जंगल में असामाजिक तत्व द्वारा लगाये जा रहे आग
कोरबा 15 मार्च। दावानल से जंगल के पौधे झुलस रहे हैं। गर्मी अभी इतनी नहीं बढ़ी है कि जंगल में आग लग सके, लेकिन कोरबा वनमंडल के अजगरबहार व आसपास के जंगल में उठते धुंए ने वन विभाग की अकर्मण्यता की पोल खोल दी है। तेंदूपत्ता तोड़ाई के लिए इन दिनों जंगल में शाख कर्तन का काम चल रहा है। अधिक पत्ता पाने की अपेक्षा से असामाजिक तत्व जंगल में आग लगा रहे हैं।
वनक्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर सजगता के अभाव में वन संपदा की क्षति हो रही है। अजगरबहार सहित आसपास के जंगलों में अनुकूल वातावरण होने से क्षेत्र में बेहतर पत्ते होते हैं। अन्य फड़ों की अपेक्षा यहां के पत्ते अधिक कीमत पर बिकते हैं। पत्तों की कीमत के आधार पर बोनस तय होता है। अधिक उपज की धारणा से जंगल को आग में झोंका जा रहा है। बहरहाल संग्राहक समितियों को वन विभाग की ओर से प्रशिक्षित किए जाने का प्रावधान है। संग्राहक समूहों को प्रशिक्षित नहीं किए जाने ने जंगल में आग की लपटे बढ़ रही हैं। अभी गर्मी की शुरुआत है ऐसे में जंगल के सीमित पेड़ों के पत्ते झड़ रहे हैं। जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जाएगी सूखे पत्तों की भरमार होगी और उसमे आग लगने से अधिक नुकसान होगा। जंगल में लगाए जा रहे आग से नए पल्लवित हो रहे सालए बीजाए सेन्हाए चार जैसे अधिक आय देने वाले पौधे पेड़ में तब्दील होन से पहले ही नष्ट हो रहे हैं। यहां तक कि जंगल को सघन बनाने के लिए की गई रोपणी भी नष्ट हो रहे हैं। दावानल से सबसे अधिक हानि वन्य जीवों की होती है। सांप, खरगोश, कबरबिज्जू, छिपकली जैसे छोटे कद के जीव नष्ट हो जाते हैं वहीं सियार, तेंदुआ, हाथी जैसे जानवर को गांव की ओर भागना पड़ता है। जंगल में आग वन्य जीवों के लिए ही नहीं बल्कि जंगल के आसपास के ग्रामीणों के लिए हानिकारक है। समय रहते नियंत्रण नहीं की गई तो वनोपज संग्रहण पर असर होगा।