नरेन्द्र मेहता@ न्यूज़ एक्शन

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ये क्या हो रहा हैं…
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■ नरेन्द्र मेहता

कवि हो कवि रहो

उतर प्रदेश के एक आईएएस ने कवि कुमार विश्वास को फोन पर कहा ” कौंन हैं आप ? एमपी हैं, मंत्री हैं या मेरे सीनियर हैं जो मै आपके बताये मरीज को बेड दिलवाऊं ? कवि हैं कवि रहिये, किसे बेड देना है किसे नही यह सरकार को पता है”।
दरअसल विख्यात कवि कुमार विश्वास इनदिनों कोरोना संक्रमितो की मदद के लिए सोशल मीडिया पर अपील भी कर रहे है और कई बार जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ अधिकारी को फोन भी लगा रहे हैं.मंगलवार को जब कवि कुमार विश्वास ने एक कोरोना मरीज को बेड दिलाने के लिये यूपी के आईएएस अधिकारी को फोन किया तो अधिकारी ने उन्हें बड़े ही बेरुखे अंदाज में कहा आप कवि है कवि ही रहिये औऱ सरकार को अपना काम करने दीजिए….
कुमार विश्वास ने अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी सोशल मिडिया पर भी शेयर की हैं.

बंगाल में रोशोगुल्ला या ढोकला

सभवतः मीडिया में यह बात उतनी हाई लाईट इसलिए नहीं हुई क्योंकि बीजेपी के नेताओं ने कोई जवाब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नहीं दिया. यह सर्वविदित हैं कि गुजरात के दो दिग्गज नेता( देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह) के बंगाल में चुनावी दौरों से ममता बौखला गई. इसी बौखलाहट में ममता ने श्रीरामपूरा के एक चुनावी सभा भाजपा नेताओं (गुजरात के नेताओं) को बतौर चेतावनी कहा ” हम हमारा रसगुल्ला ही खायेंगे, तुम तुम्हारा ढोकला खाओ”।इसका राजनीतिक मतलब यही निकाला जा रहा हैं कि बंगाली आदमी अपनी बंगाली पसंद और चरित्र नहीं छोड़ेगा और दीदी के साथ ही रहेगा, भले ही बीजेपी के ( गुजराती ) नेता उसे कुछ भी सब्ज बाग दिखाते रहे.दीदी ने यह संदेश देने की कोशिश भी की कि जौ बात रोशोंगुल्ले में हैं, वो ढोकले में कहां? दीदी के व्यंजन बाण का जवाब भाजपा नेताओं ने अभी तक नहीं दिया हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में आरोप प्रत्यारोप के साथ साथ नेताओं के जीभ फिसलन बयान बाजी के बीच दो राज्यो के लजीज और विश्व प्रसिद्ध व्यंजन पर यहां राजनीति शुरू हो गई. ममता के बयान के बाद तो बंगाल में रहने वाले गुजराती थोड़े सहम से गये हैं कि यहां बंगाली बनाम गुजराती का द्वंद शुरू न हो जाये.अब तक बंगाल में जितना विरोध मारवाड़ीयो का हुआ है उतना गुजरातियों का नही हुआ. लेकिन चुनाव लड़ाई में भाजपा के गुजराती नेताओं ने भी बंगाल में काफी आक्रमण तेवर दिखाए हैं.यहां हर नीति भी अपनाई गई ताकि दिदी का गढ़ ध्वस्त हो जाये। दीदी की बोखलाहट का यही एक कारण हैं कि दीदी इस लड़ाई को बंगाली बनाम गैर बंगाली की शक्ल देने में जुटी हैं। दीदी ने बंगालियों का प्रिय रशगुल्ला को राजनीति बहस का मुद्दा बनाकर कर यूं ही नहीं उछाला हैं। रसगुल्ले के बहाने ममता ने बंगालियों के मन मे यह बात डालने की कोशिश की की ढोकला हमारे राज्य में राज नही सकता अतः बाहरी लोगों के बहकावे में न आये।

नेता की गजब हरकत

कोरोना ने पूरे देश मे तांडव मचा रखा हैं पिछले तीन दिनों से दो ढाई लाख से ज्यादा नये केस मिल रहे है, वहीं कोरोना के कारण मध्यप्रदेश का भी बुरा हाल हैं. संकट की इस धड़ी में भाजपा के कुछ नेता फोटोशूट कराने से बाज नही आ रहे, उन्हें इस बात का फर्क नही पड़ता की उनके कृत्यों समाज मे क्या प्रतिक्रिया होगी.वजह यही हैं कि पहले इन्दोर में ऑक्सीजन वाहन को रोककर नेताओं ने फोटो अलग अलग से सूट करवाया जिसके चलते ऑक्सीजन अस्पताल में विलंब से पहुँचा. जबकि मरीजों को ऑक्सीजन की नितांत आवश्यकता थी.

फोटोशूट का दूसरा सेसन भोपाल में हुआ ” लाश ले जाने वाली वाहन” के साथ. असल में राजधानी भोपाल में भाजपा उपाध्यक्ष व पूर्व महापौर आलोक शर्मा ने सोमवार को 6 बड़े अस्पतालों को 6 शव वाहन सौंपे। ऐसे में उनके साथ जेपी अस्पताल प्रबंधन के सीनियर डॉक्टर्स और भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता थे। तभी अस्पताल प्रबंधन को शव वाहन सौंपते समय सभी शव वाहनों को एक के पीछे एक खड़ा किया गया और इसके बाद पूर्व महापौर ने उनके सामने खड़े होकर पहले फोटो खिंचवाई, फिर उसे रवाना किया गया। ऐसे में फोटो खिंचवाने के दौरान शव वाहन चालक को पीपीई किट पहनाकर पूर्व महापौर के साथ ही खड़ा रखा गया। और फिर इस पूरे आयोजन का वीडियो बाद में सोशल मीडिया में जब ये वायरल हुआ, तो कांग्रेस ने सवाल उठाए।

कांग्रेस ने कहा कि भाजपा नेता शव वाहन के साथ भी फोटोशूट करवाने से बाज नहीं आते। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘शर्म करो बेशर्मों? इंदौर में ऑक्सीजन के टैंकर को घंटो रोककर बीजेपी नेताओ ने खूब फोटो बाजी की और अब भोपाल में भाजपा के पूर्व महापौर आलोक शर्मा शव वाहनो के साथ फ़ोटो बाज़ी करते हुए? इंदौर में बन रहे कोविड केयर सेंटर पर भाजपा नेताओं का दौरा? आपदा में भी अवसर-फ़ोटो बाज़ी? साथ ही कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम के दौरान ही एक पीड़ित व्यक्ति ने शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए शव वाहन मांगा तो उसे कुछ देर इंतज़ार करवाया गया। हालाकिं आलोक शर्मा ने कांग्रेस के सभी आरोपों का खंडन किया .

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