वैश्विक धातु प्रतिस्पर्धा, भारतीय एल्यूमिनियम उद्योग का योगदान महत्वपूर्ण: अभिजीत पति
कोरबा (बालकोनगर ) 1 मार्च। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री अभिजीत पति ने 58वें नेशनल मेटलर्जिस्ट डे इंटरनेशनल कॉन्फरेंस और 74वें वार्षिक टेक्निकल मीटिंग में भागीदारी की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई और भारतीय धातु संस्थान की ओर से ‘सेवेंटी फाइव एंड अस्पायरिंग फॉर ग्लोबल लीडरशिप इन मेटलर्जी एंड मटेरियल इंजीनियरिंग’ थीम पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित उद्योगों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। ‘एनहैंसिंग ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस ऑफ इंडियन मेटल्स इंडस्ट्रीज’ विषय पर श्री पति ने कॉन्फरेंस का नेतृत्व किया। कार्यक्रम में लौह एवं अलौह धातु कर्म तथा बिजनेस सस्टेनिबिलिटी के क्षेत्र में हुई प्रगति पर विस्तार से चर्चा की गई।
श्री पति ने कॉन्फरेंस में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के साथ ही भारत सरकार के मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटीज, सभी के लिए ऊर्जा उपलब्धता, घरेलु अंतरिक्ष कार्यक्रम, मूल्य संवर्धन, रोजगार सृजन और एसएमई के प्रोत्साहन आदि क्षेत्रों में एल्यूमिनियम उद्योग की भागीदारी महत्वपूर्ण है। भारत में एल्यूमिनियम आधारित उद्योगों से 8 लाख से अधिक प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगारों का निर्माण हुआ वहीं 4000 से अधिक डाउनस्ट्रीम एसएमई विकसित हुए। एल्यूमिनियम के विभिन्न मूल्य सवंर्धित उत्पादों का प्रयोग वैमानिकी, रक्षा, ऑटोमोबाइल, विद्युत पारेषण, अधोसंरचना विकास और पैकेजिंग में होता है वहीं बॉक्साइट अयस्क खनन, परिष्करण, रसायन उद्योग, ऊर्जा, मशीनरी आदि के जरिए यह क्षेत्र बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करता है। श्री पति ने यह भी कहा कि कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण दौर में बालको परिवार ने पूरी एकजुटता से संयंत्र का प्रचालन सुचारू बनाए रखा।
श्री पति ने इस बार पर जोर दिया कि नीति आयोग तथा खान मंत्रालय की अनुशंसा के अनुरूप एल्यूमिनियम उद्योग को ‘कोर उद्योग’ के रूप मंे वर्गीकृत करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही नीति आयोग की अनुशंसा अनुसार नेशनल एल्यूमिनियम नीति (एनएपी) के नियमन से एल्यूमिनियम उद्योग प्राथमिक उद्योग के तौर पर प्रतिष्ठित हो सकता है। कोयला और बॉक्साइट जैसे कच्चे माल की मूल्य रणनीति के पुनर्गठन की जरूरत है। इससे रॉ मैटेरियल सिक्योरिटी संबंधी मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि घरेलु स्क्रैप रीसाइकलिंग और स्क्रैप के उपयोग तथा आयात संबंधी गुणवत्ता मानदंडों के दिशानिर्देशों के भी पुनर्गठन की जरूरत है। देश से निर्यात होने वाले एल्यूमिनियम पर लगने वाले शुल्क एवं करों में छूट से भी घरेलू एल्यूमिनियम उद्योग को वैश्विक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा।
देश में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला तथा पांचवा सबसे बड़ा बॉक्साइट अयस्क का भंडार है। भौगोलिक परिस्थितियां भी देश को दुनिया में सबसे कम लागत वाला एल्यूमिनियम उत्पादन केंद्र बनाने में सक्षम हैं। एल्यूमिनियम उद्योग सतत प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दृष्टि से इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) देश की प्रमुख एल्यूमिनियम उत्पादक इकाई है। कंपनी की 49 फीसदी अंशधारिता भारत सरकार के और 51 फीसदी अंशधारिता वेदांता लिमिटेड के स्वामित्व में है। वेदांता लिमिटेड दुनिया की 6वीं सबसे बड़ी वैविध्यीकृत प्राकृतिक संसाधन कंपनी है तथा यह कंपनी देश में एल्यूमिनियम का सबसे अधिक उत्पादक करती है। बालको द्वारा कोरबा में 0.57 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता के एल्यूमिनियम स्मेल्टर का प्रचालन किया जाता है। बालको मूल्य संवर्धित एल्यूमिनियम उत्पादों की अगुवा कंपनी है जिसके उत्पादों का महत्वपूर्ण अनुप्रयोग कोर उद्योगों में किया जाता है। विश्वस्तरीय स्मेल्टर और बिजली उत्पादक संयंत्रों के साथ बालको का ध्येय ‘भविष्य की धातु’ एल्यूमिनियम को उभरते अनुप्रयोगों हेतु प्रोत्साहित करते हुए हरित एवं समृद्ध कल के लिए योगदान करना है।