04 जनवरी 2022

सिनेमा, क्रिकेट से लेकर
मंच तक के कालीचर

न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि बाहर भी इस समय कालीचरण की ही चर्चा है। देखा जाए तो कालीचरण नाम को लोकप्रिय बनाने का श्रेय फ़िल्म डायरेक्टर सुभाष घई तथा अभिनेता व नेता शत्रुघ्न सिन्हा को जाता है। ‘कालीचरण’ सुभाष घई निर्देशित फ़िल्म का नाम था जिसके हीरो शत्रुघ्न सिन्हा थे। फ़िल्म सुपर-डुपर हिट रही थी। ‘कालीचरण’ ने ही शत्रुघ्न सिन्हा की ख़लनायक वाली छवि तोड़ी थी। ‘कालीचरण’ से पहले की फ़िल्मों में शत्रुघ्न सिन्हा नेगेटिव रोल ही करते रहे थे। हाल ही में राजधानी रायपुर में जो धर्म संसद हुई वह सिनेमा का पर्दा नहीं बल्कि वास्तविक मंच था। वहां साधु-संत की वेशभूषा में मंच पर मौजूद रहे कालीचरण बड़ी गैर ज़िम्मेदारी के साथ न सिर्फ महात्मा गांधी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर गए बल्कि उनके हत्यारे नाथुराम गोड़से को महान बता दिया। इसके बाद रायपुर के थाने में कालीचरण के ख़िलाफ राजद्रोह समेत अन्य मामले दर्ज हुए। काफ़ी मशक्कत के बाद रायपुर पुलिस मध्यप्रदेश के खजुराहो में कालीचरण को गिरफ़्तार करने में क़ामयाब रही। वहां से पुलिस उन्हें रायपुर लेकर आई है। पुलिस व्दारा की गई पूछताछ में कालीचरण ने कहा कि “उन्हें अपने कहे पर कोई पछतावा नहीं है। किताबों में जो पढ़ा और सुना उसी आधार पर कहा। अपनी बात पर वह अब भी कायम हैं।“ कालीचरण की गिरफ़्तारी के बाद अलग तरह की राजनीति शुरु हो गई है। कालीचरण के विरोध और पक्ष में दोनों ही तरफ बोलने वाले लोग नज़र आ रहे हैं। ‘राम’ के नाम से जुड़ा एक पुराना वीडियो भी वायरल हो रहा है। साफ है कि यह मामला फ़िलहाल गरमाए रहना है। कालीचरण पर बात चल ही निकली है तो बता दें यह नाम एक अन्य कारण से भी लोकप्रिय हुआ था। 1978 या 79 में वेस्ट इंडीज की क्रिकेट टीम भारत जो खेलने आई थी उसके कप्तान का नाम भी कालीचरण था। पूरा नाम एल्विन कालीचरण।

तब आचार्य के कारण
भड़की थी चिंगारी

कालीचरण से पहले भी धर्म से जुड़े कुछ ऐसे लोग रहे जिनके व्दारा कभी रायपुर में कहे गए कथनों से शांत माहौल में ख़लल पैदा होते रही थी। सत्तर के दशक में एक आचार्य जी रायपुर आए हुए थे। उनके प्रवचन में जब सीता माता का वर्णण आया तो न जाने वे ऐसा क्या कह गए कि रायपुर शहर में विरोध की चिंगारी भड़क गई। आचार्य जी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए उनका पुतला जलाया गया था। हालात इतने गंभीर हो गए थे कि रायपुर में कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया था। तब कुछ पुलिस अफ़सरों ने काफ़ी सावधानी बरतते हुए गोपनीय तरीके से आचार्य जी को रायपुर की सीमा से बाहर निकाला था। इसके अलावा कुछ वर्ष पहले राजधानी रायपुर के सप्रे शाला मैदान में विश्व हिन्दू परिषद के डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने त्रिशूल दीक्षा का जो कार्यक्रम रखा, वह भी काफी सुर्खियों में रहा था। तब तोगड़िया ने मंच से ऐसा उत्तेजनापूर्ण भाषण दिया था जिसे लोग आज भी याद करते हैं और वह त्रिशूल दीक्षा काफ़ी विवादों में रही थी। कुछ वर्ष पहले का एक और प्रसंग है जिसे लोग याद करते हैं। अपने बयानों के कारण अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले भाजपा नेता वेदांती महाराज ने श्रीमती सोनिया गांधी के बारे में कोई टीका टिप्पणी कर दी थी। तब रायपुर के बूढ़ापारा इलाके में वेदांती महाराज को युवक कांग्रेस नेताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था।

