वनमण्डल कटघोरा में करोड़ों रुपयों का हुआ भ्रष्टाचार, कार्रवाई तो कीजिये सरकार

कोरबा 16 जून। जिले का कटघोरा वन मंडल पर कभी मनमानी का तो कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। स्टाप डेम निर्माण में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप है। यह कहना कोई गलत नहीं होगा कि लाखों-करोड़ों के स्टाप डेम अधिकारी-रेंजरों और ठेकेदारों के पैसों की प्यास बुझा रहे हैं। जानवरों-ग्रामीणों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इस विषय मे पुनः एक शिकायत राज्य स्तर पर प्रेषित की गई है। शिकायत है कि वनमंडल कटघोरा के अन्तर्गत विभिन्न परिक्षेत्रों में भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं के अन्तर्गत करोडो रुपयों का आवंटन प्राप्त हुआ था जिसमें असीमित अनियमितता व भ्रस्टाचार के उदाहरणं प्राप्त हुये हैं । इनकी गहराई से जांच कराकर कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है।
अनियमितता व भ्रष्टाचार के प्राप्त शिकायतों के आधार पर विधानसभा सत्र के दौरान दिसम्बर 2020 में पूछे गये तारांकित प्रश्न क्रमांक 354 के अन्तर्गत विभाग द्वारा दी गई जानकारी भ्रामक व मिथ्याजनक है । जिसमें प्रदेश के उच्च सदन को भी गुमराह किया गया है।

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी कार्ययोजनाओं के अन्तर्गत वनमण्डल कटघोरा क्षेत्र में रेल कॉरिडोर का विस्तार प्रस्तावित है, भ्रष्टाचार जिसमें वनमण्डल कटघोरा को करोड़ो रुपयों का आवंटन प्राप्त हुआ था, विभाग के द्वारा जिसका उपयोग प्रस्तावित कार्ययोजना से भिन्न अन्य कार्यों में व्यय कर भ्रष्टाचार के प्रमाण प्राप्त हुये हैं। आबंटित एवं किये गये कार्य की वास्तविक जानकारी अपेक्षित है।

विश्व बैंक के अति महत्वाकांक्षी योजना ई.एस.आई.पी. के तहत वनमण्डल कटघोरा के पाली परिक्षेत्र में 1300 हेक्टेयर वन क्षेत्र को क्षतिपूर्ति की कार्य हेतु लगभग 120 करोड़ रुपये का आबंटन प्राप्त हुआ था जिसमें क्षेत्रीय मजदूरों के माध्यम से कार्य कराया जाना प्रस्तावित था , किन्तु वनमण्डल कटघोरा के द्वारा जिले के बाहर के अपने परिचितों, रिश्तेदारों एवं चहेतों के खातों में कार्य कराये बिना ही राशि हस्तांतरित कर दी गई है। दिसम्बर 2020 में ही लगभग एक करोड़ रुपये का फर्जी जन कल्याणकारी योजनाओं की राशि का भारी गबन हुआ है । प्रस्तावित कार्य की गाईड लाईन, मस्टर रोल की प्रति एवं कराये गये कार्य के प्रमाणक के साथ स्थल मुआयना किये जाने से कथन की प्रमाणिकता निश्चित है।

