महापौर अपने आप को जनसेवक समझे महा पावर नहीं: जोगेश लांबा
कोरबा 19 जून। महापौर ने पदभार ग्रहण करते ही कहा था कि मैं जनता की मांगों के अनुरूप कार्य करूंगा परंतु आज महापौर को पदभार ग्रहण किए 18 माह हो गए हैं,जनता अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर गुहार लगाते घूम रहे हैं उनको महापौर मिल नहीं रहे हैं। महापौर अपने आपको पूरे निगम क्षेत्र के मानते नहीं है, क्योंकि वे एक वार्ड के पार्षद जीतने के बाद महापौर चुनकर आए हैं इसलिए निगम क्षेत्र के विकास कार्यों पर ध्यान नहीं देते। कोरबा निगम क्षेत्र के लगभग सभी वार्डों में छोटी-छोटी समस्याओं पर महापौर का ध्यान नहीं जाता जिससे जनता अतवेलित क्रोधित है दूसरी तरफ नगर निगम की कई ऐसे सड़कें हैं,जिनको महापौर द्वारा पुनः डामरीकरण करवा दिया गया है, पता नहीं क्यों महापौर को भी डामरीकरण सड़क निर्माण से अत्यधिक प्रेम और लगाव होने लगा है, निगम क्षेत्र की सड़क डामरीकरण कार्य गुणवत्ता विहीन हुआ है। परिणाम स्वरूप आमजनों के आक्रोश व शिकायत पर भाजपा पार्षदों व कार्यकर्ताओं द्वारा उक्त सड़क का मुवायना किया गया, निरीक्षण के दौरान पाया गया कि उक्त डामर सड़क हाथ से ही उखड़ने लगी जिसे भाजपा के कार्यकर्ता और पार्षदों ने मिलकर महापौर को गुणवत्ता विहीन सड़क मरम्मत कार्य को दिखाने (साक्ष्य) के लिए उखड़ी सड़क से गिट्टी और डामर उठाकर महापौर कार्यालय ले गए। कार्यालय में महापौर के अनुपस्थित होने पर गिट्टी और डामर का मलबा उनके कार्यालय पर छोड़कर आ गए।
ज्ञात हो पूर्व में भी कोरबा नगर पालिक निगम में अनेक महापौर रहे हैं, उस वक्त भी छोटी-बड़ी मांगो और कार्यों को लेकर जनता और विपक्ष के द्वारा आंदोलन व विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा है, यह एक साधारण व सामान्य सी बात है, परंतु किसी भी महापौर के द्वारा इस प्रकार किसी भी विरोध प्रदर्शनकारियों पर शासन और सत्ता का लाभ लेकर f.i.r. नहीं कराया गया है किसी को भी जनसमस्या का आंदोलन व विरोध प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है।
उन्होंने कहा कि महापौर का इस गुणवत्ता विहिन कार्यों पर इतना बौखला जाना और समस्या को हल करने के बजाय सीधा भाजपा पार्षद और कार्यकर्ताओं पर एफ आई आर कराना बहुत हास्यप्रद और दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है। महापौर को अपने प्रोटोकॉल की चिंता और उसका अहम भी रहता है महापौर शासन और सत्ता के गुरुर में इतने मदमस्त हो गए कि वे अपने आप को कोरबा का महापौर (जनसेवक) नहीं बल्कि कोरबा के महा-पावर समझ रहे हैं। जो घोर निंदनीय है, मैं इस पूरे एफआईआर घटनाक्रम के कड़े शब्दों में भर्त्सना निन्दा करता हूं।