देबू पॉवर के लिए अधिग्रहित निजी भूमि किसानों को लौटाई जावेंः वीरेन्द्र पांडेय
कोरबा 16 जून। छत्तीसगढ़ के कोरबा में देबू पावर इण्डिया लिमिटेड के लिए 1997-98 में अधिग्रहित की गई निजी भूमि उनके मूल स्वामी किसानों को लौटा दी जावें एवं शासकीय भूमि के आबंटन हेतु देश के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जाए एवं प्रदेश के हित में अच्छे से अच्छा उद्योग लगाने वाले उद्योगपति को जो भूमि की आज की
वास्तविक दर प्रदान करे एवं ऐसा उद्योग स्थापित करे जिससे स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिले।
अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और छत्तीसगढ़ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष विरेन्द्र पांडेय ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि मेसर्स देबू पावर इण्डिया लिमिटेड को 500 गुणा 2 मेगावाट पावर प्लांट स्थापित करने हेतु कोरबा स्थित ग्राम रिसदी में निजी एवं शासकीय भूमि प्रदाय की गई थी। मेसर्स देबू पावर इण्डिया लिमिटेड को 260.53 एकड़ निजी भूमि अर्जित की जा कर उपलब्ध कराई गई। 499.608 एकड़ शासकीय भूमि शासन द्वारा आबंटित की गई। मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के पत्र क्रमांक-6.320 सात नजूल-97 दिनांक 7.11. 1998 द्वारा 499.608 एकड़ शासकीय भूमि 30 करोड़ 1 लाख 93 हजार 600 रुपये प्रब्याजि तथा रुपए 2 करोड़ 35 लाख 14 हजार 526 वार्षिक भू-भाटक नियत किया जाकर आबंटित की गई थी। उपरोक्त कंपनी द्वारा भारत वर्ष में कार निर्माण, टीवी निर्माण के साथ-साथ अन्य कई उद्योग स्थापित किए गए थे। कुछ वर्षों पश्चात कंपनी दिवालिया हो गई। कंपनी द्वारा निजी भूमि की मुआवजा की राशि 30 करोड़ 1 लाख 93 हजार 600 एवं भू-भाटक की राशि कंपनी द्वारा जमा नहीं कराई गई। शासन द्वारा बार- बार पत्र लिखने के आवजूद कंपनी द्वारा राशि जमा न करवाकर यह कहा गया कि राशि बहुत अधिक है।
कलेक्टर कोरबा द्वारा 10 फरवरी 2009 को राजस्व सचिव छग शासन को पत्र लिखकर आबंटित भूमि निरस्त करने हेतु पत्र लिखा साथ ही शासकीय एवं निजी जमीन को छग शासन के विद्युत मंडल को सौंपने के लिए अपना अभिमत भेजा। साथ ही निजी भूमि हेतु जमा राशि का 25 प्रतिशत राजसात करने हेतु भी अपना अभिमत शासन को भेजा। शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 2 जुलाई 2009 को कलेक्टर कोरबा को पत्र लिखकर निर्देशित किया कि- उक्त भूमि के आवबंटन आदेश निरस्त करते हुए शासन में वेष्ठित करते हुए इस पत्र के साथ संलग्न छग स्टेट पॉवर जनरेशन लिमिटेड विद्युत सेवा भवन डंगनिया रायपुर के पत्र क्रमांक 165 रायपुर दिनांक 25 मई 2009 के आवेदन अनुसार राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड 1-6 के प्रावधान अनुसार वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रयोजनों के लिए उद्योग विभाग को शासकीय भूमि का हस्तांतरण किए जाने के अधिकार आपको प्रत्योजित है। अतः नियमानुसार वांछित भूमि उद्योग विभाग को हस्तांतरित कर विभाग को अवगत कराने का कष्ट करें।
भूमि निरस्तीकरण आदेश को लेकर कंपनी द्वारा वर्ष 2009 में उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका क्रमांक 5840 दाखिल कर मांग की गई है कि शासकीय भूमि पर कब्जा दिलाया जाए, निजी भूमि का कब्जा दिलाते हुए नामांतरण कराया जाए, भूमि को औद्योगिक उपयोग के अलावा कमर्शियल एवं आवासीय उपयोगी की अनुमति दी जाए। शासन पक्ष द्वारा न्यायालय में बताया गया है कि चूंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए शासन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। इस पर कोर्ट ने शासन को निर्देशित किया है कि मामले को विचाराधीन न मानते हुए कंपनी द्वारा की गई मांगों पर अपना स्पष्ट अभिमत प्रस्तुत करे।
श्री पांडेय ने कहा कि देवू की जमीन में सरकार में बैठे कुछ प्रभावशाली लोगों की खास रुचि होने का संदेह है। इस जमीन को देवू को देकर शासन का कम और अपना ज्यादा हित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देवू ने अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया है, इसलिए कम्पनी को जमीन नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करेंगे। इससे पहले उन्होंने रिसदी के किसानों से भेंट की और उनकी लड़ाई में सहभागी बनने का भरोसा दिलाया।