घरेलू कामगारों के अधिकारों की रक्षा हेतु समिति गठित करे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिए निर्देश, अभी नहीं है प्रावधान
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह घरेलू कामगारों का शोषण रोकने और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करे। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रभावी कानून नहीं है जो देशभर में लाखों घरेलू कामगारों को सुरक्षा प्रदान कर सके।शीर्ष कोर्ट ने कहा कि घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी सरंक्षण नहीं होने के कारण उन्हें अक्सर कम वेतन, असुरक्षित माहौल और लंबे समय तक काम करना पड़ता है। शीर्ष कोर्ट ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के साथ-साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा विधि एवं न्याय मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे घरेलू कामगारों के अधिकारों के संरक्षण के वास्ते कानूनी ढांचे के लिए क्षेत्रीय विशेषज्ञों की एक समिति का संयुक्त रूप से गठन करें। पीठ ने कहा कि समिति का गठन केंद्र और संबंधित मंत्रालयों के विवेक पर छोड़ा गया है। यह सराहनीय होगा यदि समिति छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जिसके बाद भारत सरकार कानूनी ढांचा प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर विचार कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के बाद प्रगति की निगरानी की जाएगी। यह आदेश डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक. अजय मलिक के खिलाफ उनके घरेलू सहायक की गलत कैद और तस्करी के आरोप में दर्ज एक आपराधिक मामले को खारिज करते हुए दिया गया। न्यायालय ने उनके पड़ोसी अशोक कुमार के खिलाफ मामला रद करने के फैसले को भी बरकरार रखा। पीठ ने कहा कि भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण घरेलू कामगारों की मांग बढ़ रही है। हालांकि, यह कार्यबल शोषण और दुव्यवहार के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।