कांग्रेस: मर्ज बढ़ता गया ज्यों- ज्यों दवा की….!
कहावत है कि मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की!
कम से कम चार प्रदेशों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस में ऐसा ही हो रहा है, जैसे नाव में छेद होने पर एक जगह से पानी रोको तो दूसरी जगह से आने लगता है, वैसा ही हाल कांग्रेस का हो रहा है, अचानक जैसे सब क्षत्रपों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी है…सबको पता चल गया है कि कांग्रेस हाईकमान में अब न तो कुछ हाई रहा है और न ही कमान, तीन लोग सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा पार्टी चलाने का उपक्रम कर रहे हैं, पर पार्टी आगे बढ़ने के बजाय पीछे जा रही है…
वैसे कांग्रेस की यह हालत कोई अचानक नहीं हुई है, चुनाव दर चुनाव हार से पार्टी अशक्त हो गई है,सबसे बड़ी समस्या यह है कि उम्मीद नहीं रह गई है और सबसे बुरा होता है उम्मीद का मर जाना…जो और इंतजार करने को तैयार नहीं हैं, वे एक-एक करके पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, जो रुके हुए हैं उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्यों रुके हुए हैं? यदि भाजपा बंगाल जीत जाती तो अब तक कांग्रेस में बहुत बड़ी भगदड़ मच गई होती, पर अब भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है..!
⭕ लंबे इंतजार के बाद कैप्टन अमरिंदर की सोनिया गांधी से मुलाकात-
लंबे इंतजार के बाद मंगलवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सोनिया गांधी से मुलाकात हो गई, इससे पहले सिद्धू की राहुल गांधी और प्रियंका से लंबी बातचीत हो चुकी थी…कांग्रेस में चल क्या रहा है, इसका अंदाजा इससे लगाइए कि राहुल और प्रियंका से मिलने के बाद कैप्टन पर सिद्धू के हमले रुकने के बजाय और बढ़ गए, सारा देश जानता है कि पंजाब में समस्या सिद्धू और कैप्टन की लड़ाई है, पर सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कैप्टन बाहर आए तो सिद्धू के बारे में पूछने पर कहा कि उनके बारे में मुझे कुछ पता नहीं है, वह तो कांग्रेस अध्यक्ष से सरकार और राजनीतिक स्थिति पर बात करने आए थे.. वह जो तय करेंगी, मानेंगे! मतलब यह कि गेंद अब सोनिया गांधी के पाले में है, समस्या यही है कि पूरा गांधी परिवार मिलकर कुछ तय नहीं कर पा रहा है, पिछले दो महीने में कांग्रेस के नेताओं ने कैप्टन सरकार की जितनी कमियां गिनाई हैं, उतनी तो समूचा विपक्ष भी नहीं गिना पाया, चार साल बाद पार्टी हाईकमान की नींद खुली और कैप्टन को कुछ दिन पहले तीन सदस्यीय कमेटी के मार्फत आदेश दिया गया कि चुनाव घोषणा पत्र के 18 मुद्दों पर सरकार काम करके बताए…अब जो काम सवा चार साल में नहीं हुआ, वह कुछ दिनों में हो जाएगा, ऐसे चमत्कार की उम्मीद कांग्रेसी ही कर सकते हैं, जबसे मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनी है, ऐसा लगता है कि कैप्टन अमरिंदर सरकार नहीं चला रहे, बल्कि कोई मुकदमा लड़ रहे हैं…पंजाब में कांग्रेस जीती हुई बाजी को हार में बदलने पर आमादा है..!
