G-7 देश अपनी शर्तों पर देंगे तालिबान की सरकार को मान्यता
वाशिंगटन 26 अगस्त। जी-7 देश ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमरीका तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार को मान्यता देने और शर्तों पर उसके साथ काम करने के लिए राजी हो गए हैं। जी-7 देश अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक सैनिकों की वापसी की समय-सीमा बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन को मनाने में विफल रहे।
जी-7 के देशों के नेताओं से वर्चुअल बातचीत में बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया कि अमरीका और उसके करीबी सहयोगी अफगानिस्तान और तालिबान पर भविष्य की कार्रवाई में एक साथ खड़े रहेंगे लेकिन उन्होंने वहां से लोगों को निकालने के लिए और समय देने के उनके आग्रह को ठुकरा दिया।
फ्रांस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने 31 अगस्त की समय सीमा बढ़ाने पर जोर दिया लेकिन वह अमरीका के फैसले को स्वीकार करेंगे। जी-7 नेताओं की बैठक में यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वोन देर लेयेन, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चाल्र्स माइकल, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग भी शामिल हुए।
जी-7 की तालिबान के लिए शर्तें
वैसी सख्त इस्लामिक सरकार नहीं चलाए जैसी उसने 1996 से 2001 में अमरीका के नेतृत्व वाले हमले में खदेड़े जाने तक चलाई थी।
समावेशी राजनीतिक सरकार चलाए, आतंकवाद रोके।
महिलाओं, लड़कियों व अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का सम्मान करे।
सरकार को कामों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।
तालिबान को उसकी बातों से नहीं, उसके काम से आंका जाएगा
जी-7 नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अभी हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हमारे नागरिकों और उन अफगान नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए जिन्होंने पिछले 20 वर्षों में हमारा सहयोग किया। उन्होंने कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं बल्कि उसके काम से आंका जाएगा।
जी-7 की बैठकों में भारत को भी करें आमंत्रित: अमरीकी सांसद
जी-7 देशों के प्रभावशाली सांसदों ने गुट की बैठकों में भारत को आमंत्रित करने की अपील की। इन बैठकों का उद्देश्य अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वैश्विक सुरक्षा एवं क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक संयुक्त मोर्चा विकसित करना है।
अमरीकी सांसद एवं विदेश संबंधों पर सीनेट की शक्तिशाली समिति के प्रमुख बॉब मेनेंडेज और जी-7 देशों के उनके समकक्षों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अफगानिस्तान से अमरीका और संबद्ध बलों की वापसी की वैश्विक समुदाय द्वारा गलत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए कि सीमापार आतंकवाद का मुकाबला करने, क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करने या लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने में जी-7 सरकारों के संकल्प कमजोर पड़ रहे हैं।