कोरोनाकाल से चिंतित बी. जे. पी. के लिए उत्तरप्रदेश की चिंता क्यों अहम हैं..?
■ विधानसभा व लोकसभा चुनाव के लिहाज से यूपी सबसे बड़ा राज्य
नई दिल्ली 24 मई: बीजेपी के लिए उत्तरप्रदेश की चिंता इसलिए भी अहम है क्योंकि विधानसभा चुनाव के लिहाज से तो यह सबसे बड़ा राज्य है ही, लोकसभा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
लोकसभा के सबसे ज्यादा 80 सांसद उत्तर प्रदेश से आते हैं। ऐसे में यदि 2022 में बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो फिर मिशन 2024 भी उसके लिए बहुत कठिन नहीं होगा। इसी मकसद से पार्टी ने उतरप्रदेश को फोकस कर अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी और संघ ने अपने संगठन को मजबूत करने के साथ ही सरकार के स्तर पर भी छवि सुधारने के प्रयास शुरू करने की कोशिश में गहन मंथन शुरू कर दिया हैं.
सूत्रों के अनुसारकोरोना काल में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालातों को लेकर बीजेपी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व के बीच शीर्ष स्तर पर मंथन हुआ है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल रहे। बैठक में कोरोना महामारी के हालात के बीच सरकार और पार्टी की छवि को लेकर चर्चा हुई है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी को देखते हुए इस बैठक को अहम माना जा रहा है।
पार्टी और संघ के सूत्रों के मुताबिक उत्तरप्रदेश की स्थिति पर हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मौजूद थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल भी बैठक में शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में संगठन और सरकार को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। कोरोना महामारी से उत्तर प्रदेश सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक है, जहां गंगा में तैरती लाशों ने डरावना मंजर पेश किया है। हाल ही में बीजेपी ने आलोचना से सचेत होकर और महामारी की दूसरी लहर के बाद अपने कार्यकर्ताओं से सेवा करने के लिए खुद को समर्पित करने का आग्रह किया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कोरोना की दूसरी लहर के बाद बिगड़ी सरकार की छवि को लेकर चिंता जाहिर की गई और उससे निपटने के प्रयासों पर बात हुई। ऑक्सीजन की कमी, गंगा में मिली लाशों, वैक्सीनेशन की धीमी गति जैसे कुछ मुद्दों को लेकर बीते दिनों बीजेपी की बचाव की मुद्रा में दिखी है। कानून व्यवस्था से लेकर अन्य मुद्दों पर सख्त प्रशासक की छवि रखने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पर सवाल उठे हैं। वजह यहीं हैं कि पार्टी और संघ इसे लेकर चिंतित हैं.