से लोगों को रेत के लिए ज्यादा राशि चुकानी पड़ रही है। भले ही खनिज विभाग ने 491 रुपए की राशि प्रति ट्रैक्टर के लिए सुनिश्चित कर रखी है लेकिन किसी को भी इतने रुपए में रेत उपलब्ध नहीं हो पा रही है। भले ही प्रशासन ने कई मौकों पर निर्देश जारी किये हैं और निगरानी का दावा किया है लेकिन हकीकत किसी से भी छिपी नहीं है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में कोनकोना पंचायत के अंतर्गत बरौदखार से भोपाल की डीबीएल कंपनी अपने कार्यों के लिए गौण खनिज का खनन कर रही है। इसके बावजूद पंचायत को रायल्टी की राशि नहीं मिल पा रही है। यह मामला बार-बार प्रशासन के पास पहुंच रहा है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। पंचायत चाहती है कि गौण खनिज के लाभ हर हाल में उसे प्राप्त होना चाहिए।