शासन की पवित्र मंशा के अनुरुप केम्पा योजना से वन्यप्राणी संरक्षण एवं पोषण के उद्देश्य से विभिन्न परिक्षेत्रों में स्टापडेम एवं जलाशय ( तालाब ) का निर्माण कराया जाना चाहिये था किन्तु वनमण्डल कटघोरा के अन्तर्गत वन क्षेत्रों में शासन की गाईडलाईन को धता बताकर मनमाने तरीके से अनुपयोगी स्टापडेम एवं जलाशयों का निर्माण कराया गया है । जो इतने अनुपयोगी हैं कि इनका लाभ न तो वन्यप्राणीयों को हो रहा है और न ही वहां के रहवासियों को हो रहा है। विभिन्न निर्माण कार्य पूर्ण होने के पहले ही क्षतिग्रस्त हो गये हैं। शासन की स्पष्ट मंशा है कि , निर्माण कार्यों को स्थानीय मजदूरों से कराया जायेगा , जिससे कार्य पूर्ण होने के अलावा स्थानीय मजदूरों को अपने ही क्षेत्रों में रोजगार सुलभ हो सके, जबकि वनमण्डल कटघोरा में कार्यरत अधिकारियों के द्वारा अपने चहेते लोगो से नियम विरुद्ध ठेकेदारों के माध्यम से कार्य कराया गया है। कार्य में जिन मजदूरों का उपयोग किया गया है उन्हे शासन के द्वारा निर्धारित दर से पर्याप्त मजदूरी का भुगतान भी आज दिनांक तक नहीं हो सका है। सारे आरोपो की प्रमाणिकता कार्य का प्राक्कलन, माप पुस्तिका एवं केश / विल वाउचर ( प्रमाणक ) एवं भुगतान पंजी के अध्ययन करने एवं स्थल निरीक्षण से स्पष्ट हो जायेगा।

वनमण्डल कटघोरा में व्याप्त भ्रष्टाचार के संबंध में प्राप्त अनेक दस्तावेज एवं स्थल मुआयना के बाद दो सामाजिक कार्यकर्ता अजय गर्ग एवं नवीन गोयल के द्वारा अपने शिकायत पत्रों के माध्यम से स्वतंत्र एवं सक्षम एजेंसी से उच्च स्तरीय टीम के माध्यम से जाँच कराने हेतु 5 अक्टूबर 2020 से लेकर आज दिनांक तक अनेको बार लिखित एवं मौखिक निवेदन किया जाता रहा है, किन्तु विभाग के अधिकारियों के द्वारा उन्ही विभागीय अधिकारियों को ही औपचारिक जाँच समिति का जाँच अधिकारी बनाया गया है, जिनके द्वारा समुचे भष्ट्राचार को अंजाम दिया गया है।

विभिन्न निर्माण कार्यों के लिये तकनीकी विशेषज्ञों की महती आवश्यकता होनी चाहिये, जिनके सफल मार्गदर्शन में करोड़ो रुपये का निर्माण कार्य उपयोगिता के साथ सम्पन्न कराया जा सके, किन्तु वनमण्डल कटघोरा के विभिन्न दस्तावेजों का अध्ययन करने से ज्ञात हुआ है कि तकनीकी मार्गदर्शन महज फर्जी तरीके से खानापूर्ति की गई है। जबकि छोटे से छोटे निर्माण कार्य के लिये भी तकनीकी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। वनमण्डल कटघोरा में जहां करोड़ो रुपये के निर्माण कार्य को बिना तकनीकी विशेषज्ञों के पूर्ण कराया जा रहा है। प्राक्कलन एवं मूल्यांकन पंजी के अध्ययन करने से आरोपो की प्रमाणिकता सिद्ध कराने की आवश्यकता नहीं होगी।

वनमण्डल कटघोरा के अन्तर्गत वर्णन किये गये भर्राशाही एवं भ्रष्टाचार को आंकड़ों के साथ प्रमाणित तथ्य प्रस्तुत किये जाने के लिये वैधानिक स्तर पर अनेको बार सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विधिवत अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया है, किन्तु निरंकुश अधिकारियों के द्वारा अपने किये गये कृत्यों के उजागर हो जाने के भय से केन्द्रीय सूचना अधिकार अधिनियम को भी ताक पर रख कर मनमानी करते हुये भ्रष्टाचार का क्रम जारी है। सामजिक कार्यकर्ताओ अजय गर्ग एवं नवीन गोयल ने इस प्रकरण की सूक्ष्म जाँच एवं दोषियों पर कार्यवाही किये जाने की मांग की है।

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