भद्रा का प्रभाव: रात 11.30 बजे के बाद हो सकेगा होलिका दहन

उज्जैन. होलिका दहन इस बार 13 मार्च को प्रदोष काल में किया जाएगा। पंचांग गणना के अनुसार यह पर्व फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा तिथि पर पड़ेगा। इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, धृति योग के बाद शूल योग, वणिज करण के बाद बव करण और सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में होलिका दहन संपन्न होगा। खास बात यह है कि इस बार 30 साल बाद होलिका दहन के दिन सूर्य, बुध और शनि की कुंभ राशि में युति बन रही है। साथ ही शूल योग और गुरुवार का दिन पर्व को और भी विशिष्ट बना रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि आखिरी बार ऐसा संयोग 1995 में बना था।

रात्रि 11:30 के बाद होलिका

दहनः धर्मशास्त्रों के अनुसार होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए। अतः रात्रि 11:30 के बाद दहन शुभ रहेगा।

भद्रा का रहेगा प्रभाव, पर प्रदोष काल शुभ

होली के दिन 13 मार्च को सुबह 10:23 बजे से रात 11:30 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रदोष काल में पूजन बहुत फलदायी होता है। पंचांग के मुताबिक, इस बार सिंह राशि का चंद्रमा भद्रा का वास पृथ्वी पर बता रहा है, लेकिन बड़े पर्वों के दौरान भद्रा की पूंछ का विचार किया जाता है। मान्यता के अनुसार, भद्रा के अंतिम भाग में पूजन से यश व विजय की प्राप्ति होती है।

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