⭕ पंजाब की गुत्थी सुलझी नहीं थी कि हरियाणा में हुड्डा ने मोर्चा खोल दिया-
पंजाब की गुत्थी सुलझी नहीं थी कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मोर्चा खोल दिया, यहां सरकार नहीं है तो प्रदेश अध्यक्ष ही सही…प्रदेश अध्यक्ष सैलजा को हटाने का अभियान शुरू हो गया है, वह गांधी परिवार की पसंद हैं, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस विधायकों पर पार्टी हाईकमान का नहीं हुड्डा का हुकुम चलता है, क्योंकि उन्हें पता है कि चुनाव जिताकर वही लाए थे और वही फिर जिताने की क्षमता रखते हैं…इसीलिए विधायक कह रहे हैं कि चुनाव जीतना है तो पार्टी की कमान हुड्डा को देनी पड़ेगी, हाईकमान की क्षमता नहीं है कि वह हुड्डा को रोक सके, रोकना चाहे भी तो हुड्डा रुकने वाले नहीं हैं..!
⭕ राजस्थान में अशोक गहलोत का जादू का खेल चल रहा-
राजस्थान में तो अशोक गहलोत का जादू का खेल चल रहा है, हाईकमान से मिलने की बात हो, उनके हरकारों से या असंतुष्टों से, मुख्यमंत्री को डाक्टर घर में रहकर आराम करने की सलाह दे देते हैं, पर राज्यपाल के पुस्तक विमोचन समारोह में जाने के लिए वह बिल्कुल चंगे हैं… सचिन पायलट को समझ में नहीं आ रहा है कि अब वह किसके पास जाएं? वैसे टेलीफोन टैपिंग की तलवार गहलोत के सिर पर अभी तक लटकी ही हुई है, साथ में बहुजन समाज पार्टी के जिन छह विधायकों का कांग्रेस में विलय कराया था, उन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी आना है…वहां से झटका लगा तो जादूगर का जादू भी काम नहीं आएगा, पर एक बात तो है कि अशोक गहलोत को कैप्टन की तरह हाईकमान की कोई चिंता नहीं है..!
⭕ छत्तीसगढ़ में नैया डगमग-डगमग कर रही है-
साल 2018 में कांग्रेस को तीन राज्यों-राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दुर्लभ चुनावी सफलता मिली थी, इनमें से मध्य प्रदेश ज्योतिरादित्य सिंधिया लेकर भाजपा के खेमे में चले गए, राजस्थान में नैया डगमग-डगमग कर रही है, सबसे मजबूत जनादेश छत्तीसगढ़ में मिला था… वहां नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री का फैसला बड़ी मुश्किल से हो पाया था, भूपेश बघेल मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव इस बात पर माने थे कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री की गद्दी उन्हें मिलेगी…कहते हैं कि यह वादा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया था, अब राहुल गांधी तो सारी जवाबदेही से मुक्त हो चुके हैं…इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की याददाश्त उन्हें धोखा दे रही है, उन्हें याद ही नहीं है कि ऐसी कोई बात भी हुई थी..!!
⭕ देश की सबसे पुरानी पार्टी की दुर्दशा-
देश की सबसे पुरानी पार्टी की दुर्दशा का वर्णन करना कठिन है, अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं, जो रिटायरमेंट से लौटकर आने को मजबूर हुईं,सिर्फ इसलिए कि बेटे के लिए पद को बचाए रख सकें…पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हैं, जो पार्टी चला रहे हैं, पर अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहते…प्रियंका वाड्रा हैं, जिनकी राजनीतिक उपलब्धि यह है कि महामंत्री के नाते उत्तर प्रदेश का प्रभार मिला तो पहली बार ऐसा हुआ कि गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से चुनाव हार गया, उनकी रहनुमाई में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अस्सी में से एक सीट मिली…इसके पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत बचाना मुश्किल हो गया, पंचायत चुनाव में पार्टी का हाल खोजते रह जाओगे वाला है, पर वे मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों का भविष्य तय करती हैं..!
फिल्म “अमर प्रेम” में आनंद बख्शी का लिखा गीत है- चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए, सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए…तो कांग्रेस में सावन ही आग लगा रहा है..!! साभार Team_HallaBol