लाकडाउन में रेत का अवैध परिवहन करते पकड़े गए तो, दोगुना जुर्माना

ग्रीन ट्रिव्यूनल नियम की उड़ रही धज्जियां

कोरबा 27 अप्रेल। शहरी क्षेत्र में कोरोना काल के चलते रेत माफियाओं की मनमानी बढ़ गई है। रेत उत्खनन के लिए सीतामढ़ी व गेरवा के स्वीकृत घाट लाकडाउन में बंद कर दिए गए हैं। इसके बावजूद भी अघोषित घाटों से गौण खनिज की चोरी हो रही है। नियंत्रण में नाकाम खनिज विभाग ने अब पेनाल्टी दोगुनी कर दिया है। अवैध उत्खनन के लिए प्रति क्यूसेक 400 रूपये के दर से राशि वसूली जाती थी अब यह राशि 800 रूपये दर से वसूल की जाएगी।

जिले भर में 21 रेत घाट स्वीकृत हैं, इस आशय ये यह नियम शहरी के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी लागू होगा। शहरी क्षेत्र में अघोषित रेतघाट से अवैध उत्खनन व परिवहन अब भी खनिज विभाग के लिए समस्या का सबब साबित हो रहा है। कोरोना के बढ़ते मामले के चलते प्रशासन का ध्यान नियंत्रण पर लगा है। खनिज विभाग के अधिकांश अधिकारी कर्मचारी कोरोना संक्रमित है। इसका फायदा उठाते हुए रेत माफिया सक्रिय हो गए हैं। हालाकि संक्रमण की वजह से निर्माण कार्य बंद हैं लेकिन माफिया बारिश के लिए रेत संग्रह में जुड़ गए हैं, जिससे अधिक कीमत में बिक्री किया जा सके। निगम रेतघाट में अवैध उत्खनन के अलावा परिवहन के मामले अधिक हैं। उत्खनन की तरह परिवहन में भी पेनाल्टी दोगुनी कर दी गई है। उदाहरण के लिए 300 रूपये प्रति ट्रैक्टर रायल्टी ली जाती है। अवैध परिवहन करते पकड़े जाने पर पहले रायल्टी का 10 गुना अर्थात 3000 हजार रूपये लिया जाता था। यह राशि अब 3000 के बजाय 6000 ली जाएगी। वर्तमान में ट्रकए ट्रैक्टर, आटो आदि वाहनों के माध्यम से हो रहे परिवहन के लिहाज से अवैध परिवहन की स्थिति में पेनाल्टी ली जाएगी।

गौण खनिज उत्खनन व परिवहन की नियंत्रण को लेकर बनी ग्रीन ट्रिव्यूनल नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। गेरवा घाट में एनीकेट बनने और पानी भराव होने से अवैध उत्खनन बंद होने की संभावना थी, लेकिन समानांतर पुल निर्माण में बाधा से पानी छोड़ा जा रहा है जिससे रेत की चोरी फिर बढ़ गई है। इसके अलावा ढेंगुरनाला और भिलाई खुर्द के निकट हसदेव नदी में देर रात तक रेत निकाली जा रही है।

अवैध उत्खनन और परिवहन में ठेकेदार ही सहयोगी साबित हो रहे हैं। प्रशासन ने कुछ सरकारी निर्माण को अनुमति दे रखी है। ऐसे में रेत उत्खनन की पर्ची काटकर स्वीकृत घाट के बजाय निकट के जगह से रेत उत्खनन करा रहे हैं। विभागीय स्तर इन पर नियंत्रण नहीं होने के कारण अवैध संग्रहण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में संग्रहण जारी है।

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