तर्रेंम का दुर्दांत हिड़मा पर है 25 लाख रुपयों का इनाम

बस्तर 5 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए जबर्दस्त नक्सली हमले में 24 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया हैं। नक्सलियों का यह तांडव अब भी जारी है। रविवार शाम तक 15 नक्सली ढेर हो चुके हैं। आखिर इतनी बड़ी मुठभेड़ के पीछे किसकी साजिश है? और कौन है इसका मास्टरमाइंड? इस पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। हम आपको मास्टरमाइंड के बारे में सब कुछ बताएंगे। लेकिन पहले मुठभेड़ के बारे में थोड़ा जानिए। पिछले 24 घंटे से जारी मुठभेड़ में बड़ी संख्या में नक्सली हताहत हुए हैं। इसके साथ ही 30 से ज्यादा जवान भी घायल हुए हैं। घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।


बीते एक दशक में यह सबसे बड़ा नक्सली हमला है।

25 मई 2013 को सुकमा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इस हमले में कांग्रेस के तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत सुरक्षा में तैनात 29 लोगों की मौत हुई थी। 3 अप्रैल को घटी इस घटना ने एक बार फिर उस हमले की याद ताजा कर दी।

25 लाख का इनामी है नक्सली
अब आपको इस हमले की स्क्रिप्ट तैयार करने वाले के बारे में बताते हैं। इस मास्टरमाइंड का नाम माड़वी हिडमा है। पुलिस ने इस पर 25 लाख का इनाम घोषित किया है। नक्सल कमांडर माड़वी हिडमा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। यह छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस के लिए मोस्टवांटेड नक्सली है।

सुकमा का रहने वाला है नक्सली हिडमा
बताया जा रहा है कि शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना हिडमा के गांव में ही घटी है। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला हिडमा का गढ़ है, जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों को हिडमा संचालित करता है। कद काठी में दुबले पतले हिडमा का नक्सली संगठनों में कद काफी बड़ा है। हिडमा नक्सली गतिविधी और संगठन पर अच्छी पकड़ के कारण ही सबसे कम उम्र में माओवादियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया है।

हिडमा के गांव में बनती है नक्सल गतिविधियों की नीति और रणनीति
छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले खूंखार नक्सली हिडमा का जन्म सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में हुआ था। इस गांव में पहुंचने के लिए आज भी ना तो सड़कें हैं और ना ही कोई अन्य सुविधा। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी इस गांव में स्कूल तक नहीं है। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से घिर हुआ है।आज भी नक्सलियों की जनताना सरकार की तूती बोलती है। बताया जाता है कि नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी नीति और रणनीति यह पर तैयार होती है और फिर उस घटना को अंजाम दिया जाता है।

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