वन मंडल मरवाही में सरकारी खजाने को दोनों हाथों से लूट रहे प्रभारी डीएफओ
जीपीएम 17 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ के गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला और वन वृत्त बिलासपुर का वन मंडल मरवाही लम्बे समय से भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है। प्रभारवाद और आला स्तर पर संरक्षण के चलते यहां दोनों हाथों से सरकारी खजाने को लूटने का खेल बड़ी दिलेरी से होता है। इन दिनों भी प्रभारी वन मंडल अधिकारी नियम प्रक्रिया को ताक में रखकर शासन को चूना लगाने में मशगूल हैं।
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक वर्तमान में मरवाही वन मंडल में ही पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी को दरकिनार कर संजय त्रिपाठी को डी एफ ओ का प्रभार दिया गया है। प्रभार मिलते ही त्रिपाठी महाशय ने पूर्व डी एफ ओ द्वारा अनियमितता के कारण रोक दिए गए बिल का भुगतान कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। कांग्रेस नेताओं ने संजय त्रिपाठी की कारगुजारियों की विभागीय अधिकारियों सहित वन मंत्री से शिकायत की। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रदेश कांग्रेस की सचिव एवं महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री नैन अजगले ने राज्य के मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रमुख सचिव और अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष को भी पत्र लिखकर न्याय करने की मांग की थी। ऐसा ही पत्र मरवाही से कांग्रेस विधायक डॉ के के ध्रुव ने भी वन मंत्री को लिखा था, किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे प्रभारी अधिकारी का हौसला बुलन्द होता चला गया।
याद रहे कि मरवाही वनमंडल में प्रभारी डी एफ ओ संजय त्रिपाठी पिछले 8 साल से पदस्थ हैं। रेंजर के पद पर काम करते हुए उन्हें सन 2020 में प्रमोशन देकर एस डी ओ बनाया गया। इस बीच तत्कालीन डी एफ ओ राकेश मिश्रा के रिटायर होने पर पी सी सी एफ राकेश चतुर्वेदी ने आदेश जारी कर बिलासपुर के वन अनुसंधान डिपो में कार्यरत आई एफ एस अधिकारी हेमंत उपाध्याय को मरवाही वनमंडल का प्रभारी पदस्थ किया, लेकिन कुछ घंटों में ही इस आदेश को निरस्त कर दिया गया और हेमंत उपाध्याय की जगह संजय त्रिपाठी को डी एफ ओ का प्रभार देने का आदेश जारी किया गया। यही नहीं अनुसूचित जाति वर्ग के मरवाही वन मण्डल में ही पदस्थ एक अन्य एस डी ओ की भी उपेक्षा कर दी गई और कनिष्ठ एस डी ओ को प्रभारी बना दिया गया। मरवाही वन मंडल के तमाम गड़बड़ियों सहित संजय त्रिपाठी की पद स्थापना को लेकर विधानसभा में भी सवाल उठाए गए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। साथ ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 13 दिसम्बर को वन मंत्री ने स्वीकार किया है कि मरवाही वन मण्डल में वरिष्ठ अधिकारी के पी डिण्डोरे के पदस्थ होने के बावजूद कनिष्ठ अधिकारी एस डी ओ संजय त्रिपाठी को डी एफ ओ का प्रभार दिया गया है। कांग्रेस विधायक सन्तराम नेताम के एक प्रश्न के उत्तर में वन मंत्री ने बताया है कि 25 नवम्बर 2021 की स्थिति में वन मण्डल अधिकारी और उच्च पद पर वरिष्ठता सूची के स्थान पर 15 कनिष्ठ अधिकारी को प्रभारी के रूप में पदस्थ किया गया है। वन विभाग में 5 वरिष्ठ अधिकारी, कनिष्ठ अधिकारियों को प्रभार देने के कारण प्रभावित हुए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मरवाही वनमंडल में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही है। यहां प्रभारी डी एफ ओ ने नियमों को दरकिनार कर विभाग के डिपो में बिना निविदा प्रक्रिया के खेल मैदान बनवा दिया है। यही नहीं ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर के लिए मिले फंड का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। मरवाही के मड़ना डिपो का निर्माण इमारती और जलाऊ लकड़ी रखने के लिए किया गया है। यहां लकड़ियों को सुरक्षित रखकर उसकी नीलामी की जाती है। मगर डिपो परिसर में प्रभारी डी एफ ओ संजय त्रिपाठी ने लाखों रुपए खर्च कर डिपो की जमीन में अवैध रूप से खेल मैदान बनवा दिया है। यहां प्रोजेक्ट डेवलपमेंट (पीडी) फंड से बास्केटबॉल, वॉलीबॉल और बैडमिंटन कोर्ट बनवा दिया गया है। इससे राशि का बंदरबाट तो हुआ ही है, साथ ही डिपो परिसर का रकबा भी कम हो गया है। प्रभारी डीएफओ संजय त्रिपाठी ने मड़ना डिपो में ही वनमंडल अधिकारी कार्यालय परिसर के लिए सी सी रोड का निर्माण कराया है। खास बात यह है कि चार साल पहले भी यहां सी सी रोड बना था, जिसके ऊपर ही कंक्रीट रोड बनाया गया है, जो शासन के नियमों के विपरीत है। यही नहीं वन मंडल में ऊंची बाउंड्रीवॉल के साथ ही खेल मैदान, आलीशान बंगला और अन्य सुविधाओं पर राशि खर्च की जा रही है जिसके लिए न तो उच्च अधिकारियों से सहमति ली गई है और न ही शासन स्तर पर मंजूरी ली गई है।
विभागीय हल्के में चर्चा है कि प्रभारी डी एफ ओ फिफ्टी- फिफ्टी में फंड बुक करते हैं। ताजा जानकारी के अनुसार मरवाही वन मण्डल में 15 करोड़ की एल ओ सी फिर आई है, जिसे अगले सप्ताह तक बुक कर दिया जाएगा। कहना न होगा कि प्रभारी डी एफ ओ की इस दिलेरी के पीछे आला स्तर का संरक्षण होगा, जिसके चलते सरकारी खजाने की लूट का सिलसिला लगातार जारी है।
उल्लेखनीय है कि मरवाही वन मंडल में कैंपा और अन्य मद से करोड़ों रुपए की राशि दी जाती है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में प्रभारी डीएफओ बनकर जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है। इस बार तो 2020 के रेंजर को प्रभारी वन मंडल अधिकारी बना दिया गया है। इसी वन मंडल में अनुसूचित जाति वर्ग के वरिष्ठ एसडीओ होते हुए भी जिस व्यक्ति को प्रभारी डी एफ़ ओ बनाया गया है, वन मंत्री ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कराने के आदेश जुलाई 2021 में दिए थे। लेकिन वन मंत्री के आदेश पर अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई की जानकारी नहीं मिली है।