संचालन के लिए समझौता नहीं, 20 माह से खड़ी बसें कबाड़ की दशा में
कोरबा 8 दिसंबर। शहरी विकास अभिकरण की सिटी बसें 18 महीनें से प्रतीक्षा बस स्टैंड दर्री में संचालन की प्रतीक्षा में खड़ी है। बस चलाने वाली ठेका कंपनी और निगम प्रशासन के बीच फिर से संचालन के लिए समझौता नहीं होने से बस स्टैंट में खड़ी बसें कबाड़ होने के कगार पर आ चुकी है। बसों के बंद होने का खामियाजा आम शहरी लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यातायात व्यवस्था बदहाल होने के साथ शहर में एक किलोमीटर दूरी का सफर 20 रूपये हो गया है।
सिटी बस संचालन निमग प्रशासन के लिए समस्या बन गई है। बसों का संचालन अर्बन सोसायटी के ठेका कंपनी कर रही थी। वर्ष 2020 के मार्च महीने में कोरोना लाकडाउन की वजह से बसों का संचालन बंद हो गया। संक्रमणक में आई कमी के बाद सार्वजनिक संस्थानों को खोलने की अनुमति के साथ बस, आटो संचालन को भी अनुमति दी जा चुकी है। इस बीच शासकीय अनुदान से चलने वाली सिटी बसों का संचालन शुरू नहीं हो सका है। शहर में संचलान के लिए शहरी विकास अभिकरण ने 49 बसों को स्वीकृति दी थी। सभी बसें इन दिनों यार्ड में खड़ी है। सिटी बसों के बंद होने से स्थानीय सफर महंगा हो गया है। किराया दर तय करने में आटो चालकों का एक छत्र राज चल रहा है। सीएसईबी चौक से यात्रियों का निहारिका जाना हो तो किराया 15 से 20 रूपये वसूला जा रहा है। सिटी बस संचालन के लिए बनी रूट के अनुसार प्रतीक्षालय भी बनाया गया था। बसों के संचालन जारी रहने से पीजी, केएन, मिनीमाता आदि सरकारी कालेज के शहर के कालोनियों में रियायत किराए में पहुंचने की सुविधा थी। बंद होने से प्रतीक्षालय मवेशियों की शरणास्थली बन गई है। आटो से वार्डो तक पहुंचने के लिए सामान्य से दोगुना व तिगुना किराया देना पड़ रहा है।
निगम प्रशासन ने बस संचालन के लिए कर्नाटक के दुर्गाम्बा कंपनी के साथ अनुबंध किया था। कोरोना काल में लाकडाउन लगने से बसें बंद हो गई। संक्रमण में कमी आने के बाद निगम प्रशासन ने कंपनी से बसों को फिर से संचालन के लिए कहा। इस पर ठेका कंपनी ने सिटी बस में काम करने वाले कर्मचारियों के राशि की मांग की। इस पर निगम प्रशासन की ओर से असमर्थता जताते हुए नए सिरे से काम करने की बात कही। सिटी बस के संचालन से लेकर वाहनों के फिटनेस के लिए कंपनी ने 350 से भी अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। जिनका राशि नहीं दिए जाने से ठेका कंपनी ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। अब निगम प्रशासन को सुनवाई का इंतजार है।
सिटी बस बंद होने से आने-जाने का खर्च बढ़ने का सबसे अधिक असर नियमित कालेज स्कूल आवागमन करने वाले छात्र-छात्राओं पर पड़ा है। बांकीमोगरा, कटघोरा, पाली, मंडवारानी से लेकर बालको व रजगामार के यात्री को को शहर से जोड़ने का काम रियायत दर सिटी बसें कर रहीं थी। बसों के बंद होने से छात्र-छात्राओं का नियमित स्कूल कालेज आना बंद हो गया है। महंगी यात्रा से शैक्षणिक संस्थानों में उपस्थिति घट गई है जिसका असर आगामी परीक्षास में होगा। निजी बसों के संचालकों द्वारा नियमित आवागन करने वाले स्कूली बच्चों को रियायत नहीं दी जा रही है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की बात कहर उनसे सामान्य यात्रियों की तरह किराया वसूली की जा रही है।