मंत्री मंडल में फेरबदल अभी
न हुआ तो फिर लंबा टलेगा

हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली गए तो चर्चा जोर पकड़ी हुई थी कि साल के जाते-जाते में मंत्री मंडल में फेरबदल तय है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संभावना ये भी व्यक्त की जा रही थी कि कमजोर परफार्मेंस वाले दो मंत्रियों को हटाकर उनकी जगह दो अन्य किसी सुलझे हुए विधायक को मंत्री मंडल में लाया जा सकता है। हालांकि इस तरह की अटकलों का दौर तो पिछले दो तीन महीनों से लगातार चल रहा है, लेकिन जब कुछ हो जाए तभी बात है। सत्ता पक्ष में गहरी पकड़ रखने वाले कुछ लोगों का मानना है कि मुखिया का तो पूरा मन है कि फेरबदल हो, लेकिन अच्छी तरह ठोक बजा लेने के बाद ही वे किसी ठोंस निर्णय पर पहुंचना चाह रहे हैं। मंत्री मंडल में फेरबदल होना होगा तो इसी जनवरी महीने में हो जाएगा। इस महीने नहीं हुआ तो फिर फेरबदल आगे लंबा टल सकता है। इसलिए कि फरवरी के आख़री में छत्तीसगढ़ सरकार के बजट सत्र शुरु होने की संभावना है। प्रशासनिक स्तर पर बजट की तैयारियां शुरु भी हो चुकी हैं। स्वाभाविक है मुख्यमंत्री को फेरबदल करना होगा तो ज़ल्दी ही करेंगे। फरवरी या मार्च में यह बड़ा काम नहीं करेंगे।

राज परिवार में उथल पुथल
पद्मा-विभा आमने सामने

विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद खैरागढ़ राज परिवार का विवाद खुलकर सामने आ गया है। भले ही राजा महाराजाओं का दौर चला गया लेकिन देवव्रत की विशिष्ट पहचान खैरागढ़ राज परिवार के सदस्य के रूप में तो थी। देवव्रत सिंह और उनकी दूसरी पत्नी विभा सिंह के बीच मोबाइल पर हुई बातचीत का ऑडियो काफ़ी वायरल हुआ है। इस ऑडियो के वायरल होने के बाद देवव्रत समर्थकों ने खैरागढ़ में विभा सिंह के ख़िलाफ जमकर नारेबाजी की। उनकी कार पर पथराव भी किया। विभा सिंह भी उत्तरप्रदेश के किसी राज परिवार से हैं। वहां के एक चर्चित भैया विभा के रिश्ते में भाई लगते हैं। देवव्रत के निधन के बाद उनकी पूर्व पत्नी पद्मा सिंह खैरागढ़ पहुंच चुकी हैं। देवव्रत के दोनों बच्चों आर्यव्रत एवं सताक्षी ने मीडिया के सामने आकर कहा है कि उन्हें सौतेली मां विभा से जान का खतरा है। दोनों बच्चों ने संकेत यही दिया है कि वे अपनी मां पद्मा के साथ हैं। इधर, राजधानी रायपुर आकर विभा ने प्रेस कांफ्रेंस लेकर कहा कि उन्हें पद्मा एवं उनके इर्द-गिर्द रहने वालों से जान का खतरा है। विभा ने पद्मा का दिल्ली से रिश्ता जोड़ते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राज परिवार से गहराई से जुड़े लोग यही बता रहे हैं कि हाल-फिलहाल देवव्रत के दोनों बच्चों का पक्ष मजबूत नज़र आ रहा है। देवव्रत की तीनों बहनें उज्ज्वला, स्मृति एवं आकांक्षा दोनों बच्चों के पक्ष में खड़ी हैं। बड़ी बहन उज्ज्वला सिंह प्रोफेसर हैं और वे दोनों बच्चों का शुरु से काफ़ी ध्यान रखती आई हैं। मां और बुआ दोनों का सानिध्य मिलने से दोनों बच्चे कठिन परिस्थितियों का सामना कर पा रहे हैं।

कहां हो? पूछो, तो नया रायपुर

राजनीति एवं प्रशासन में इन दिनों एक नया चलन देखा जा सकता है। आप किसी क्रेजी नेता को फोन लगाकर यदि पूछें कि कहां हो, तो जवाब मिलता है- नया रायपुर (मंत्रालय)। खासकर निगम-मंडल के कुछ नेताओं में तो नया रायपुर शब्द का जबरदस्त चार्म्स है। वे कहीं भी रहें कार्य दिवस के समय उनसे मोबाइल पर पूछा जाए कि कहां हो तो वे यही बताएंगे- नया रायपुर। कुछ सरकारी दफ़्तर हैं ऐसे जहां साहब कुर्सी पर बैठे नहीं मिलें और उनके स्टॉफ से पूछो कि महोदय कहां हैं, वहां भी वज़नदार तरीके से यही ज़वाब मिलता है- नया रायपुर।

Spread the word