प्रवासी मजदूरों में भटकाव फिर से शुरू
विशाखापट्टनम से झारखंड जाने निकले मजदूर भटकते रहे भूखे
कोरबा 16 अप्रैल। लाकडाउन शुरू होने के बाद प्रवासी मजदूरों में भटकाव फिर से शुरू हो गई है। रेलवे स्टेशन से पैदल चलकर बस स्टैंड पहुंचने वाले मजदूरों के लिए परिसर मे क्वारंटाइन अथवा भोजन की सुविधा नहीं होने उन्हे भूखे ही दिन गुजारना पड़ रहा है। दीगर राज्य आवागमन के प्रशासन ने दो बसें अधिकृत की हैं लेकिन सवारी को बैठाने में कोविड नियम का पालन अनिवार्य किया है। ऐसे में बस मालिकों ने भी किराया दर डेढ़ गुना अधिक कर दिया है। ऐसे में पैसे के अभाव में यात्रियों को पैदल यात्रा पर मजबूर होना पड़ रहा है।
दीगर राज्य कमाने खाने के लिए जाने वालों के लिए कोरोना संक्रमण ने फिर दुविधा खड़ी कर दी है। बढ़ते संक्रणम को देखते हुए मजदूरों में फिर से घर वापसी के लिए जद्दोजहद शुरू हो गई है। जिले में दस दिन के लिए लाकडाउन की घोषणा कर दी गई है। इस बीच दीगर राज्य से आने वाले मरीजों में क्वारंटाइन सेंटर की सुविधा शहरी क्षेत्र में नहीं होने से मजदूरों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विशाखापट्टनम लिंक एक्सप्रेस से उतरा मजदूरों का एक दल गुरूवार बस स्टैंड पहुंचा। मजदूरों में शामिल नूर आलम ने बताया कि उन्हे गढ़वा जाना है, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं कि वे घर वापस जा सकें। मजदूर ने बताया कि दो माह पहले ही रोजी रोटी की तालाश में विशाखापट्टनम गए थे। वहां संक्रमण के कारण घर वापस लौटना पड़ रहा हैं। कोरबा आने पर पता चला कि यहां लाकडाउन लग गया है। मजदूर ने बताया कि पहले एक यात्री की किराया 500 रूपये थे अब 1500 रूपये लिया जा रहा है। इस वजह से उन्हे पैदल ही सफर करना पड़ेगा। इधर बस मालिकों से पूछे जाने पर उन्होने बताया कि वर्तमान में अंतर्राज्यीय आवागमन के लिए दो बसें चल रही हैं। प्रशासन के नियमानुसार शारीरिक दूरी बनाकर मजदरों को बस में बैठाना है। कम सवारी ले जाने के कारण किराया में बढ़त की गई है।
रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों की नियमित कोरोना जांच नहीं हो रही है। रेलवे स्टेशन में उतरने वाले यात्रियों को उनके हाल पर ही छोड़ा जा रहा है। लाकडाउन और बढ़ते संक्रमण के कारण रेलवे स्टेशन से उतरकर गंतव्य तक पहुंचने वालों के लिए सुविधा नहीं। शहर पहुंचने वालो को उनके परिजन लेने आ रहे हैं लेकिन जिन्हे दूसरे गांव जाना है उनके लिए पैदल सफर की मजबूरी है।