मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वजे गिरफ्तार, मुंबई पुलिस का मनोबल गिरा- संजय राउत
मुंबई 14 मार्च। देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित निवास एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वजे को गिरफ्तार कर लिया है। पूरे मामले में वजे शुरू से शक के घेरे में थे और शनिवार को एनआईए ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। करीब 13 घंटे की पूछताछ के बाद शनिवार रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। अब पूरे मामले में शिवसेना ने राजनीति शुरू कर दी है। पार्टी प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा कि यह केस मुंबई पुलिस के पास था और जिस तरह से केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए कर रही है, उस पर सवाल उठ रहे हैं। राउत ने कहा कि मुंबई पुलिस ने कई बड़े केस हल किए हैं। इस केस की भी जांच हो रही थी, लेकिन अचानक एनआईए घुस आती है और ताबड़तोड़ कार्रवाई करती है। इससे मुंबई पुलिस का मनोबल गिरा है।
वहीं रविवार सुबह एक इवोना गाड़ी एनआईए के दफ्तर लाई गई है। बताया जा रहा है कि यह इनोवा गाड़ी सचिन वजे की है, जो उस दिन मुकेश अंबानी के घर से कुछ दूर खड़ी थी, जिस दिन वहां विस्फोटक वाली एक अन्य गाड़ी मिली थी। खास बात यह भी है कि अब तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी सचिन वजे के साथ खड़े नजर आ रहे थे और उनका पक्ष ले रहे थे। सचिन वजे पर शिकंजा कसने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि पुलिस अधिकारी के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है मानो वह ओसामा बिन लादेन हो। इस पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुटकी ली थी और कहा था कि सचिन वजे को वकील की जरूरत नहीं है, क्योंकि उद्धव ठाकरे उनकी वकालत कर रहे हैं। बहरहाल, एनआईए के अधिकारियों के भरोसा है कि सचिन वजे से पूछताछ में अहम खुलासे हो सकते हैं।
मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास 25 फरवरी को विस्फोटक और धमकी भरे पत्र के साथ स्कॉर्पियो एसयूवी कार मिली थी। यह स्कॉर्पियो एसयूवी मनसुख हरेन की थी, जिसे कुछ दिन पहले चोरी किया गया था। मामला सचिन वजे की अगुवाई वाली टीम को सौंपा गया। एक दिन खबर आई कि मनसुख की मौत हो चुकी है। उनका शव एक तालाब में मिला। यहां मौके पर सबसे पहले सचिन वजे पहुंचे थे। इससे शक उठा। धीरे-धीरे परतें खुलीं तो सचिन वजे पर शिकंजा कसता गया। मनसुख की पत्नी ने सचिन वजे पर आरोप लगाया था।
मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे हैं। सचिन वजे मूल रूप से कोल्हापुर के हैं और 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। सेवा करे दौरान ठाणे में तबादला हुआ और वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में शामिल हुए। 1992 से 2004 तक उन्होंने 63 अपराधियों के एनकाउंटर किए। इसके बाद बई के घाटकोपर ब्लास्ट से जुड़े मामले ने सचिन वजे की जिंदगी को बदल दी। इस हमले के आरोपी ख्वाजा यूनुस को दिसंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन औरंगाबाद ले जाते समय वह पुलिस हिरास से फरार हो गया। इस घटना की सीआईडी जांच की गई, जिसमें खुलासा हुआ कि ख्वाजा की मौत तो पुलिस हिरासत में ही हो गई थी। इसके बाद वजे को निलंबित किया गया फिर 2004 में सबूत मिटाने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। वर्दी उतरने के बाद सचिन ने राजनीति का पारी खेली। वे 2008 में शिवसेना में शामिल हुए। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनने के बाद 2020 में एक बार फिर सचिन वजे को वर्दी मिल गई। वर्दी पहनते ही वे एक बार फिर एक्शन में दिखे। अर्णब गोस्वामी से जुड़े बहुचर्चित मामले में भी वे काफी चर्चा में रहे थे, लेकिन मनसुख की मौत के मामले में नाम आने के बाद एक बार फिर बदनाम हो गए हैं।