कोरोना की तीसरी लहर में भी प्रशासन उपलब्ध नहीं करा सकी सिटी स्कैन
कोरबा 10 जनवरी। कोरोना की तीसरी लहर की शुरूआत को लेकर भले ही प्रशासन कोविड अस्पतालों में सुविधाओं में इजाफा कर रही, लेकिन अभी तक सिटी स्कैन मशीन की स्थापना नहीं की जा सकी है। अभी भी निजी पैथौलैब पर प्रशासन निर्भर है। एनटीपीसी कोरबा पबंधन ने सीएसआर मद से दो करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है। एकल निविदा की वजह से मशीन खरीदी प्रक्रिया में विलंब हुआ। अभी कुछ दिनों पहले ही निविदा की प्रक्रिया पूर्ण हुई है। इसके बावजूद सिटी स्कैन सुविधा शुरू होने में दो माह समय की संभावना है। कोरोना के पिक आवर में एक बार फिर इस सुविधा के लिए लोगों को भटकना होगा।
अधूरे स्वास्थ्य सुविधा के बीच कोरोना से लड़ने की प्रशासनिक तैयारी फिर सामने आने लगी है। संक्रमितों के पूर्ण इलाज के लिए सिटी स्कैन सहायक होता है। दूसरी लहर के दौरान जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तहर शहर के निजी सिटी स्कैन केंद्रों में निर्भर रहा। क्षमता से अधिक मरीजों के आने से मशीन गर्म होकर खराब हो गया। समय पर सिटी स्कैन टेस्ट नहीं होने से मरीजों की इलाज में असुविधा हुईए कई मरीजों को जान से हाथ भी धोना पड़ा। जिला प्रशासन की ओर से उस दौरान मेडिकल सुविधाओं में बढ़ोतरी की योजना बनाई गई थी। जिसके अनुसार तत्कालिक कलेक्टर किरण कौशल ने सिटी स्कैन उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया था। साल गुजर जाने के बाद भी योजना को अब तक मूर्त रूप नहीं दिया गयाए परिणाम स्वरूप जिला स्वास्थ्य विभाग के पास अब भी सीटी स्कैन मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से बढ़ते संक्रमण के बीच मरीजों को सुविधा की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
निजी हो या सरकारी स्वास्थ्य प्रबंधनों को सिटी स्कैन मशीन की स्थापना व उपयोग के लिए केंद्र सरकार की एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है। इसके लिए टीम स्थापना स्थल पर पहुंचकर मौका मुआयना करती है। मशीन के रेडिएशन और इसके उपयोग की सुरक्षा संबंधी जांच की जाती है। अच्छी बात यह है कि मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीन अधिग्रहित ट्रामा सेंटर में पहले निजी संस्था की तरफ से सीटी स्कैन मशीन की स्थापना की गई थी। यह प्रक्रिया पहले ही पूरी की जा चुकी है। मेडिकल कालेज अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि एएआरबी से दोबारा सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए।