क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की स्क्रिप्ट लिख रही हैं- ममता बनर्जी ?
कोलकाता 5 मई। क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की पक्षधर हैं? क्या अपना वोट बैंक बचाने के लिए वे राष्ट्रपति शासन की स्क्रिप्ट लिख रही हैं? और क्या तृणमूल कॉंग्रेस के अन्य नेता इस योजना का विरोध कर रहे हैं? आगे क्या होगा? ये चंद सवाल प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में गूंज रहे हैं।
दरअसल, पश्चिम बंगाल में 2 मई को आए विधानसभा चुनाव के परिणाम में राज्य के सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने शानदार विजय हासिल की। जीत की खबर के बाद जहां बैंड बाजे बजने चाहिए उस जगह पर बंगाल के सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ गोली एवं एसिड बम की आवाज से पूरा बंगाल गूंज उठा। जहां जीत की खुशी टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता मना रहे हैं वही भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के घर मौत का मातम छाया हुआ है। कोरोना कॉल एवं सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश के बाद सार्वजनिक विजय जुलूस तो नहीं निकाला गया परंतु अपने आपको टीएमसी कार्यकर्ता कहने वाले लोग झुंड में निकलकर भारतीय जनता पार्टी समर्थक एवं इन्हें वोट देने वालो की सरेआम हत्या कर उनके घर एवं दुकान को आग के हवाले कर रहे हैं। शहर एवं छोटे-छोटे मोहल्लों में इस तरह की हत्या की घटना को अंजाम दिया जा रहा है।
बीरभूम के नानूर नामक ग्राम से 2 महिलाओं के साथ गैंगरेप की जानकारी आ रही है। जिन दो महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ वह भारतीय जनता पार्टी के पोलिंग एजेंट थे। इसी तरह के समाचार पश्चिम बंगाल के दूसरे जगहों से भी आ रही है। ममता बनर्जी अपने सबसे प्रतिष्ठित चुनाव क्षेत्र नंदीग्राम से चुनाव हार गई है। तृणमूल कांग्रेस के कई कद्दावर नेता भी इस तरह की हिंसा का समर्थन नहीं कर रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थिति से घबराकर ममता दीदी ने तुरंत डी जी पी को अपने निवास बुलवा कर हिंसा से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। ममता बनर्जी की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से उनका कड़ा मुकाबला था और इस मुकाबले में उनको सबसे अधिक साथ विधानसभा के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र का था। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के सभी कैंडिडेट हारे हैं और टीएमसी के सभी कैंडिडेट जीते हैं। और यह हिंसा की खबर उनके मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से ही आ रहे हैं। यदि ममता बनर्जी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर इन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में पुलिस कार्यवाही करने के लिए आदेशित करती हैं तो उनका मुस्लिम वोट बैंक उनसे नाराज हो जाएगा और यही बात दीदी नहीं चाहती।
चर्चा है कि इसी वजह से बंगाल में हिंसा रोकने के लिए कोई प्रभावी एक्शन नहीं लिया जाएगा। परंतु इस बार टीएमसी की स्थिति दूसरी है। ममता बनर्जी चुनाव हार चुकी है और टीएमसी के कई दिग्गज नेता इस तरह के हिंसा के खिलाफ हैं। वे पावरफुल केंद्र सरकार के गुस्से से भी वाकिफ हैं और टीएमसी के कई दिग्गज नेता यह भी जान रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी बंगाल में जीरो से हीरो बनी है।विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी मजबूत है। यदि बंगाल में हिंसा नहीं रुकी तो निश्चय ही केंद्र सरकार महामहिम राष्ट्रपति से बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करेगी और यही बात टीएमसी के ममता बनर्जी को छोड़कर कोई नेता नहीं चाहता। वरिष्ठ नेता यही बात अपनी नेता ममता दीदी को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।